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शनिवार, 8 सितंबर 2012

कृष्ण कुमार यादव के हाइकु


पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।

सहेजते हैं
सपने नाजुक से
टूट न जाएं।

जीवंत रहे
राधा-कृष्ण का प्रेम
अलौकिक सा।

फिल्मी संस्कृति
पसरी हर ओर
कामुक दृश्य

अपसंस्कृति
टूटती वर्जनाएँ
विद्रूप दृश्य

ये स्वछंदता
एक सीमा तक ही
लगती भली

3 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

waah ...sundar srijan ...sundar haiku ...shubhkamnayen ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुन्दर और सारगर्भित।

Unknown ने कहा…

खुबसूरत हाइकू ...मन को भा गए..बधाई.