समर्थक / Followers

बुधवार, 29 अगस्त 2012

Net savvy duo gets 'Best Couple Blogger of Decade' award

The net-savvy husband-wife duo Krishna Kumar Yadav and Akanksha Yadav have been presented the "Couple Blogger of the Decade", award by 'Parikalpana Group' at an international conference of bloggers at Rai Umanath Bali Auditorium in Lucknow.

The award was jointly given to the couple by renowned litterateur Udbhrant, ex-Inspector General of Police Shailendra Sagar and Director of Uttar Pradesh Hindi Sansthan Sudhakar Adib at the conference.

KK Yadav who is posted as Director Postal Services, Allahabad Region in the city is also known for his literary works and has penned six books. He is active in the field of Hindi blogging with blogs 'Dakiya Dak Laya' and 'Sabd Srijan Ki Aur'. His two blogs showcased comments from the bloggers from 94 and 64 countries respectively.

His wife Akanksha Yadav who writes intensively on women empowerment is famous for blog' Sabd Sikhar'. People from 66 countries have studied her blog other than above, this couple jointly operates blogs 'Saptrangi Prem', 'Bal Dunia' and 'Utsav ke Rang'.

The Director also shares interesting facts related to Department of Posts with his readers, alongwith his literary works in the two blogs separately created for the purpose while Akanksha writes about various aspects of Hindi literature in her blog, 'Shabd Shikhar'.

Interestingly, their daughter Akshitaa (Pakhi)'s blog 'Pakhi ki Duniya' who has been awarded 'National Child Award' by the Government of India last year, received comments from 94 countries.

"The blogs are a medium to express our creative insight. We started blogging in the year 2008 and within five years we were operating ten blogs on various subjects, "said KK Yadav.

He added, after the start of Hindi blogging in the year 2003, people like him found a new medium to express themselves and showcase their creatively across the globe. The couple said that Hindi language would be propagated in a better way with the help of blogs.

Courtesy : Hindustan Times, 29 August 2012.

प्रिंट मीडिया में कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव को 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दंपत्ति' का सम्मान मिलने की चर्चाएँ...

'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन' एवं 'परिकल्पना सम्मान समारोह' में 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दंपत्ति' (कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव) का सम्मान हमें मिलने पर तमाम अख़बारों ने ख़बरें प्रकाशित की हैं.'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन' एवं 'परिकल्पना सम्मान समारोह' में 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दंपत्ति' (कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव) का सम्मान हमें मिलने पर तमाम अख़बारों ने ख़बरें प्रकाशित की हैं. इनमें दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान, आई-नेक्स्ट, राष्ट्रीय सहारा, जन्संदेश टेम्स,Hindustan Times इत्यादि प्रमुख हैं.









आप सभी के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए बेहद आभारी हैं हम

’दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर' के रूप में कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव सम्मानित

जीवन में कुछ करने की चाह हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं। हिन्दी-ब्लागिंग के क्षेत्र में ऐसा ही रास्ता अखि़्तयार किया कृष्ण कुमार यादव व आकांक्षा यादव ने। 2008 में अपना ब्लागिंग-सफर आरंभ करने वाले इस दम्पत्ति को परिकल्पना समूह द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ’’दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’’ के रूप में सम्मानित किया गया है। इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदासीन कृष्ण कुमार यादव हिन्दी-साहित्य में एक सुपरिचित नाम हैं, जिनकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उनके जीवन पर एक पुस्तक ’बढ़ते चरण शिखर की ओर’ भी प्रकाशित हो चुकी है। आकांक्षा यादव भी नारी-सशक्तीकरण को लेकर प्रखरता से लिखती हैं । साहित्य के साथ-साथ ब्लागिंग में भी हमजोली यादव दम्पत्ति को 27 अगस्त, 2012 को लखनऊ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मेलन में 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दम्पत्ति’ का अवार्ड दिया गया। मुख्य अतिथि श्री श्री प्रकाश जायसवाल केन्द्रीय कोयला मंत्री की अनुपस्थिति में यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार उदभ्रांत, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेन्द्र सागर आदि ने संयुक्त रूप से दिया।

गौरतलब है कि हिंदी ब्लागिंग का आरंभ वर्ष 2003 में हुआ और इस पूरे एक दशक में तमाम ब्लागरों ने अपनी
अभिव्यक्तियों को विस्तार दिया। पर कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाग जगत में कदम रखा और 5 साल के भीतर ही सपरिवार विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लागिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लागिंग को भी नये आयाम दिये। इन दम्पत्ति के ब्लागों को सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भरपूर सराहना मिली। कृष्ण कुमार यादव के ब्लाग ’डाकिया डाक लाया’ को 94 देशों, ’शब्द सृजन की ओर’ को 70 देशों, आकांक्षा यादव के ब्लाग ’शब्द शिखर’ को 66 देशों और इस ब्लागर दम्पत्ति की सुपुत्री एवं पिछले वर्ष ब्लागिंग हेतु भारत सरकार द्वारा ’’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’’ से सम्मानित अक्षिता (पाखी) के ब्लाग ’पाखी की दुनिया’ को 94 देशों में देखा-पढ़ा जा चुका है।

उमानाथ बाली प्रेक्षागृह, कैसर बाग, लखनऊ में आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में न्यू मीडिया की संभावना एवं चुनौतियों को लेकर तमाम सेमिनार हुये। ’न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार’ विषय आधारित सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में कृष्ण कुमार यादव ने ब्लागिंग को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की बात कही और एक माध्यम के बजाय इसके विधागत विकास पर जोर दिया।

इस दम्पत्ति को सम्मानित किये जाने के अवसर पर देश-विदेश के तमाम ब्लागर, साहित्यकार, पत्रकार व प्रशासक उपस्थित थे। प्रमुख लोगों में मुद्रा राक्षस, वीरेन्द्र यादव, पूर्णिमा वर्मन, रवि रतलामी, रवीन्द्र प्रभात , जाकिर अली ’रजनीश’, शिखा वार्ष्णेय, सुभाष राय इत्यादि प्रमुख थे।
साभार : राष्ट्रीय सहारा, 29 अगस्त, 2012

खूबसूरत यादें छोड़ गया लखनऊ में हुआ 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन'

'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन' एवं 'परिकल्पना सम्मान समारोह' अंतत: 27 अगस्त, 2012 को उमानाथ बाली प्रेक्षागृह, कैसर बाग, लखनऊ में भव्यता के साथ संपन्न हुआ. यह सम्मेलन तस्लीम एवं परिकल्पना समूह द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। पिछले साल हिंदी भवन, नई दिल्ली में प्रथम 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन' एवं 'परिकल्पना सम्मान समारोह' हुआ था, जिसमें उत्तरांचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक मुख्या अतिथि थे और साथ में अशोक चक्रधर, डा. रामदरश मिश्र, प्रभाकर श्रोतिय जैसे विद्वत -जनों की गौरवमयी उपस्थिति.उस समय हमारी बेटी अक्षिता (पाखी) को 'वर्ष के श्रेष्ठ नन्हा ब्लागर' अवार्ड से सम्मानित किया गया था, पर कुछेक कारणोंवश हम कार्यक्रम में शामिल न हो सके. उस समय हम पोर्टब्लेयर, अंदमान में थे. इस बार कार्यक्रम लखनऊ में था और अब हम इलाहबाद में थे, सो भला कैसे चूक सकते थे. इस अवसर पर हमें ’दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर' के सम्मान से भी नवाजा गया, आप सभी के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए बेहद आभारी हैं हम. न्यू मीडिया और ब्लागिंग से जुड़े तमाम लोगों से साक्षात् मुलाकात अपने आप में एक अविस्मरनीय अनुभव था. रविन्द्र प्रभात और जाकिर अली 'रजनीश' ने अपने स्तर पर कार्यक्रम की शानदार मेजबानी की और लखनऊ की तहज़ीब से भी लोगों को रूबरू कराया. देश-विदेश से तमाम ब्लागर जुटे, चर्चाएँ हुईं, पुस्तकें-पत्रिकाएं विमोचित हुईं, सम्मान मिले, मुलाकातें हुईं...और अब रह गई खूबसूरत यादें. ऐसे ही कुछेक यादों को हमने भी अपने कैमरे में सहेजा और आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं.
(दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन करते वरिष्ठ साहित्यकार उद्भान्त, साथ मे शिखा वार्ष्णेय,गिरीश पंकज,रणधीर सिंह सुमन और रवीन्द्र प्रभात)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को सम्मानित करने की उद्घोषणा करते परिकल्पना समूह के संयोजक रविन्द्र प्रभात)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को सम्मानित करते वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक व कथा क्रम के संपादक शैलेन्द्र सागर. साथ में परिलक्षित हैं वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय और लंदर की पत्रकार और ब्लागर शिखा वार्ष्णेय).
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव के सम्मान के बाद ब्लागिंग हेतु 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' विजेता बिटिया अक्षिता (पाखी) को बुके देकर सम्मानित करते पूर्व पुलिस महानिरीक्षक व कथा क्रम के संपादक शैलेन्द्र सागर)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में सम्मानित होते कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा और साथ में पुत्री अक्षिता (पाखी). मंच पर दिख रहे हैं- डॉ सुभाष राय, वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक शैलेंद्र सागर, सुश्री शिखा वार्ष्णेय)('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को प्राप्त सम्मान)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को प्राप्त प्रमाण-पत्र)
( 'दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में सम्मानित होने के बाद कृष्ण कुमार यादव का संबोधन. साथ में परिलक्षित हैं कार्यक्रम के संचालक ब्लागर हरीश अरोड़ा)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में सम्मानित होने के बाद कृष्ण कुमार यादव का आभार-उद्बोधन और मंचस्थ दिख रहे हैं- डॉ सुभाष राय,सुश्री शिखा वार्ष्णेय,वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक शैलेंद्र सागर, डॉ अरविंद मिश्रा, गिरीश पंकज)
(दशक के ब्लागर के रूप में सम्मानित होने के बाद सभी ब्लागर्स का समूह-फोटोग्राफ. क्रमश : कृष्ण कुमार यादव, आकांक्षा यादव, पूर्णिमा वर्मन, रविन्द्र प्रभात, बी. एस. पाबला, अविनाश वाचस्पति और रवि रतलामी. मंचस्थ दिख रहे हैं- हरीश अरोड़ा, डॉ सुभाष राय, अक्षिता (पाखी), सुश्री शिखा वार्ष्णेय, डॉ अरविंद मिश्रा, वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक व पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेंद्र सागर)
( बेटी अपूर्वा के साथ साहित्यकार-ब्लागर आकांक्षा यादव, अनुभूति-अभिव्यक्ति वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' विजेता व पिछले साल 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' से सम्मानित अक्षिता (पाखी), इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाए व साहित्यकार-ब्लागर कृष्ण कुमार यादव व ब्लागर एवं बाल -साहित्यकार डा. जाकिर अली रजनीश)
( देश-विदेश से पधारे तमाम ब्लागर्स)
(ब्लागर-त्रय्यी : डा. मनीष कुमार मिश्र, कृष्ण कुमार यादव, डा. कुमारेन्द्र सिंह 'सेंगर')
(मुलाकात : पत्रकार आलोक पराड़कर, चर्चित समालोचक वीरेंदर यादव, कृष्ण कुमार यादव)
(भोजनावकाश के बाद की संगोष्ठी : न्यू मिडिया की भाषाई चुनौतियाँ और सामाजिक सरोकार. मंचासीन हैं- ब्लागर राजेश राय, इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, 'अनुभूति-अभिव्यक्ति' वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब और 'रचनाकार' के संपादक रवि रतलामी)
(इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव का स्मृति-चिन्ह और पुष्प-गुच्छ देकर स्वागत)
('हिंदी ब्लागिंग : स्वरुप, व्याप्ति और संभावनाएं' के संपादक डा. मनीष कुमार मिश्र का रविन्द्र प्रभात द्वारा सम्मान. मंचस्थ हैं-ब्लागर राजेश राय, इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, 'अनुभूति-अभिव्यक्ति' वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब और 'रचनाकार' के संपादक रवि रतलामी)
(ब्लागर शेफाली पाण्डेय का सम्मान करते उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब और साथ में परिलक्षित हैं इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, 'अनुभूति-अभिव्यक्ति' वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), और 'रचनाकार' के संपादक रवि रतलामी)

प्रस्तुति : कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव

























शनिवार, 18 अगस्त 2012

LN स्टार में 'शब्द-सृजन की ओर' : कैप्टन लक्ष्मी सहगल

'शब्द सृजन की ओर' पर 20 जुलाई, 2012 को प्रकाशित पोस्ट साहस और मानवता की अप्रतिम मूर्ति : कैप्टन लक्ष्मी सहगल को भोपाल से प्रकाशित प्रतिष्ठित हिन्दी साप्ताहिक LN स्टार ने (4 -10 अगस्त 2012) अपने नियमित स्तंभ ‘ब्लॉगर्स साइट’ में प्रकाशित किया है.... आभार !

इससे पहले 'शब्द सृजन की ओर' ब्लॉग की पोस्टों की चर्चा जनसत्ता, अमर उजाला, LN स्टार इत्यादि में हो चुकी है. मेरे दूसरे ब्लॉग 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग और इसकी प्रविष्टियों की चर्चा दैनिक हिंदुस्तान, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, राजस्थान पत्रिका, उदंती, LN STAR पत्र-पत्रिकाओं में हो चुकी है.


इस प्रोत्साहन के लिए आप सभी का आभार !!

सूचना साभार : Blogs in Media

बुधवार, 15 अगस्त 2012

युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास से रूबरू करायें...

स्वतंत्रता की गाथा सिर्फ अतीत भर नहीं है बल्कि आगामी पीढ़ियों हेतु यह कई सवाल भी छोड़ती है। वस्तुतः भारत का स्वाधीनता संग्राम एक ऐसा आन्दोलन था, जो अपने आप में एक महाकाव्य है। लगभग एक शताब्दी तक चले इस आन्दोलन ने भारतीय राष्ट्रीयता की अवधारणा से संगठित हुए लोगों को एकजुट किया। यह आन्दोलन किसी एक धारा का पर्याय नहीं था, बल्कि इसमें सामाजिक-धार्मिक सुधारक, राष्ट्रवादी साहित्यकार, पत्रकार, क्रान्तिकारी, कांग्रेसी, गाँधीवादी इत्यादि सभी किसी न किसी रूप में सक्रिय थे।

1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम को अंग्रेज इतिहासकारों ने ‘सिपाही विद्रोह‘ मात्र की संज्ञा देकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि यह विद्रोह मात्र सरकार व सिपाहियों के बीच का अल्पकालीन संघर्ष था, न कि सरकार व जनता के बीच का संघर्ष। वस्तुतः इस प्रचार द्वारा उन्होंने भारत के कोने-कोने में पनप रही राष्ट्रीयता की भावना को दबाने का पूरा प्रयास किया। पर इसमें वे पूर्णतया कामयाब नहीं हुये और इस क्रान्ति की ज्वाला अनेक क्षेत्रों में एक साथ उठी, जिसने इसे अखिल भारतीय स्वरूप दे दिया। इस संग्राम का मूल रणक्षेत्र भले ही नर्मदा और गंगा के बीच का क्षेत्र रहा हो, पर इसकी गूँज दूर-दूर तक दक्षिण मराठा प्रदेश, दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों, गुजरात और राजस्थान के इलाकों और यहाँ तक कि पूर्वोत्तर भारत के खासी-जंैतिया और कछार तक में सुनाई दी। परिणामस्वरूप, भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन का यह प्रथम प्रयास पे्ररणास्रोत बन गया और ठीक 90 साल बाद भारत ने स्वाधीनता के कदम चूमकर एक नये इतिहास का आगाज किया।

भारतीय राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष यह रहा कि आजादी के दीवानों का लक्ष्य सिर्फ अंग्रजों की पराधीनता से मुक्ति पाना नहीं था, बल्कि वे आजादी को समग्र रूप में देखने के कायल थे। भारतीय पुनर्जागरण के जनक कहे जाने वाले राजाराममोहन राय से लेकर भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारी और महात्मा गाँधी तक ने एक आदर्श को मूर्तरूप देने का प्रयास किया। राजाराममोहन राय ने सती प्रथा को खत्म करवाकर नारी मुक्ति की दिशा में पहला कदम रखा, ज्योतिबाफुले व ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने शैक्षणिक सुधार की दिशा में कदम उठाए, स्वामी विवेकानन्द व दयानन्द सरस्वती ने आध्यात्मिक चेतना का जागरण किया, दादाभाई नौरोजी ने गरीबी मिटाने व धन-निकासी की अंग्रेजी अवधारणाओं को सामने रखा, लाल-बाल-पाल ने राजनैतिक चेतना जगाकर आजादी को अधिकार रूप में हासिल करने की बात कही, वीर सावरकर ने 1857 की क्रान्ति को प्रथम स्वाधीनता संग्राम के रूप में चिन्हित कर इसकी तुलना इटली में मैजिनी और गैरिबाल्डी के मुक्ति आन्दोलनों से व्यापक परिप्रेक्ष्य में की, भगत सिंह ने क्रान्ति को जनता के हित में स्वराज कहा और बताया कि इसका तात्पर्य केवल मालिकों की तब्दीली नहीं बल्कि नई व्यवस्था का जन्म है, महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह व अहिंसा द्वारा समग्र भारतीय समाज को जनान्दोलनों के माध्यम से एक सूत्र में जोड़कर अद्वैत का विश्व रूप दर्शन खड़ा किया, पं0 नेहरू ने वैज्ञानिक समाजवाद द्वारा विचारधाराओं में सन्तुलन साधने का प्रयास किया, डा0 अम्बेडकर ने स्वाधीनता को समाज में व्याप्त विषमता को खत्म कर दलितों के उद्धार से जोड़ा....। इस आन्दोलन में जहाँ हिन्दू-मुसलमान एकजुट होकर लड़े, दलितों-आदिवासियों-किसानों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। तमाम नारियों ने समाज की परवाह न करते हुये परदे की ओट से बाहर आकर इस आन्दोलन में भागीदारी की।

स्वाधीनता का आन्दोलन सिर्फ इतिहास के लिखित पन्नों पर नहीं है, बल्कि लोक स्मृतियों में भी पूरे ठाठ-बाट के साथ जीवित है। तमाम साहित्यकारों व लोक गायकों ने जिस प्रकार से इस लोक स्मृति को जीवंत रखा है, उसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। वैसे भी पिस्तौल और बम इन्कलाब नहीं लाते बल्कि इन्कलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है (भगत सिंह)। यह अनायास ही नहीं है कि अधिकतर नेतृत्वकर्ता और क्रान्तिकारी अच्छे विचारक, कवि, लेखक या साहित्यकार थे। तमाम रचनाधर्मियों ने इस ‘क्रान्ति यज्ञ’ में प्रेरक शक्ति का कार्य किया और स्वाधीनता आन्दोलन को एक नयी परिभाषा दी।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस बात की आवश्यकता है कि राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन के तमाम छुये-अनछुये पहलुओं को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाये और औपनिवेशिक पूर्वाग्रहों को खत्म किया जाये। इतिहास के पन्नों में स्वाधीनता आन्दोलन के साक्षात्कार और इसके गहन विश्लेषण के बीच आत्मगौरव के साथ-साथ उससे जुड़े सबकों को भी याद रखना जरूरी है। राजनैतिक स्वतन्त्रता से परे सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी सच्चे अर्थों में हमारा ध्येय होना चाहिए। इसी क्रम में युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास से रूबरू कराना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, पर उससे पहले इतिहास को पाठ्यपुस्तकों से निकालकर लोकाचार से जोड़ना होगा।

स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को शुभकामनायें !!

गुरुवार, 9 अगस्त 2012

कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव को 'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दंपति' का सम्मान

ब्लागिंग के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान हेतु इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा यादव को 'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दंपति' का सम्मान प्रदान किए जाने हेतु चयनित किया गया है। परिकल्पना समूह की तरफ से अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले इस सम्मान के तहत हिंदी ब्लोगिंग में दशक के सर्वाधिक चर्चित पाँच ब्लागर और पाँच ब्लॉग के साथ-साथ दशक के श्रेष्ठ चर्चित ब्लोगर दंपत्ति के रूप में कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव का चयन किया गया है.

कृष्ण कुमार यादव जहाँ 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय हैं, वहीँ आकांक्षा यादव 'शब्द-शिखर' ब्लॉग के माध्यम से. इसके अलावा इस युगल-दंपत्ति द्वारा सप्तरंगी प्रेम, बाल-दुनिया और उत्सव के रंग ब्लॉगों का भी युगल सञ्चालन किया जाता है. उपरोक्त सम्मान की घोषणा करते हुए संयोजकों ने लिखा कि- ''कृष्ण कुमार यादव ने 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से डाक विभाग की सुखद अनुभूतियों से पाठकों को रूबरू कराने का बीड़ा उठाया तो आकांक्षा यादव ने 'शब्द-शिखर' के माध्यम से साहित्य के विभिन्न आयामों से रूबरू कराने का। एक स्वर है तो दूसरी साधना। हिन्दी ब्लोगजगत में जूनून की हद तक सक्रिय इस ब्लॉगर दंपति ने हिंदी ब्लागिंग को कई नए आयाम दिए हैं.''

गौरतलब है कि यादव दम्पति की सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को पिछले साल हिंदी भवन, नई दिल्ली में 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' सम्मान से सम्मानित किया गया था तो 14 नवम्बर, 2012 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा अक्षिता को आर्ट और ब्लागिंग के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' भी प्रदान किया गया. मात्र साढ़े चार साल की उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त कर अक्षिता ने जहाँ भारत की सबसे कम उम्र की बाल पुरस्कार विजेता होने का सौभाग्य प्राप्त किया, वहीँ पहली बार भारत सरकार द्वारा किसी ब्लागर को कोई राजकीय सम्मान दिया गया. फ़िलहाल अक्षिता गर्ल्स हाई स्कूल, इलाहाबाद में प्रेप में पढ़ती है.

उपरोक्त सम्मान दिनांक 27.08.2012 को लखनऊ के क़ैसर बाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन मे प्रदान किया जायेगा. इस अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन का आयोजन तस्लीम व परिकल्पना समूह कर रहा है । इस समारोह में देश व विदेश के तमाम चर्चित ब्लॉगर जुटेंगे और नए मीडिया जैसे कि ब्लॉग, वेबसाईट, वेब पोर्टल,सोशल नेटवर्किंग साइट इत्यादि के सामाजिक सरोकार पर भी बात करेंगे ।

(साभार : विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित समाचार)
************************************************************************************

(ब्लागिंग के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान हेतु हमें (कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव)'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दंपति' का सम्मान प्रदान किए जाने हेतु चयनित किया गया है। परिकल्पना समूह की तरफ से अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले इस सम्मान के तहत हिंदी ब्लोगिंग में दशक के सर्वाधिक चर्चित पाँच ब्लागर और पाँच ब्लॉग के साथ-साथ दशक के श्रेष्ठ चर्चित ब्लोगर दंपत्ति के रूप में कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव का चयन किया गया है...इस सम्मान-उपलब्धि के पीछे आप सभी का योगदान है. आप सभी के स्नेह और सहयोग के लिए आभार.'ब्लॉग-पुरुष' रवीन्द्र प्रभात जी को इस आयोजन के लिए कोटिश: साधुवाद !!)

रविवार, 5 अगस्त 2012

आज का दिन दोस्तों के नाम...

आज फ्रैंडशिप-डे है, सो आज का दिन दोस्तों के नाम. इसी बहाने कुछ पुराने दोस्तों को फोन करके देखा जाय कि वे कहाँ हैं. जिंदगी की इस भागमभाग में दोस्ती के पैमाने भी बदल गए और उनके मायने भी. कई बार याद आते हैं स्कूल के वो दिन जब दोस्ती निभाने की बड़ी-बड़ी कसमें खाते थे, पर आज वो दोस्त कहाँ हैं पता ही नहीं. आर्कुट, फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स ने वर्चुअल दोस्तों की एक अच्छी-खासी फ़ौज खड़ी कर दी है, पर प्रोफाइल पर हाय-हेलो के अलावा शायद ही इसका कोई महत्त्व हो. यद्यपि इन सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स ने उन तमाम दोस्तों से जोड़ने में मदद अवश्य की है जो इधर-उधर बिखरे हुए हैं. खैर, अच्छी दोस्ती का कोई विकल्प नहीं और अच्छे दोस्त जीवन में बहुत कम मिलते हैं...सो, आज का दिन ऐसे ही दोस्तों के नाम !!