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बुधवार, 6 जुलाई 2011

जनसत्ता में 'शब्द-सृजन की ओर' की पोस्ट : 'धुंए का जहर'


'शब्द सृजन की ओर' पर 30 मई, 2011 को प्रस्तुत पोस्ट 'मानवीय सभ्यता को लीलता तम्बाकू' को प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक पत्र 'जनसत्ता' ने 5 जुलाई, 2011 को अपने सम्पादकीय पृष्ठ पर नियमित स्तम्भ 'समान्तर' में 'धुंए का जहर' शीर्षक से स्थान दिया ... आभार ! इससे पूर्व जनसत्ता के इसी स्तम्भ में 'शब्द सृजन की ओर' पर 22 अप्रैल, 2010 को प्रस्तुत पोस्ट प्रलय का इंतजार और 6 अक्तूबर, 2010 को प्रस्तुत पोस्ट अस्तित्व के लिए जूझते अंडमान के आदिवासी को भी स्थान दिया गया था...बहुत-बहुत आभार !!

इससे पहले 'शब्द सृजन की ओर' ब्लॉग की पोस्टों की चर्चा जनसत्ता, अमर उजाला, LN स्टार इत्यादि में हो चुकी है.मेरे दूसरे ब्लॉग 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग और इसकी प्रविष्टियों की चर्चा दैनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, राजस्थान पत्रिका, उदंती, LN STAR पत्र-पत्रिकाओं में हो चुकी है.

इस प्रोत्साहन के लिए सभी का आभार !!

चित्र साभार : Blogs in Media

8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अतिशय बधाई आपको।

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बधाई बधाई बधाई ! हार्दिक बधाई!

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बेहतरीन पोस्ट...सुन्दर चर्चा.

Shahroz ने कहा…

जनसत्ता में ब्लॉग-पोस्ट प्रकाशित होने पर बधाई. अच्छा विषय है. यह धुआं तो पूरा जहर हो गया है.

Shahroz ने कहा…

जनसत्ता में ब्लॉग-पोस्ट प्रकाशित होने पर बधाई. अच्छा विषय है. यह धुआं तो पूरा जहर हो गया है.

मन-मयूर ने कहा…

हमने भी आपकी यह पोस्ट जनसत्ता में पढ़ी थी. काबिले-तारीफ लिखते हैं आप..बधाई.

मन-मयूर ने कहा…

apka yah alekh raypur se prakashit hone wali udanti patrika men bhi padha tha..fir se badhai.

Bhanwar Singh ने कहा…

देखकर अच्छा लगा कि आप ब्लागिंग में निरंतर सक्रिय हैं. हम जैसे तो बस नाम दर्ज कराकर रह गए. इस अनुपम उपलब्धि पर शुभकामनायें.