समर्थक / Followers

मंगलवार, 18 जून 2024

University of Allahabad Alumni Meet : इलाहाबाद विश्वविद्यालय एल्युमिनाई मीट में...

देश के जाने माने यूनिवर्सिटी में से एक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रथम आधिकारिक एल्युमिनाई मीट का आयोजन 27 और 28 अप्रैल, 2024 को किया गया।  देश भर में यह विश्वविद्यालय अपनी अलग पहचान रखता है। इस विश्वविद्यालय से निकलकर देश के लगभग सभी क्षेत्र में छात्र-छात्राएं अपनी पहचान बनाए हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की देश में एक अलग पहचान है। इसने देश को तीन प्रधानमंत्री दिए हैं। आज भी इनके कार्यों की सराहना की जाती है। इनमें विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर और गुलजारीलाल नंदा का नाम शामिल है। 

देश के इन दिग्गजों को एक मंच पर लाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से 1996 बैच के पहले पुराछात्रों का एक सम्मेलन आयोजित कराया गया। यहां अब कई दिग्गज एक साथ एक मंच साझा करते हुए अपने जीवन में विश्वविद्यालय के योगदान एवं उसकी यादों को साझा किया। समारोह में सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के कई वर्तमान और सेवानिवृत्त जज शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति पंकज मित्थल, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति वीएन खरे, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विनीत सरन इत्यादि सहित इलाहाबाद होईकोर्ट के 40 जज समेत कई अन्य राज्यों के हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति भी समारोह में शामिल हुए।  इनके अलावा देश-प्रदेश में शीर्ष पदों पर काबिज अफसर, फिल्मी हस्तियाें समेत कई प्रमुख लोग समारोह का हिस्सा बने और पुरानी यादों को ताजा करने के साथ अपने अनुभव साझा किये। 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रथम आधिकारिक एल्युमिनाई मीट (27-28 अप्रैल, 2024) में शामिल हुआ, जिसे कि University of Allahabad Alumni Association (UoAAA) के तत्वावधान में आयोजित किया गया। प्रथम दिन कुलाधिपति श्री आशीष कुमार चौहान, कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, UoAAA के अध्यक्ष प्रो. हेराम्ब चतुर्वेदी और सचिव प्रो. कुमार वीरेंद्र द्वारा दीप प्रज्वलन कर सम्मेलन का औपचारिक शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह में शामिल होने के बाद आर्ट एक्जिबिशन एवं फूड फेस्टिवल, सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया। 











भारतीय हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक और अभिनेता तिग्मांशु धूलिया से भी मुलाकात हुई। उन्होंने अपना कैरियर शेखर कपूर निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन से बतौर अतिथि निर्देशक शुरू किया था। वे भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि कि मैं भले ही मुंबई में रहता हूं लेकिन मेरे दिल में हमेशा इलाहाबाद बसता है।  हमारे जीवन में प्रोफेसर पीके घोष और प्रोफेसर अमर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 




दूसरे दिन शाम को Reminiscences and the Future Ahead : The Open Mike  में अन्य पुरा छात्रों के साथ अपने विचार व्यक्त किये, वहीं देर शाम को मशहूर कवि कुमार विश्वास  सहित संदीप भोला, कविता तिवारी, राजीव राज, प्रियांशु गजेंद्र की कविताओं का आनंद लिया। 





इलाहाबाद विश्वविद्यालय का मेयो बिल्डिंग सबसे प्राचीन बिल्डिंग है. जिसमे पहले मेयो कॉलेज चला करता था. जो कि कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रखता था. लेकिन 23 सितंबर 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना के बाद से ये विश्विद्यालय के विज्ञान संकाय का विभाग बना. जिसमे आज भी भौतिक विज्ञान से सम्बंधित कई शोध कर कीर्तिमान स्थापित किया . इसी बिल्डिंग में ही मैथमेटिक्स की कक्षाएं संचालित होती हैं.






अपने पुराछात्रों के स्वागत के लिए विश्वविद्यालय का परिसर विशेष तरह से सजाया गया। पूरे विश्वविद्यालय को रोशनी में डूबा दिया गया था।  विज्ञान संकाय एवं कला संकाय की शोभा इस कदर झलक रही थी कि मानो चंद्रमा रात में विश्वविद्यालय में उतर गया हो। इसके साथ हिंदी गजल, भजन एवं नृत्य के साथ पुरानियों का स्वागत किया गया।  इनके खान पान का ख्याल रखते हुए फूड कोर्ट एवं प्रदर्शनी भी लगाई गई।  वही दिन में इन पुरानियों की नौका विहार ऊंट की सवारी की व्यवस्था संगम पर की गई। 

आज भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने अंदर इतिहास के तमाम पन्नों और सफलताओं की गाथाओं को संजोये हुए है। यहाँ से निकले पुरा-विद्यार्थियों ने राजनीति, प्रशासन, विधि एवं न्याय, शिक्षा, साहित्य, कला, पत्रकारिता, बुद्धिजीविता, समाज सेवा इत्यादि तमाम क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किये हैं। 











जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर, आज़मगढ़  से 12वीं के बाद हमने भी यहीं से बी.ए (1994-97, राजनीति शास्त्र, दर्शन शास्त्र, प्राचीन इतिहास) और एम.ए. (1997-99, राजनीति शास्त्र) की उपाधि धारण की। वर्ष 2000 की सिविल सेवा परीक्षा में चयन पश्चात वर्ष 2001 में इलाहाबाद हमने छोड़ दिया, परन्तु आज भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय हमारे अंदर जीवंत है। यह से जुड़ी तमाम खट्टी-मीठी यादें अभी को मन को स्पन्दित करती हैं। फ़िलहाल, इस पुरातन छात्र सम्मेलन के बहाने इलाहाबाद वि.वि. में तमाम पुराने भवन रंगरोगन और लाइटिंग के साथ चमक उठे। आशा की जानी चाहिए कि एक दौर में आई.ए.एस और साहित्यकारों की फैक्ट्री माने जाने वाले 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' नाम से विख़्यात इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने उस पुराने वैभव को पाने के लिए भी सजग प्रयास करेगा, जिसके लिए इसकी देश-दुनिया में ख्याति रही है। 





शुक्रवार, 31 मई 2024

Baobab, Parijat and Kalpvriksha Tree : बाओबाब, पारिजात और कल्प वृक्ष...


'पारिजात' और 'कल्प वृक्ष' के नाम से प्रसिद्ध एवं प्रयागराज के झूंसी में पवित्र नदी गंगा के बाएं किनारे पर मिट्टी के एक विशाल टीले पर स्थित अफ्रीका के एडानसोनिया डिजिटाटा प्रजाति के दुर्लभ एवं प्राचीन 'बाओबाब' वृक्ष (Baobab tree of the Adansonia Digitata species) पर प्रयागराज प्रधान डाकघर में आयोजित एक समारोह में 30 मई, 2024 को एक विशेष आवरण व विरूपण का विमोचन किया गया। शेख तकी की मजार के पास मौजूद इस ऐतिहासिक दुर्लभ वृक्ष की आयु  750 से 1350 वर्ष के बीच मानी जाती है और इसके साथ तमाम किवदंतियां और लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इसके तने की मोटाई 17.3 मीटर है और इस वृक्ष का फूल बड़ा तथा फल लंबा और हरे रंग का होता है। कुछ लोग इसे 'विलायती इमली' के नाम से जानते हैं। माघ मास में देश-विदेश  से आने वाले श्रद्धालु इसकी परिक्रमा करके पूजते हैं। यह वृक्ष प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा के अंतर्गत आता है। ऐसे में इस पर विशेष डाक आवरण और विरूपण के माध्यम से इसकी ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता, वैज्ञानिकता और औषधीय गुणों के बारे में देश-दुनिया में प्रसार होगा और इसे शोध और पर्यटन से भी जोड़ने में सुविधा होगी। 

'द ट्री ऑफ लाइफ' के नाम से प्रसिद्ध 'बाओबाब' वृक्ष मूलतः मैडागास्कर, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं। बाओबाब बेशकीमती वृक्ष है, जिसे अफ्रीका में 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि दी गई है और वहां के आर्थिक विकास में इन वृक्षों का विशेष महत्व है। साल में नौ महीने तक बिना पत्ते के रहने वाला दुनिया का यह अद्भूत वृक्ष मेडागास्कर का राष्ट्रीय वृक्ष होने का गौरव प्राप्त कर चुका है। इन्हें एशिया और अन्य भागों में संभवतः पुर्तगालियों द्वारा प्रसारित किया गया। 'बाओबाब' वृक्ष का वैज्ञानिक नाम एडानसोनिया डिजिटाटा है, जो फ्रांसीसी प्रकृति विज्ञानी मिशेल एडनसन के नाम पर आधारित है। एडनसन ने ही सर्वप्रथम इस वृक्ष की विशेषताओं का अध्ययन किया था और उनका वर्णन किया था। इसमें वसन्त ऋतु से लेकर छह महीने तक ही पत्तियाँ रहती हैं, शेष छह महीने तक यह ठूँठ रहता है। इसलिए इसे उल्टा वृक्ष भी कहते हैं। ठूँठ अवस्था में इसे देख कर ऐसा लगता है जैसे इसकी जड़ें ऊपर और डालियाँ नीचे की ओर कर दी गई हैं। बाओबाब के मोटे तने में वर्षा जल को संग्रहीत करने का अनूठा गुण होता है। यह विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है। इसकी प्रमुख विशेषता अतिजीविता है। यह वृक्ष अपने जीवन काल में लगभग 1,20,000 लीटर तक का पानी संग्रह कर सकता है। कहते हैं कि यदि इसे क्षति न पहुँचाई जाय तो यह छह हजार साल तक जीवित रह सकता है। संभवतः इसकी अतिजीविता और विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रहने की विशेषता के कारण इसे 'कल्पवृक्ष' या 'पारिजात' कहा गया है। 










मंगलवार, 21 मई 2024

Tribute to the Founder of JNV's : राजीव गाँधी और नवोदय विद्यालय

आज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी की पुण्यतिथि है। जवाहर नवोदय विद्यालय बनाने के लिए हम नवोदय के लोग राजीव गाँधी जी के सदैव आभारी रहेंगे। वे हमेशा एक ऐसे विजनरी प्रधानमंत्री के रूप में याद किये जायेंगे, जिन्होंने इस देश को समर्पित शिक्षा का उत्कृष्ट मॉडल जवाहर नवोदय विद्यालय दिया। ग्रामीण क्षेत्रों की तमाम प्रतिभाओं को इन नवोदय विद्यालय में न सिर्फ निःशुल्क शिक्षा दी गई, बल्कि हॉस्टल से लेकर रोजमर्रा तक की चीजें निःशुल्क थीं। बस एक ध्येय था कि नवोदय में पढ़े ये बच्चे एक दिन अपनी प्रतिभा से समाज और राष्ट्र को ऊँचाइयों पर ले जाएँगे और समाज ने उन पर जो खर्च किया है, उसका अवदान देंगे। आज भी नवोदय विद्यालय अपनी उसी गरिमा के साथ संचालित हैं। देश-दुनिया में नवोदय से पढ़कर निकले लाखों विद्यार्थी आज समाज व राष्ट्र को नया मुकाम दे रहे हैं। अधिकतर ग्रामीण पृष्ठभूमि के ये विद्यार्थी आज जिन ऊँचाइयों पर हैं, उसका श्रेय नवोदय की नव उदय की उस भावना को जाता है, जहाँ जात-पात, धर्म, अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण जैसे तमाम विभेद भूलकर सब सिर्फ एक सकारात्मक सोच के साथ नए पथ पर अग्रसर होते हैं। आज उस सोच को सलाम करते हुए हम तमाम नवोदयन्स की तरफ से राजीव गाँधी जी की पुण्यतिथि पर भावपूर्ण स्मरण और नमन।

राजीव गांधी जी की उम्र 47 साल थी जब उनकी हत्या हुई और वे मात्र 40 साल के थे जब प्रधानमंत्री बने। हम सब नवोदयन्स राजीव गांधी के ऋणी हैं, ऐसे कई लोग हैं जिनके जीवन और कैरियर में नवोदय का बहुत बड़ा योगदान है। अगर नवोदय विद्यालय न होता तो आज वे वो ओहदा, वो रुतबा, वो सफलता हासिल ही न कर पाते जहां वे आज हैं।

1984 में राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री बने और 1985 में उन्होंने इस देश के ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभाशाली बच्चों को एक उच्च कोटि की शिक्षा मिल सके इस इरादे से नवोदय विद्यालय की नींव रखी....जरा गौर कीजिएगा कि कितनी बेहतरीन व्यवस्था की थी उन्होंने-

- एक जिले में से 6th standard से 80 बच्चों को प्रवेश परीक्षा से चयनित किया जाएगा और बारहवीं तक मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी। 

- उन 80 में से 75 फीसदी सीटें ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए रिजर्व होंगी, ऐसा इसलिए कि अगर ऐसा न होता तो ग्रामीण इलाकों से कम ही लोग Qualify कर पाते।

- इन चयनित बच्चों को राजीव गांधी जिस दून स्कूल में पढ़े थे, ऐसे बोर्डिंग स्कूल में निःशुल्क पढ़ाया जाएगा।

- निःशुल्क माने  सरकार उनको अगले 6 साल के लिए गोद लेगी, भोजन, पढ़ाई, रहना, कपड़ा सब फ्री।

- यहां तक कि टूथ ब्रश, साबुन, हेयर आयल.... सब कुछ फ्री...मानो वे सरकार के बेटे-बेटियाँ हैं।

-पढ़ाई, खेल-कूद, विज्ञान, कला-संस्कृति आदि सब की ट्रेनिंग दी जाती है।

- 9th Standard में Migration होता है जिसके तहत बच्चों को उस राज्य से बाहर किसी और स्कूल में Migrate किया जाता है, ताकि बच्चे अन्य राज्यों की संस्कृति और रहन-सहन को जानें एवं  देश में एकता बढ़े।

- जाति, धर्म, पैसा रसूख के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता, सब को एक नजर से देख जाता है।

- आज देश में 650 से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं, सभी लगभग एक जैसे ही। 

- अब तक 15 लाख से ज्यादा लोग इससे पास आउट हैं। 

- हर वर्ष करीब 400 से ऊपर नवोदयन बच्चे  #IIT के लिए Qualify हो रहे हैं। 

एक अच्छा विचार, एक Innocent Politician ने कैसे लागू किया ये नवोदय विद्यालय एक श्रेष्ठ उदाहरण है इस बात का...

राजीव गांधी जी को उनकी पुण्यतिथि पर हर नवोदयन की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। नमन !!

शनिवार, 18 मई 2024

'द मास्टर्स आफ हेल्थकेयर' का आइएमएस बीएचयू निदेशक प्रो. एस. एन संखवार एवं पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने किया विमोचन

रेडियो सिटी 91.9 FM की ओर से एनुअल हेल्थ मैगजीन 'द मास्टर्स आफ हेल्थकेयर : वाराणसी' का पहला संस्करण लांच किया गया। होटल क्लार्क्स में 17 मई, 2024 को आयोजित एक समारोह में आइएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एस. एन संखवार व वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव मुख्य अतिथि और मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल विशिष्ट अतिथि थे। अतिथियों ने रेडियो सिटी के कार्यक्रम की तारीफ की। मैगजीन में स्थान पाने वाले 16 स्वास्थ्य विशेषज्ञों को बेहतर करने के लिए प्रेरित भी किया। इसमें डा. श्रेयांश द्विवेदी, डा. अंकुर सिंह, डा. मिन्हाज हुसैन, डा. आशीष कुमार गुप्ता, डा. कुमार आशीष, डा. निपू चौरसिया, डा. प्रदीप चौरसिया, अभिनव कटियार, डा. अमित कुमार, डा. कर्म राज सिंह, डा. अमित भास्कर, डा. मनोज कुमार गुप्ता, डा. अविनाश चंद्र सिंह, डा. अनुपम तिवारी, प्रो. पीबी सिंह और डा. शिवाली त्रिपाठी शामिल हैं। 














बताया गया कि मैगजीन का मुख्य उद्देश्य बनारस की जनता को हर क्षेत्र के डाक्टरों के बारे में जानकारी देना है जिससे उन्हें भटकना न पड़े और एक बेहतर इलाज मिल सके। संचालन आरजे नेहा व रागिनी, स्वागत महाप्रबंधक योगेश सिंह व प्रोग्रामिंग हेड रूपेश सिंह ने किया।


शनिवार, 11 मई 2024

मतदान, चिट्ठियाँ और लोकतंत्र : पद्म अलंकृतों ने लिखी पाती, मतदान के लिए अवश्य आना साथी


चिट्ठियों का लोकतंत्र से बड़ा गहरा नाता रहा है। एक दौर था जब प्रत्याशी अपनी बात लोगों तक पहुँचाने के लिए घर-घर पैम्फलेट बाँटते थे, जनता-जनार्दन को पत्र लिखा करते थे और लोगों से मतदान की अपील करते थे। उसमें आत्मीयता थी, जन संवाद था, सहभागिता थी.....उसके बाद टेलीफोन, मोबाईल, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और भी न जाने कितने साधन आते गए ! 



वाराणसी को साहित्य-कला-संस्कृति की नगरी कहा जाता है, यही कारण है कि काशी नगरी में  पद्म अलंकृतों की भी कमी नहीं है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य पद्मभूषण प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी, आध्यात्मिक गुरु महामहोपाध्याय पद्मश्री हरिहर कृपालु त्रिपाठी, संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डा. राजेश्वर आचार्य, ध्रुपद गायक पद्मश्री ऋत्विक सान्याल, सितार वादक पद्मश्री पं. शिवनाथ मिश्र, शास्त्रीय गायिका पद्मश्री सोम घोष, वस्त्र डिजाइनर पद्मश्री श्रीभास सुपाकर, स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहचान रखने वाले पद्मश्री प्रो. के. के. त्रिपाठी, हस्तशिल्पी पद्मश्री गोदावरी सिंह, प्रगतिशील किसान पद्मश्री चंद्रशेखर सिंह जैसे तमाम व्यक्तित्व अपने क्षेत्र में ऊँचाइयों पर हैं। 

'दैनिक जागरण' अख़बार ने एक पहल करते हुए इन तमाम पद्म अलंकृतों को एक बार फिर उस दौर में ले गए, जब ये खूब चिट्ठियाँ लिखा करते थे। वैसे भी पत्र-लेखन अपने आप में साहित्य की विधा है। इन तमाम पद्म अलंकृतों ने परदेसियों को मतदान करने के लिए प्रेरित करने को पत्र लिखा और फिर उन्हें उसी लाल रंग के लेटर बॉक्स में डाला, जिससे उनकी तमाम यादें जुड़ी हुई हैं।

 'जब तक साथ नहीं चलेंगे, उत्साह नहीं बनेगा' से लेकर 'आलाप करो, विलाप व प्रलाप मत करो' और 'मतदान को स्वराज की लड़ाई से कम नहीं समझें' से लेकर 'पहले तलवार से मिलती थी सत्ता,अब वोट ही है ताकत' जैसे क्रन्तिकारी/भावुक आह्वानों के साथ इन महानुभावों ने लोगों से मतदान की अपील की और उन्हें शब्दों में पिरोकर वोटर्स से अपील करते हुए चिट्ठी भी लिखी। 




उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य पद्मभूषण प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Padma Bhushan Prof. Devi Prasad Dwivedi, Ex. Member, Uttar Pradesh Public Service Commission and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region. 



प्रसिद्ध ध्रुपद गायक पद्मश्री ऋत्विक सान्याल और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Renowned Dhrupad Singer Padma Shri Ritwik Sanyal and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.  

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य (ध्रुपद गायक और जलतरंग वादन में महारत हासिल विख्यात संगीतकार) और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Ex. Chairman of Uttar Pradesh Sangeet Natak Academy Padm Shri Dr. Rajeshwar Acharya (Hindustani classical vocalist) and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.
 
पद्मश्री डॉ. चंद्रशेखर सिंह (प्रगतिशील किसान) और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Padm Shri Dr. Chandrashekhar Singh, Member, Spices Board India and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.  


शास्त्रीय गायिका पद्मश्री डॉ. सोमा घोष और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Padma Shri Dr. Soma Ghosh (Indian performer) and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.  
प्रसिद्ध सितार वादक पद्मश्री पं. शिवनाथ मिश्र और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Renowned  Sitar Player Padma Shri Pandit Shivnath Mishra and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.  


स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान रखने वाले पद्मश्री प्रो. के. के. त्रिपाठी और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Padma Shri Dr. KK Tripathi and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.  


आध्यात्मिक गुरु महामहोपाध्याय पद्मश्री हरिहर कृपालु त्रिपाठी और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Spiritual Guru Padma Shri Harihar Kripalu Tripathi and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.  

हस्तशिल्पी पद्मश्री गोदावरी सिंह और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Padma Shri Godawari Singh (Craft Wood Toy Maker) and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.  


प्रसिद्ध वस्त्र डिजाइनर पद्मश्री श्रीभास सुपाकर और वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव।
Padma Shri Sribhas Chandra Supakar and Sh. Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, Varanasi Region.