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शनिवार, 22 सितंबर 2018

थोड़ा स्मार्ट बनें तो लन्दन की तरह हों गोमती के किनारे और हजरतगंज

अपने लखनऊ ने काफी प्रगति की है। यहाँ की तहजीब और नफासत की बात ही निराली है। लखनवी अंदाज की बात भी खूब होती है। परंतु कुछ बातों पर ध्यान दिया जाये तो वाकई इसे और भी खूबसूरत, स्मार्ट सिटी और सिटीजन फ्रेंडली बनाया जा सकता है। मैंने अभी तक दुनिया के 8 देशों की यात्रा की है।  हर जगह की अपनी विशेषतायें हैं। अभी कुछेक साल पहले मैनेजमेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग के सिलसिले में लंदन जाना हुआ। ये  वाकई एक खूबसूरत व सुनियोजित शहर है । देखकर लगा कि काश, लखनऊ के लोगों में भी अपने शहर के प्रति यह सोच होती। इसे खूबसूरत बनाने में आम जन की भी उतनी भी प्रभावी भूमिका है, जितनी सरकार की। लखनऊ में ट्रैफिक की समस्या विकराल है, हर कोई बस अपनी परवाह करता है और प्रशासन को कोसता है। एक जिम्मेदार नागरिक के नाते ट्रैफिक की समझ  की बात ही नहीं होती।

वहीं लंदन में ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर स्वच्छता तक, सामान्य नागरिक के व्यवहार से लेकर प्रशासन की तत्परता तक में स्मार्टनेस दिखाई देती है। हम अपने शहर को तो स्मार्ट सिटी के रूप में  देखना चाहते हैं, पर खुद स्मार्ट नहीं होना चाहते।  लंदन में टेम्स नदी के तटों को जिस तरह से साफ रखकर पर्यटकों के अनुकूल यानी टूरिज्म  फ्रेंडली बनाया गया है, उसी आधर पर गोमती नदी को विकसित किया जा सकता है। लंदन में पर्यटकों को घुमाने के लिये डबल डेकर बसें, गाईड पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं।  लखनऊ में भी इसे लागू किया जा सकता है। 

लखनऊ में पर्यटन की अपार संभावनाएं
लखनऊ में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। टयूब ट्रेन लंदन के पब्लिक ट्रांसपोर्ट की रीढ है, लखनऊ में भी मेट्रो को उसी तर्ज पर विकसित किया जा सकता है। लखनऊ में कचरा निस्तारण एक बड़ी समस्या है।  लोग अपने घरों का कचरा बाहर फेंककर स्वछ्ता की इतिश्री समझ लेते हैं।  हमें इस सोच को बदलना होगा। लंदन की सडकों और गलियों में आप बेफिक्र होकर घूम सकते हैं, पर गंजिंग के लिये मशहूर हज़रतगंज में तो शाम को तिल रखने भी जगह नहीं दिखती। यहाँ व्यवस्थित विकास करने की जरूरत है।  ब्रिटेन की  कैम्ब्रिज व ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी मशहूर है।  काश, लखनऊ के हमारे शैक्षणिक संस्थान उनसे कुछ सीख पाते। इन जगहों को इतना आकर्षक बनाया जाए कि बाहर से आने वाले यात्री इसे देखने के लिए आएं।  लखनऊ विश्विद्यालय की इमारत काफी पुरानी है, इसे भी विकसित किया जा सकता है।  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्विद्यालय (एकेटीयू) का नया परिसर भी काफी आकर्षक बना है। 

बढ़ते अपराध पर रोकथाम जरुरी 
राजधानी होने के बावजूद लखनऊ में अपराध काम नहीं हो रहे हैं।  अपराध की रोकथाम से लेकर महिलाओं के प्रति सोच तक में हम पिछड़े  हुए हैं। 1090 की पहल सराहनीय है, लेकिन इसे और प्रभावी बनाना होगा। अभी भी शाम को बाजार में निकलने वाली महिलाओं को घूरने वालों पर कार्रवाई अपेक्षित है। अंग्रेजों की पुलिसिंग दुनिया में उत्कृष्ट मानी जाती है, उससे सीखने की जरुरत है। इस तरह की सख़्त पुलिसिंग हमें स्मार्ट शहर के रूप में आगे बढ़ाने में मदद करेगी। 

-कृष्ण कुमार यादव
निदेशक डाक सेवाएँ 
लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र, उत्तर प्रदेश

(प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक पत्र "अमर उजाला" के लखनऊ संस्करण में "लखनवी परदेस में' के तहत 17 सितंबर, 2018 को प्रकाशित)