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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा द्वारा सम्मान


सम्मान और उपलब्धियाँ व्यक्ति के लिए ऊर्जा का कार्य करती हैं. कई बार सम्मान पर्यटन का भी कारण बनता है. ट्रेनिंग के दौरान मुझे कुछेक समय तक राजस्थान में रहने का मौका मिला था और अब एक लम्बे अंतराल के बाद पुन: राजस्थान जाने का मौका मिला. कारण बना- साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा द्वारा हमारा सम्मान.पिछले तीन वर्षों से आदरणीय देवपुरा जी इस कार्यक्रम के लिए हमें याद कर रहे थे, पर मौका अब जाकर मिला. पिछले वर्ष साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा द्वारा 'हिंदी भाषा-भूषण' की मानद उपाधि से सम्मानित हुआ था तो न जा सका..पर अबकी बार जाने का सु-अवसर मिला. इस वर्ष साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा द्वारा पिता श्री और पत्नी आकांक्षा जी को भी 'हिंदी भाषा-भूषण' की मानद उपाधि से सम्मानित होना था, पर अपरिहार्य कारणोंवश वे न जा सके..सो अकेला सफ़र !! राजस्थान का सफ़र वाकई आनंददायी रहा. गुलाबी शहर जयपुर, झीलों की नगरी उदयपुर, कुम्भलगढ़, चित्तौड़ और अंतत: श्रीनाथद्वारा. कई फोटोग्राफ मैंने फेस-बुक पर भी शेयर किये हुए हैं. राजस्थान की प्रसिद्ध साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिणक संस्था साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा द्वारा हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) पर विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु मुझे ’’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान-2012’’ से सम्मानित किया गया। वैदिक क्रांति परिषद परिवार, देहरादून द्वारा साहित्यानुरागी, निस्पृह समाजसेवी, आर्यनेत्री एवं वैदिक क्रांति परिषद की संस्थापक स्वर्गीया श्रीमती सरस्वती सिंह की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले इस प्रतिष्ठित सम्मान के तहत 11,000/- रुपये की नकद राशि, प्रशस्ति पत्र, शाल व अन्य मानद वस्तुएं प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसी मंच पर साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के अध्यक्ष श्री नरहरि ठाकर एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग व साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा के सभापति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा ने मुझे एक उच्च पदस्थ अधिकारी, सहृदय कवि एवं श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में सारस्वत सम्मान करते हुए भगवान श्रीनाथ का सुशोभित चित्र एवं अभिनन्दन पत्र भी भेंट किया। इस अवसर पर मेरे साथ-साथ वरिष्ठ साहित्यकार प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित (लखनऊ), सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य लेखक प्रेम जनमेजय (नई दिल्ली), वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य डा0 राम गोपाल शर्मा (नोयडा), भारतेन्द्रु परिवार के प्रपौत्र व भूगर्भ शास्त्र अध्येयता प्रो0 गिरीश चन्द्र चौधरी (वाराणसी) को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आप सभी के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए आभारी हूँ !!

शनिवार, 8 सितंबर 2012

कृष्ण कुमार यादव के हाइकु


पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।

सहेजते हैं
सपने नाजुक से
टूट न जाएं।

जीवंत रहे
राधा-कृष्ण का प्रेम
अलौकिक सा।

फिल्मी संस्कृति
पसरी हर ओर
कामुक दृश्य

अपसंस्कृति
टूटती वर्जनाएँ
विद्रूप दृश्य

ये स्वछंदता
एक सीमा तक ही
लगती भली