कृष्ण कुमार यादव के हाइकु
पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।
सहेजते हैं
सपने नाजुक से
टूट न जाएं।
जीवंत रहे
राधा-कृष्ण का प्रेम
अलौकिक सा।
फिल्मी संस्कृति
पसरी हर ओर
कामुक दृश्य
अपसंस्कृति
टूटती वर्जनाएँ
विद्रूप दृश्य
ये स्वछंदता
एक सीमा तक ही
लगती भली
3 टिप्पणियां:
waah ...sundar srijan ...sundar haiku ...shubhkamnayen ...
बहुत सुन्दर और सारगर्भित।
खुबसूरत हाइकू ...मन को भा गए..बधाई.
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