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शनिवार, 28 नवंबर 2015

पति-पत्नी का रिश्ता




पति-पत्नी,
एक बनाया गया रिश्ता,
पहले कभी एक दूसरे को देखा भी नहीं था,
अब सारी जिंदगी एक दूसरे के साथ,
पहले अपरिचित,
फिर धीरे-धीरे होता परिचय,
धीरे-धीरे होने वाला स्पर्श,
फिर
नोकझोंक, झगड़े, बोलचाल बंद,
कभी जिद, कभी अहम का भाव,
फिर धीरे-धीरे बनती जाती प्रेम पुष्पों की माला।
फिर
एकजीवता...तृप्तता,
वैवाहिक जीवन को परिपक्व होने में समय लगता है,
धीरे धीरे जीवन में स्वाद और मिठास आती है,
ठीक वैसे ही जैसे, 
अचार जैसे-जैसे पुराना होता जाता है,
उसका स्वाद बढ़ता जाता है।
पति-पत्नी एक दूसरे  को अच्छी प्रकार
जानने-समझने लगते हैं,
वृक्ष बढ़ता जाता है, बेलाएँ फूटती जातीं हैं,
फूल आते हैं, फल आते हैं,
रिश्ता और मजबूत होता जाता है।
धीरे-धीरे बिना एक दूसरे के अच्छा ही नहीं लगता।
उम्र बढ़ती जाती है, दोनों एक दूसरे  पर
अधिक आश्रित होते जाते हैं,
एक दूसरे के बगैर खालीपन महसूस होने लगता है।
फिर धीरे-धीरे मन में एक भय का निर्माण होने लगता है,
" ये चली गईं तो, मैं कैसे जिऊँगा ? "
" ये चले गए तो, मैं कैसे जिऊंगी  ? "
अपने मन में घुमड़ते इन सवालों के बीच जैसे,
खुद का स्वतंत्र अस्तित्व दोनों भूल जाते हैं।
कैसा अनोखा रिश्ता,
कौन कहाँ का,
एक बनाया गया खूबसूरत रिश्ता
पति-पत्नी का, सात जन्मों के बंधन का रिश्ता !!







यूँ ही हँसते, मुस्कुराते और जीवन में प्रीतिकर रंग भरते एक-दूसरे के साथ 11 साल बीत गए। 
आज हमारी शादी की सालगि‍रह है और आप सभी की शुभकामनाओं और स्नेह के आकांक्षी हैं।

मंगलवार, 24 नवंबर 2015

राजस्थानी भाषा में कविताएँ


अब हमारी कविताएँ राजस्थानी भाषा में भी। राजस्थानी पत्रिका ''माणक'' (नवंबर 2015) में प्रकाशित हमारी कुछेक कविताएँ, जिनका हिंदी से राजस्थानी में अनुवाद जुगल परिहार ने किया है।  आभार !!


संपर्क -
माणक (पारिवारिक राजस्थानी मासिक) :  संपादक - पदम मेहता
माणक प्रकाशन, जालोरी गेट, जोधपुर (राजस्थान) -342003  


सोमवार, 23 नवंबर 2015

क्या एकमात्र डिग्री ही योग्यता का पैमाना है ??

राजनेताओं की शिक्षा हमारे यहाँ सदैव से चर्चा और विवादों का विषय बनती है। यद्यपि संविधान इस सम्बन्ध में मौन है, पर किसी के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या मंत्री बनते ही लोग उनकी योग्यता को उनकी शिक्षा और डिग्री से आंकने लगते हैं। 

पर हम अपने इर्द गिर्द ध्यान से देखें तो तमाम ऐसे उदाहरण मिलेंगे जहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति अपने से निम्न शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों के अधीन कार्य कर रहे हैं। तो क्या यह उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह है ? भारत की सबसे बड़ी सरकारी सेवा आईएस और एलाइड सेवाओं में न्यूनतम योग्यता स्नातक मात्र है और वे अपने विभागों में सर्वोच्च पदों पर बैठते हैं, जबकि कई बार उनके अधीन कार्य करने वाले बड़े-बड़े डिग्रीधारी होते हैं। सामान्यज्ञ बनाम विशेषज्ञ की लड़ाई लम्बे समय से व्यवस्था में चल रही है। 

तमाम व्यवसायी ऐसे मिलेंगे, जो बमुश्किल ही कोई बड़ी डिग्री लिए हों, पर एमबीए की डिग्री वाले उनके अधीन कार्य करते हैं। 

जिन क्रिकेटर्स और फिल्म स्टार्स की एक झलक पाने के लिए लोग लालायित रहते हैं और उनका एक अदद ऑटोग्राफ लेने के लिए ताक लगाये बैठते हैं, उनमें से कई हाईस्कूल फेल हैं। 

यदि डिग्री ही योग्यता का पैमाना होती तो चपरासी,एमटीएस या पोस्टमैन बनने के लिए MBA, BTech, MTech,  व PHD अभ्यर्थी लाइन में न लगे रहते। हमारे एक उच्चाधिकारी का अर्दली बीटेक है। 

मात्र डिग्री ही योग्यता का पैमाना होती तो सचिन तेंदुलकर न कभी क्रिकेट के भगवान बन पाते और न  नरेंद्र मोदी जी सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री होते !!

-कृष्ण कुमार यादव @ शब्द-सृजन की ओर 
Krishna Kumar Yadav @ www.kkyadav.blogspot.com

रविवार, 15 नवंबर 2015

फिर से गुलजार हो पेरिस

दुनिया के सबसे सुन्दर नगरों में से एक और दुनिया की फ़ैशन और ग्लैमर राजधानी माने जाने वाले पेरिस में हुए आतंकी हमले ने तो एक बात फिर से सिद्ध कर दी है कि दुनिया के अधिकतर देश आतंकवाद से ग्रस्त हैं। आतंकी हमले में 127 लोगों की मौत और 180 से ज्यादा घायल लोगों की दर्दनाक दास्ताँ के बीच फ्रांस की हुकूमत ने जिस तरह से इन हमलों को युद्ध मानते हुए और वहाँ के मीडिया से लेकर पक्ष-विपक्ष की राजनीति करने वालों ने जिस तरह से एकता दिखाई है, वह क़ाबिले-तारीफ है। मीडिया ने न खून से सने फोटो छापे और न दहशत फ़ैलाने वाली ख़बरें दिखाईं। बताते हैं कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद फ़्रांस पर यह सबसे बड़ा हमला है और 1944 के बाद वहाँ पहली बार कर्फ्यू लगा है।  इस वर्ष फ़्रांस में हुआ यह छठा आतंकी हमला है और इस बार हुए हमले के बाद पेरिस को सामान्य होने में भी बमुश्किल 6 घंटे लगे। जनवरी 2015 में शार्ली एब्दो पर हुआ हमला अभिव्यक्ति  स्वतंत्रता पर हमला था तो इस बार हुआ हमला फ़्रांस द्वारा सीरिया व इराक में आईएस के खिलाफ छेड़े हुए अभियान के विरूद्ध बताया जा रहा है।  

अभी जुलाई 2015 में हम लोग पेरिस गए थे।  पहली ही नजर में इस नगर की खूबसूरती और वहाँ के लोगों की जीवन शैली प्रभावित करती है। भारत से भी तमाम लोग वहाँ बसे हुए हैं या पर्यटन के लिए जाते हैं। भारत भी आतंकवाद की इस समस्या से ग्रस्त है। वस्तुत: आज आतंकवाद से वैश्विक स्तर पर एकजुटता से लड़ने की जरूरत है, क्योंकि यह रक्तबीज की तरह सर्वत्र फ़ैल रहा है।  एक जगह कुचला जाता है तो दूसरी जगह सर उठाने लगता है।   


…… पेरिस में हुए आतंकी हमले में मारे गए सभी लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना और श्रद्धांजलि। जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उन सभी के प्रति सहानुभूति रखते हुए यही आशा करते हैं कि पेरिस जल्द ही फिर से गुलजार हो।  क्योंकि आतंक तात्कालिक रूप से लोगों को दहशत में तो दाल सकता है. पर लम्बे समय तक मानवता से खिलवाड़ नहीं कर सकता !!

- कृष्ण कुमार यादव @ शब्द-सृजन की ओर 
Krishna Kumar Yadav @ www.kkyadav.blogspot.com/

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

हम दीपावली का त्यौहार क्यूँ मनाते हैं

हम दीपावली का त्यौहार क्यूँ मनाते है?

इसका अधिकतर उत्तर मिलता है राम जी के वनवास से लौटने की ख़ुशी में।

सच है पर अधूरा।  अगर ऐसा ही है तो फिर हम सब दीपावली पर भगवन राम की पूजा क्यों नहीं करते? लक्ष्मी जी और गणेश भगवन की क्यों करते है?

सोच में पड़ गए न आप भी।
तो चलिए, आज दीपावली की पूर्व संध्या पर देखते हैं कि इस पर्व को मनाने के पीछे क्या रहस्य छुपा है।

1. देवी लक्ष्मी जी का प्राकट्य:

देवी लक्ष्मी जी कार्तिक मॉस की अमावस्या के दिन समुन्दर मंथन में से अवतार लेकर प्रकट हुई थी।

2. भगवन विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना:

भगवन विष्णु ने आज ही के दिन अपने पांचवे अवतार वामन अवतार में देवी लक्ष्मी को राजा बालि से मुक्त करवाया था।

3. नरकासुर वध कृष्ण द्वारा: 

इस दिन भगवन कृष्ण ने राक्षसों के राजा नरकासुर का वध कर उसके चंगुल से 16000 औरतों को मुक्त करवाया था। इसी ख़ुशी में दीपावली का त्यौहार दो दिन तक मनाया गया। इसे विजय पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

4. पांडवो की वापसी: 

महाभारत में लिखे अनुसार कार्तिक अमावस्या को पांडव अपना 12 साल का वनवास काट कर वापिस आये थे जो की उन्हें चौसर में कौरवो द्वारा हरये जाने के परिणाम स्वरूप मिला था। इस प्रकार उनके लौटने की खुशी में दीपावली मनाई गई।

5. राम जी की विजय पर : 

रामायण के अनुसार ये चंद्रमा के कार्तिक मास की अमावस्या के नए दिन की शुरुआत थी जब भगवन राम माता सीता और लक्ष्मण जी अयोध्या वापिस लौटे थे रावण और उसकी लंका का दहन करके। अयोध्या के नागरिकों ने पुरे राज्य को इस प्रकार दीपमाला से प्रकाशित किया था जैसा आजतक कभी भी नहीं हुआ था।

6. विक्रमादित्य का राजतिलक:

आज ही के दिन भारत के महान राजा विक्रमदित्य का राज्याभिषेक हुआ था। इसी कारन दीपावली अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना भी है।

7. आर्य समाज के लिए प्रमुख दिन: 

आज ही के दिन कार्तिक अमावस्या को एक महान व्यक्ति स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने हिंदुत्व का अस्तित्व बनाये रखने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी।

8. जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण दिन:

महावीर तीर्थंकर जी ने कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही मोक्ष प्राप्त किया था।

9. सिक्खों के लिए महत्त्व:

तीसरे सिक्ख गुरु गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में मनाया था जिसमे सभी श्रद्धालु गुरु से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे और 1577 में अमृतसर में हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास किया गया था।
1619 में सिक्ख गुरु हरगोबिन्द जी को ग्वालियर के किले में 52 राजाओ के साथ मुक्त किया गया था जिन्हें मुगल बादशाह जहांगीर ने नजरबन्द किया हुआ था। इसे सिक्ख समाज बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी जानते हैं।
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भगवान् गणेश सभी देवो में प्रथम पूजनीय है इसी कारण उनकी देवी लक्ष्मी जी के साथ दीपावली पर पूजा होती है और बाकी सभी कारणों के लिए हम दीपमाला लगाकर दीपावली का त्यौहार मनाते हैं।

अब आपसे एक विनम्र निवेदन की इस जानकारी को अपने परिवार अपने बच्चों से जरूर साँझा करे । ताकि उन्हें दीपावली के महत्त्व की पूरी जानकारी प्राप्त हो सके!
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प्रकाश का पर्व दीपावली आप सभी के जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लाये। अँधेरे से अँधेरे माहौल में भी दिल में आशा की एक लौ जलती रहे। दीपोत्सव पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं !!

बुधवार, 4 नवंबर 2015

राजस्थान साहित्य परिषद ने कृष्ण कुमार यादव को किया सम्मानित


प्रशासन के साथ-साथ हिंदी साहित्य और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ एवं साहित्यकार व लेखक श्री कृष्ण कुमार यादव को राजस्थान साहित्य परिषद् की ओर से सम्मानित किया गया। श्री यादव को यह सम्मान उनके हनुमानगढ़ प्रवास के दौरान राजस्थान साहित्य परिषद, हनुमानगढ़ की तरफ से इसके संस्थापक एवं अध्यक्ष श्री दीनदयाल शर्मा, वरिष्ठ बाल साहित्यकार और सचिव श्री राजेंद्र ढाल ने  शाल ओढ़ाकर, नारियल फल देकर  एवं प्रशस्ति पत्र देकर अभिनन्दन और सम्मानित किया।


         श्री शर्मा ने कहा कि श्री कृष्ण कुमार यादव का हनुमानगढ़ में आगमन सिर्फ एक अधिकारी के रूप में ही नहीं बल्कि साहित्यकार, लेखक और ब्लॉगर के रूप में भी हुआ है और उनके कृतित्व से हम सभी अभिभूत हैं। इस दौरान दून महाविद्यालय, हनुमानगढ़  के प्राचार्य श्री लक्ष्मीनारायण कस्वां, श्रीगंगानगर मंडल के डाक अधीक्षक श्री भारत लाल मीणा सहित तमाम अधिकारीगण और साहित्यकार उपस्थित रहे। 

(प्रस्तुति : राजेंद्र ढाल, सचिव- राजस्थान साहित्य परिषद, हनुमानगढ़ (राजस्थान)