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बुधवार, 24 जनवरी 2018

भारत सरकार के राजभाषा विभाग की पत्रिका "राजभाषा भारती" भी हुई साहित्यिक चोरी का शिकार

हिंदी साहित्य में आजकल रचनाओं की चोरी धड़ल्ले से हो रही है। इसका सबसे आसान जरिया बना है इंटरनेट, जहाँ आपकी रचना के प्रकाशन या सोशल मीडिया पर आपके मौलिक विचारों के प्रस्फुटन के साथ ही कुछेक साहित्यिक चोर धड़ल्ले से उन्हें कॉपी-पेस्ट कर अपने नाम से अन्यत्र प्रकाशित करवा साहित्यकार और लेखक होने का दम्भ भरने लगते हैं। ऐसे लोग एक जगह पकड़े जाते हैं, उनकी लानत-मलानत होती है...पर अपनी आदत से मजबूर फिर वही कार्य दोहराने लगते हैं।
उज्जैन (मध्यप्रदेश) के एक तथाकथित साहित्यकार  डॉ. प्रभु चौधरी ने सितंबर, 2016 में मेरे (कृष्ण कुमार यादव) एक लेख "विदेशों में भी पताका फहरा रही है हिंदी" को शीर्षक में कुछ बदलाव कर "विश्व में भी अपनी पहचान बना रही है हिंदी" शीर्षक से अपने नाम से जबलपुर से प्रकाशित "प्राची" पत्रिका के सितंबर अंक में प्रकाशित कराया था।  सबसे रोचक बात तो यह रही कि 'प्राची' पत्रिका में ही 4 वर्ष पूर्व मेरा यह लेख प्रकाशित हो चुका था। खैर, पत्रिका के संपादक श्री राकेश भ्रमर ने अगले महीने ही संपादकीय में इस तथाकथित साहित्यकार डॉ. प्रभु चौधरी की जमकर क्लास ली और यह घोषित भी किया कि उसकी रचनाएँ पत्रिका में अब प्रकाशित नहीं की जाएँगी। 

 और अब पुनः मेरे  (कृष्ण कुमार यादव) उसी लेख "विदेशों में भी पताका फहरा रही है हिंदी" को उक्त डॉ. प्रभु चौधरी ने भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा प्रकाशित पत्रिका राजभाषा भारती के अप्रैल-जून 2017 अंक में अपने नाम से प्रकाशित कराया है। ऐसी निर्लज्जता पर क्या कहा जाए ? इस प्रकार के साहित्यिक डॉक्टरों का क्या इलाज है ?? 
ख़ैर, इस मामले को जब हमने सोशल मीडिया पर शेयर किया और तमाम साहित्यिक मित्रों से भी इसकी चर्चा की व साथ में राजभाषा भारती पत्रिका के संपादक को भी लिखा तो उक्त डॉ. प्रभु चौधरी का माफ़ीनामा आया 

..........आप भी देखिए, कहीं प्रभु चौधरी जैसे चोर लेखक आपकी रचनाओं और विचारों को अपने नाम से प्रकाशित करवा अपनी पीठ न थपथपा रहे हों !! 

मंगलवार, 16 जनवरी 2018

'अन्‍ना', 'अच्‍छा', 'अब्‍बा' और सूर्य नमस्‍कार समेत भारतीय भाषाओं के 70 शब्‍द ऑक्‍सफोर्ड ड‍िक्‍शनरी में शामिल

ऑक्सफर्ड के ताजा संस्करण में भारतीय इंग्लिश के 70 नए शब्द जोड़े गए हैं. डिक्‍शनरी में पहले से इसके 900 शब्‍द हैं. अब दुनिया भर के लोग 'अन्‍ना', 'अच्‍छा', 'सूर्य नमस्‍कार' और 'अब्‍बा' जैसे शब्‍दों को जान पाएंगे. दरअसल, पिछले महीने जारी ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के नए संस्करण में तेलुगू, उर्दू, तमिल, हिंदी और गुजराती भाषा के करीब 70 नए शब्दों को जोड़ा गया है.

वैसे ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में पहले से 'अन्‍ना' शब्द संज्ञा  के रूप में मौजूद है. इसका अर्थ पाकिस्तान और भारत में प्रचलित मौद्रिक इकाई से है, जो एक रुपये का 1/16 हिस्सा होता है. अब 'अन्‍ना 2' को डिक्शनरी में शामिल किया गया है, जिसका मतलब बड़ा भाई है. तमिल और तेलुगू में किसी व्यक्ति को सम्मान देने के लिए अन्‍ना शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.

यही नहीं ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में उर्दू शब्द 'अब्बा' को भी शामिल किया गया है, जिसका मतलब पिता होता है. इसके अलावा डिक्शनरी में हिंदी के 'अच्छा', 'बड़ा दिन', 'बच्चा', 'सूर्य नमस्कार' शब्द भी शामिल किए गए हैं. हिंदी शब्द 'अच्छा' का अर्थ 'ओके' पहले से ही डिक्शनरी में मौजूद लेकिन नए एडिशन में जुड़े इस शब्द का मतलब आश्चर्य, संदेह और खुशी जाहिर करने वाली भावना से होगा.

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी शब्दों को तरजीह, 'चना' और 'चना दाल' को मिली जगह

ऑक्सफर्ड द्वारा जारी नोट के अनुसार, 'ऑक्सफर्ड के ताजा संस्करण में भारतीय इंग्लिश के 70 नए शब्द जोड़े गए हैं. डिक्‍शनरी में पहले से इसके 900 शब्‍द हैं. भारतीय भाषा में शिष्टाचार के संबंध में पारिवारिक रिश्तेदारी और पते के संबंध में एक जटिल शब्दकोश है, जिसमें उम्र, जेंडर और रिश्तेदारी के अलग-अलग शब्दों के समकक्ष अंग्रेजी में कोई शब्द नहीं होने की वजह से विशेष शब्दावली के रूप में इन्हें मार्क किया गया है.'

गौरतलब है कि ऑक्‍सफोर्ड इंग्लिश ड‍िक्‍शनरी साल में चार बार मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर में अपडेट होती है. ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेस नोट के मुताबिक सितंबर 2017 में जो अपडेट हुआ है उसमें एक हजार नए शब्‍दों को शामिल किया गया है.