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शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

Navodaya Vidyalaya Foundation Day : नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस पर BHU वाराणसी में हुआ एल्मुनि मीट का आयोजन, पुरा विद्यार्थियों ने स्कूली दिनों की यादों को किया ताजा

 हम नव युग की नई भारती, नई आरती

हम स्वराज्य की ऋचा नवल, भारत की नवलय हों

नव सूर्योदय, नव चंद्रोदय, हमी नवोदय हों। 

नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस (13 अप्रैल) और एल्युमिनाई मीट समारोह का आयोजन वाराणसी में बीएचयू स्थित शताब्दी कृषि भवन में किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश,असम इत्यादि विभिन्न राज्यों के 600 से ज्यादा पुरातन नवोदय विद्यार्थी शामिल हुए और अनेकता में एकता की विशिष्टता को रेखांकित करते हुए स्कूली दिनों की यादों को ताजा किया। बीएचयू के कुलगीत, नवोदय प्रार्थना, स्वागत गीत के बीच अतिथियों ने पं. मदन मोहन मालवीय और नवोदय विद्यालय के संस्थापक राजीव गाँधी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 




कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि अप्रैल, 1986 में दो नवोदय विद्यालयों से आरंभ हुआ यह सफर आज 661 तक पहुँच चुका है। देश भर में नवोदय विद्यालय के 16 लाख से अधिक पुरा विद्यार्थियों का नेटवर्क समाज को नई दिशा देने के लिए तत्पर है। आज नवोदय एक ब्रांड बन चुका है। राजनीति, प्रशासन, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, सैन्य सेवाओं से लेकर विभिन्न प्रोफेशनल सेवाओं, बिजनेस और सामाजिक सेवाओं में नवोदयन्स पूरे भारत ही नहीं वरन पूरी दुनिया में अपना अलग मुकाम बना रहे हैं। श्री यादव ने कहा कि अमृतकाल में भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने में नवोदयन्स की अहम भूमिका है। नवोदय विद्यालय एक सरकारी संस्थान होने के बावजूद उत्कृष्ट शिक्षा और बेहतर परीक्षा परिणामों की वजह से आज शीर्ष पर है।

बरेका में चीफ इंजीनियर श्री रणविजय सिंह ने कहा कि हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में नवोदय का बहुत योगदान रहा है। हम वहाँ ज़िंदगी को समझना और सही मायनों में जीना सीखते हैं। 

श्री काशी विश्वनाथ धाम में सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट श्री विनोद सिंह ने कहा कि नवोदय परिवार आज भी बेहद संगठित है और लोग एक दूसरे से दिल से जुड़े हैं। सुख-दुःख में एक दूसरे के साथ जिस तरह से खड़े रहते हैं, वह मन में हैरत ही नहीं गर्व भी पैदा करता है। 


सम्मानित होने वाले नवोदयंस- इस अवसर पर नवोदय विद्यालय के पुरा विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव, बीएचयू हिंदी विभाग प्रोफेसर डॉ. सत्यपाल शर्मा, फिजिक्स प्रोफ़ेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार, बरेका चीफ इंजीनियर रणविजय सिंह, श्री काशी विश्वनाथ धाम में सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट विनोद सिंह, डीआरएम ऑफिस में इंजीनियर अभिषेक सिंह, बिजली विभाग अधिशाषी अभियंता चंद्रशेखर चौरसिया, सर सुन्दरलाल चिकित्सालय, बीएचयू में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर ममता मिश्रा, मंचीय कवि दानबहादुर सिंह, एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज गौतम, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. सत्यपाल यादव, पुलिस उप निरीक्षक सुनील गौड़, डॉ. प्रदीप गौतम, विमलेश कुमार, अमित त्रिपाठी इत्यादि सम्मानित हुए।























कार्यक्रम में मंचीय कवि दानबहादुर सिंह ने अपनी कविताओं से शमां बांधा वहीं तमाम पुरा विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति कर लोगों का दिल जीत लिया।  


कार्यक्रम का संयोजन सोमेश चौधरी, महेंद्र मिश्र 'मोहित', शालिन्दी और देवव्रत ने किया, वहीं संचालन अनुराधा व अभिषेक ने किया।


















सोमवार, 3 अप्रैल 2023

साहित्य और चिट्ठियों दोनों का ही संवेदनाओं से अटूट रिश्ता : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में 'उपनिधि' पत्रिका के डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियां विशेषांक का हुआ लोकार्पण

ज्ञान गरिमा सेवा न्यास के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला सभागार में 'उपनिधि' पत्रिका के डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियां विशेषांक एवम गौरीशंकर वैश्य विनम्र की बाल पुस्तक फुर्र फुर्र का लोकार्पण, कवि सम्मान एवं काव्य संगम समारोह का आयोजन 2 अप्रैल, 2023 को किया गया। पत्रिका व पुस्तक का लोकार्पण उत्तर प्रदेश के पूर्व चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा, वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव, समाज कल्याण विभाग के निदेशक श्री पवन कुमार, संयुक्त आयुक्त जीएसटी श्री पंकज के. सिंह और सम्पादक श्री सुबोध कुमार दुबे ने किया। इस अवसर पर डाक विभाग से जुड़े साहित्यकारों और उनके परिजनों को सम्मानित भी किया गया।

बतौर मुख्य अतिथि पूर्व चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा ने कहा कि डाक विभाग का जनसरोकारों से अटूट नाता है। डाक विभाग के तमाम अधिकारी -कर्मचारी साहित्य सृजन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।  'उपनिधि' पत्रिका ने डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियों पर विशेषांक प्रकाशित कर महनीय कार्य किया है। डाक कर्मियों के साहित्य का राष्ट्रीय स्तर पर भी एक संकलन लाए जाने की आवश्यकता है।

चर्चित साहित्यकार एवं वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि साहित्य और सृजन के क्षेत्र में डाक विभाग की विभूतियों का योगदान अहम् है। साहित्य और चिट्ठियों दोनों का ही संवेदनाओं से अटूट रिश्ता है। यही कारण है कि साहित्य, कला, संस्कृति की तमाम मशहूर शख्सियतें डाक विभाग की गोद में अपनी काया का विस्तार पाने में सफल रहीं। आज़ादी के अमृत काल में डाक टिकटों के माध्यम से साहित्यिक विभूतियों और सांस्कृतिक विरासत से युवा पीढ़ी को जोड़ने में डाक विभाग की अहम भूमिका है। पत्र-लेखन के माध्यम से भी डाक विभाग ने साहित्य को नए आयाम दिए। श्री यादव ने कहा कि देश की संचार व्यवस्था के साथ सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, साहित्य, कला और संस्कृति के प्रसार और स्वाधीनता आंदोलन में भी डाक विभाग की अहम भूमिका रही है। जिस प्रकार से डाक विभाग देश भर के लोगों को जोड़ने का कार्य करता है, उसी प्रकार साहित्य भी संवेदना और संवाद के वाहक के रूप में लोगों को जोड़ने का कार्य करता है। साहित्य और प्रशासन दोनों ही पत्रों के बिना अधूरे हैं। इन पत्रों में छुपा मर्म कई बार नई राह दिखाता है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चर्चित साहित्यकार एवं उत्तर प्रदेश शासन में निदेशक समाज कल्याण श्री पवन कुमार ने कहा कि डाक सेवाएँ आम जन से जुड़ी हुई हैं। पत्रों के माध्यम से न सिर्फ संवाद होता है बल्कि लोगों की कई समस्याओं का निस्तारण भी होता है। डाक विभाग की तत्परता और संवेदनशीलता के चलते सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा है। उन्होंने डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रहे शमशुर्रहमान फारूकी की स्मृतियों को ताजा करते हुए बताया की उन्होंने उनकी पहली पुस्तक पर आशीर्वचन स्वरूप प्राक्कथन लिखा था।     



ज्ञान गरिमा सेवा न्यास अध्यक्ष श्री सुबोध कुमार दुबे ने बताया कि उपनिधि पत्रिका ने अपने 24 वर्षों के सफर में तमाम महत्वपूर्ण विषयों पर अंक प्रकाशित किये। उत्तर प्रदेश डाक परिमंडल की साहित्यिक विभूतियाँ विशेषांक में स्मरण खंड के तहत कृष्ण बिहारी नूर, पद्मश्री शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी, डॉ. रामाश्रय सविता, राम देव लाल विभोर तो प्रेरणा खंड में सेवानिवृत्त हो चुके दयानंद जड़िया, राम किशोर तिवारी, ज्योति शेखर, गौरीशंकर वैश्य विनम्र और संभावना खंड के तहत वर्तमान में सेवारत पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव, अखंड प्रताप सिंह इत्यादि के साहित्यिक कृतित्व को सहेजा गया है।     

कार्यक्रम के अंत में कवि सम्मान एवं काव्य संगम समारोह का भी आयोजन किया गया। तमाम कवियों ने अपनी रचनाओं से शमां बांधा और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया। संचालन राम किशोर तिवारी ने किया। इस दौरान  शुभम दुबे, विनोद सिंह, आकाश सिंह, श्रीकांत पाल, संदीप यादव सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।