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मंगलवार, 29 अगस्त 2023

सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव को ‘साहित्य शिल्पी सम्मान’ से किया सम्मानित

ब्लॉगर, साहित्यकार एवं सम्प्रति वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव को विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु सिक्किम के राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य  ने ‘साहित्य शिल्पी सम्मान’ से सम्मानित किया। राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘सच की दस्तक’ द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर में आयोजित सम्मान समारोह में 28 अगस्त, 2023 को उक्त सम्मान प्रदान किया गया। 

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री कृष्ण कुमार यादव की विभिन्न विधाओं में सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। देश-विदेश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं और इण्टरनेट पर निरंतर प्रकाशन के साथ आकाशवाणी व दूरदर्शन से भी विभिन्न विधाओं में आपकी सृजनात्मकता का प्रसारण होता रहता है। आपके कृतित्व पर एक पुस्तक ‘बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव’ भी प्रकाशित हो चुकी है।

गौरतलब है कि श्री कृष्ण कुमार यादव लोकप्रिय प्रशासक के साथ ही सामाजिक, साहित्यिक और समसामयिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन करने वाले साहित्यकार, विचारक और ब्लॉगर भी हैं। देश-विदेश में विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको शताधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ‘‘अवध सम्मान’’, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी द्वारा ‘‘साहित्य-सम्मान’’, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त द्वारा ‘‘विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान’’ से विभूषित आपको अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित किया जा चुका है। विभागीय दायित्वों और हिन्दी के प्रचार-प्रसार के क्रम में अब तक श्री यादव  लंदन, फ़्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, नेपाल जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं। आपके परिवार को यह गौरव प्राप्त है कि साहित्य में तीन पीढ़ियाँ सक्रिय हैं। आपके पिताजी श्री राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ आपकी पत्नी श्रीमती आकांक्षा भी चर्चित ब्लॉगर और साहित्यकार हैं, वहीं बड़ी बेटी अक्षिता (पाखी) अपनी उपलब्धियों हेतु भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित हैं।

इस अवसर पर प्रो. गोपबन्धु मिश्र, पूर्व कुलपति श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, गुजरात, प्रो. प्रेम नारायण सिंह, निदेशक, अन्तर विश्वविद्यालय, अध्यापक शिक्षा केन्द्र (बी.एच.यू.), वाराणसी, डॉ. नागेन्द्र सिंह, महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, श्री रमेश जायसवाल, विधायक, पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर, सच की दस्तक पत्रिका के प्रधान सम्पादक श्री बृजेश कुमार सहित तमाम गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुभद्रा कुमारी तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री राकेश शर्मा ने किया।















वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव को सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने ‘साहित्य शिल्पी सम्मान’ से किया सम्मानित

लोकप्रिय प्रशासक के साथ ख़्याति प्राप्त साहित्यकार, विचारक और ब्लॉगर भी हैं कृष्ण कुमार यादव

शनिवार, 31 जुलाई 2021

प्रेमचंद की रचनाएं आज भी भारतीय समाज का आईना हैं - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यास सम्राट के रूप में प्रसिद्ध मुंशी प्रेमचंद के पिता अजायब राय श्रीवास्तव लमही, वाराणसी में डाकमुंशी (क्लर्क) के रूप में कार्य करते थे। ऐसे में प्रेमचंद का डाक-परिवार से अटूट सम्बन्ध था। मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते हुए पीढ़ियाँ बड़ी हो गईं। उनकी रचनाओं से बड़ी आत्मीयता महसूस होती है। ऐसा लगता है मानो इन रचनाओं के  पात्र हमारे आस-पास ही मौजूद हैं। प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) की पूर्व संध्या पर उक्त उद्गार चर्चित ब्लॉगर व साहित्यकार एवं वाराणसी  परिक्षेत्र  के पोस्टमास्टर जनरल  श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये। 




पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि लमही, वाराणसी में जन्मे डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य की नई इबारत  लिखी। आज भी तमाम साहित्यकार व शोधार्थी लमही में उनकी जन्मस्थली की यात्रा कर प्रेरणा पाते हैं। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936  तक के कालखंड को 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है। प्रेमचंद साहित्य की वैचारिक यात्रा आदर्श से यथार्थ की ओर उन्मुख है। वे सही अर्थों में एक प्रगतिशील लेखक थे। रहस्य-रोमांच की दुनिया से कथा-संसार को यथार्थवाद की ओर मोड़ने और स्थापित करने का श्रेय मुंशी प्रेमचंद को ही जाता है। मुंशी प्रेमचंद स्वाधीनता संग्राम के भी सबसे बड़े कथाकार हैं। गोदान, कर्मभूमि, निर्मला, शंखनाद, सेवा सदन, रंगभूमि व वरदान जैसे कई प्रसिद्ध उपन्यासों के रचयिता प्रेमचंद की कृतियों में वास्तव में पूर्ण हिन्दी और विस्तृत हिन्दुस्तान बसता है। आंचलिक पात्रों की व्यथा से लेकर अंतर्राष्ट्रीय साम्राज्यवाद तक तथा मनुष्यता व संवेदना तक सभी विषयों पर निर्बाध कलम चलाने वाले प्रेमचंद जी की रचनाएं आज भी भारतीय समाज का आईना हैं। श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 30  जुलाई 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, प्रेमचन्द के साहित्यिक और सामाजिक विमर्श आज भूमंडलीकरण के दौर में भी उतने ही प्रासंगिक हैं और उनकी रचनाओं के पात्र आज भी समाज में कहीं न कहीं जिन्दा हैं। उन्होंने साहित्य के सौंदर्य बोध को बदला और गांव, गरीब, किसान, मज़दूर, शोषित, दलित और स्त्रियों की मनोदशा को केंद्र में रखकर,अपनी रचनाओं के जरिए जनमानस में सामाजिक समस्याओं व कुरीतियों के प्रति चिंतन पैदा किया। हिंदी-उर्दू के महान कथाकार, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारा। प्रेमचन्द जब अपनी रचनाओं में समाज के उपेक्षित व शोषित वर्ग को प्रतिनिधित्व देते हैं तो निश्चिततः इस माध्यम से वे एक युद्ध लड़ते हैं और गहरी नींद सोये इस वर्ग को जगाने का उपक्रम करते हैं। श्री यादव ने कहा कि भारतीय समाज के जीवन और जीवन से जुड़े जीवन संघर्ष की कथा और व्यथा को अपनी लेखनी की अनवरत साधना से प्रवाहित होने वाली धारा के द्वारा उपन्यास और कहानियों के माध्यम से बयाँ करने वाले कलम के सिपाही प्रेमचन्द ने अपने को किसी वाद से जोड़ने की बजाय तत्कालीन समाज में व्याप्त ज्वलंत मुद्दों से जोड़ा। उनका साहित्य शाश्वत है और यथार्थ के करीब रहकर वह समय से होड़ लेती नजर आती हैं।














आज भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द के साहित्यिक व सामाजिक विमर्श - पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव 

डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने दी  हिंदी साहित्य को नई ऊँचाइयाँ  : पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव


सोमवार, 18 नवंबर 2019

Ahmedabad International Literature Festival : सोशल मीडिया के दौर में भाषाई शुद्धता जरुरी -डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव

गुजरात में आयोजित हुए "अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल" (Ahmedabad International Literature Festival) में चर्चित ब्लॉगर व साहित्यकार एवं लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव  बतौर स्पीकर शामिल हुए। इस दौरान डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने 16 नवंबर, 2019 को आयोजित "भाषा के बदलते स्वरुप" (Continuous evolution of languages with time) सत्र को सम्बोधित किया और लोगों से संवाद किया। 
डाक  निदेशक कृष्ण कुमार यादव यादव (Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Lucknow, UP) ने कहा कि भाषा सिर्फ माध्यम भर नहीं है बल्कि किसी भी देश की संस्कृति की संवाहक है। भाषा की सहजता और अन्य भाषाओं से शब्दों को ग्रहण करने की क्षमता इसे और भी मजबूत बनाती है। सोशल मीडिया के दौर में भाषाई शुद्धता का ध्यान रखना भी जरूरी है, अन्यथा आने वाली पीढ़ियाँ इसके मूल स्वरूप से वंचित रह जाएंगी।
बॉलीवुड के चर्चित गीतकार संदीप नाथ ने फिल्मों और गीतों में भाषा के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन फ़ौकिया वाजिद ने किया।
 

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत (Acharya Devvrat, Governor of Gujarat) ने अहमदाबाद लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन करते हुए कहा कि, साहित्य समाज का दर्पण है और आज के दौर में साहित्यकारों की भूमिका और भी बढ़ गई है।
फेस्टिवल के संस्थापक निदेशक उमाशंकर यादव ने बताया कि 16 और 17 नवंबर को आयोजित हुए इस लिटरेचर फेस्टिवल में देश-दुनिया की विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां शामिल हुईं और सार्थक संवाद के माध्यम से समाज को एक नई दिशा देने की कोशिश की।

सोशल मीडिया के दौर में भाषाई शुद्धता जरुरी -डाक निदेशक कृष्ण  कुमार यादव 


भाषा सिर्फ माध्यम भर नहीं, बल्कि देश की संस्कृति की संवाहक है-डाक निदेशक कृष्ण  कुमार यादव 

अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुए डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव 

"भाषा के बदलते स्वरुप" सत्र को सम्बोधित किया डाक निदेशक केके यादव ने

सोमवार, 12 अगस्त 2019

उ.प्र. के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने डाक निदेशक व साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव को किया सम्मानित

लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ एवं चर्चित साहित्यकार व ब्लॉगर श्री कृष्ण कुमार यादव को प्रशासनिक एवं सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने विधायी एवं न्याय मन्त्री श्री बृजेश पाठक की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम में "भोजपुरी गौरव" सम्मान से विभूषित किया। यह सम्मान अखिल भारतीय भोजपुरी समाज द्वारा विश्वेशरैया प्रेक्षागृह, लखनऊ में आयोजित एक भव्य समारोह में यह सम्मान प्रदान किया गया। भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय और महासचिव मनोज सिंह ने इस अवसर पर भोजपुरी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कर इसका दायरा बढाने की अपील की।
अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रभुनाथ राय ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभूतियों को इस अवसर पर "भोजपुरी रत्न" और "भोजपुरी गौरव" सम्मान से अलंकृत किया गया। अखिल भारतीय भोजपुरी समाज द्वारा आयोजित भोजपुरी महोत्सव-2019 के मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, विशिष्ट अतिथि श्री  बृजेश पाठक, विधि एवं न्याय मंत्री उत्तर प्रदेश, श्री आशुतोष टंडन, चिकित्सा शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश, श्री महेंद्र सिंह, ग्राम्य विकास मंत्री उत्तर प्रदेश, श्रीमती अनुपमा जयसवाल, बेसिक शिक्षा एवं बाल पुष्टाहार मंत्री उत्तर प्रदेश, श्रीमती संयुक्ता भाटिया, महापौर लखनऊ को भोजपुरी रत्न सम्मान से अलंकृत किया गया।
इसी क्रम में डॉ रजनीश दुबे (IAS) प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन, श्री राजन शुक्ला (IAS) प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन, श्री जितेंद्र कुमार (IAS) प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन, श्री कृष्ण कुमार यादव (IPS) निदेशक डाक सेवाएं, लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र, डॉ अमित अग्रवाल, अधीक्षक एसजीपीजीआई लखनऊ, डॉ भुवन चंद्र तिवारी, अधीक्षक डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ, डॉक्टर निर्मेश भल्ला, डॉ एसके श्रीवास्तव, श्री बाबा हरदेव सिंह, पूर्व अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पीसीएस संघ, डॉ एन डी पाठक, निदेशक भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ, श्री आनंद मणि त्रिपाठी, अध्यक्ष अवध बार एसोसिएशन, श्री कुलदीप पति त्रिपाठी, अपर महाधिवक्ता भारत सरकार को "भोजपुरी गौरव सम्मान" से अलंकृत किया गया।

कार्यक्रम का कुशल आयोजन श्री प्रभुनाथ राय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय भोजपुरी समाज एवं समाज के पदाधिकारी श्री मनोज सिंह, श्री राम रतन यादव, श्री संजय सिंह, श्री पीएन तिवारी,श्री हनुमान यादव,श्री अमरीश राय,श्री विजय यादव,श्री अभिषेक राय,श्री सीके प्रसाद, डॉ देवराज सिंह, सुनील सिंह, अंबिका,श्रीमती सुनीता राय, श्री वेद प्रकाश राय, इंजीनियर महेंद्र श्रीवास्तव आदि के नेतृत्व में किया गया । कार्यक्रम का  संचालन श्री रामविलास सिंह यादव  के द्वारा किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत धोबिया नृत्य,फरि नृत्य, कजरी,भोजपुरी कविता पाठ आदि मनमोहक कार्यक्रम कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
(साभार)