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सोमवार, 15 अप्रैल 2024

'उपनिधि' पत्रिका के काशी विशेषांक का पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव, वरिष्ठ लेखिका डॉ. मुक्ता, विद्याश्री न्यास के अध्यक्ष दयानिधि मिश्रा ने किया विमोचन

ज्ञान-अध्यात्म-दर्शन की त्रिवेणी के साथ-साथ काशी में साहित्य-कला-संस्कृति की त्रिवेणी भी सदियों से निरंतर प्रवाहमान है। गंगा नदी के तट पर अवस्थित काशी नगरी अपने कण-कण में पौराणिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ज्ञान की अमृत धारा लिए हुए है। यही कारण है कि इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। आधुनिक हिन्दी के विकास में काशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने ज्ञान गरिमा सेवा न्यास के तत्वावधान में 'उपनिधि' पत्रिका के काशी विशेषांक के विमोचन अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये। 

सरस्वती इण्टरमीडिएट कालेज, सुड़िया, बुला नाला, वाराणसी के प्रांगण में 14 अप्रैल, 2024 को  आयोजित समारोह में 'उपनिधि' पत्रिका के काशी विशेषांक का विमोचन वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव, वरिष्ठ लेखिका डॉ. मुक्ता, विद्याश्री न्यास के अध्यक्ष श्री दयानिधि मिश्रा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राम सुधार सिंह, डॉ. जय प्रकाश मिश्र, सम्पादक श्री सुबोध कुमार दुबे 'शारदानंदन' द्वारा किया गया। इस अवसर पर काशी से जुड़े साहित्यकारों और कवियों को सम्मानित भी किया गया, वहीं काव्य-सरिता भी बही। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि काशी संत कबीर, संत रैदास, संत तुलसीदास से लेकर भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद की भूमि रही है। काशी की संस्कृति सबको सहेजते हुए सदियों से लोगों की चेतना को स्पंदित करती रही है। धर्म और अध्यात्म नहीं बल्कि साहित्यिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक गतिविधियों का भी सदियों से केंद्र रहा है। उपनिधि के काशी विशेषांक में संकलित सामग्री काशी के अतीत से लेकर वर्तमान में हुए विकास तक की वृहद गाथा का प्रामाणिक दस्तावेज है। 

आचार्य रामचंद्र शुक्ल की प्रपौत्री एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुक्ता ने बतौर मुख्य अतिथि 'उपनिधि' पत्रिका द्वारा काशी के विभिन्न आयामों को सहेजते हुए विशेषांक निकालने की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य के विकास में लघु पत्रिकाओं का योगदान अतुलनीय है। आज का दौर भले ही सोशल मीडिया का हो लेकिन पत्र-पत्रिकाओं का महत्व अपनी जगह स्थायी है। लघु पत्रिकाओं का प्रसार क्षेत्र भले ही सीमित रहा हो लेकिन उनमें साहित्य सेवा की संभावनाएं सदैव से असीमित रही हैं। उसी क्रम में 'उपनिधि' पत्रिका का काशी विशेषांक भी है। काशी अत्यन्त प्राचीन, धार्मिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहरों से पूर्ण है, ऐसे में यह विशेषांक मील का पत्थर साबित होगा। 

अध्यक्षीय संबोधन में साहित्य भूषण डा. दयानिधि मिश्र ने कहा कि काशी स्वयंभू है और संसार को जब-जब किसी समस्या विशेष के समाधान की आवश्यकता हुई है तब-तब काशी ने आगे बढ़कर मार्गदर्शन किया है। यही काशी की मूल पहचान है। उन्होंने कहा कि कोई भी पत्रिका लघु नहीं होती, क्योंकि वह एक व्यापक स्वरुप को अपने में समेटती है। काशी की धरती से तमाम पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ है और ये सभी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवंत दस्तावेज का काम करेंगी।   

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राम सुधार सिंह ने कहा कि उपनिधि पत्रिका ने काशी पर विशेषांक निकालकर यहाँ की संस्कृति और साहित्यिक विरासत से युवाओं को जोड़ने का कार्य किया है। ज्ञान गरिमा सेवा न्यास अध्यक्ष श्री सुबोध कुमार दुबे ने बताया कि उपनिधि पत्रिका ने अपने 25 वर्षों के सफर में तमाम महत्वपूर्ण विषयों पर अंक प्रकाशित किये। 

कार्यक्रम में काशी के वरिष्ठ एवं युवा साहित्यकारों का सम्मान ज्ञान गरिमा सेवा न्यास की ओर से किया गया। सम्मानित किए जाने वाले रचनाकारों में डा. शशिकला त्रिपाठी, डा. जयप्रकाश मिश्र, नवगीतकार सुरेंद्र वाजपेयी, गजलकार धर्मेंद्र गुप्त साहिल एवं अरविन्द मिश्र हर्ष', सूर्य प्रकाश मिश्र, डा. आनंद पाल राय, गौतम चंद्र अरोड़ा 'सरस' शामिल रहे। कार्यक्रम के अंत में काव्य संगम समारोह का भी आयोजन किया गया। तमाम कवियों ने अपनी रचनाओं से शमां बांधा और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया। संचालन श्री राम किशोर तिवारी ने किया।









आधुनिक हिन्दी के विकास में काशी का महत्वपूर्ण योगदान - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

ज्ञान-अध्यात्म-दर्शन की त्रिवेणी के साथ-साथ काशी में साहित्य-कला-संस्कृति की त्रिवेणी भी सदियों से प्रवाहमान- पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

 हिंदी साहित्य के विकास में लघु पत्रिकाओं का योगदान अतुलनीय - डॉ. मुक्ता 

'उपनिधि' पत्रिका के काशी विशेषांक का हुआ विमोचन

रविवार, 14 अप्रैल 2024

JNV Foundation Day : Navodaya Vidyalaya is working towards shaping the golden future of India - Krishna Kumar Yadav, Postmaster General


नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस (13 अप्रैल) समारोह का आयोजन वाराणसी में बीएचयू स्थित केएन उडुप्पा हॉल में किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश,असम इत्यादि विभिन्न राज्यों के 500 से ज्यादा पुरा नवोदय विद्यार्थी शामिल हुए। उन्होंने अपने यादगार अनुभव साझा किये वहीं नवोदय विद्यालय की प्रगति के विभिन्न आयामों पर भी चर्चा हुई। 




बीएचयू के कुलगीत, नवोदय प्रार्थना, स्वागत गीत के बीच अतिथियों ने पं. मदन मोहन मालवीय और नवोदय विद्यालय के संस्थापक राजीव गाँधी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने 66 नवोदयन्स लोगों को सम्मानजनक उपलब्धियों के लिए  'नवोदय रत्न' से भी सम्मानित किया। 










अपने सम्बोधन में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि 13 अप्रैल, 1986 को दो नवोदय विद्यालयों से आरंभ हुआ यह सफर आज 661 तक पहुँच चुका है। नवोदय विद्यालय एक सरकारी संस्थान होने के बावजूद उत्कृष्ट शिक्षा व बेहतर परीक्षा परिणामों की वजह से आज शीर्ष पर है। 'वसुधैव कुटुंबकम्' एवं 'शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए' की भावना से प्रेरित नवोदय में जाति, संप्रदाय, क्षेत्र से परे सिर्फ राष्ट्रवाद की भावना है। देश भर में नवोदय विद्यालय के 16 लाख से अधिक पुरा विद्यार्थियों का नेटवर्क समाज को नई दिशा देने के लिए तत्पर है। राजनीति, प्रशासन, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, सैन्य सेवाओं से लेकर विभिन्न प्रोफेशनल सेवाओं, बिजनेस और सामाजिक सेवाओं में नवोदयन्स पूरे भारत ही नहीं वरन पूरी दुनिया में पहचान बना रहे हैं। आज नवोदय एक ब्रांड बन चुका है। 


श्री यादव ने कहा कि हमारे व्यक्तित्व और कैरियर के निर्माण में नवोदय का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यदि मैं नवोदय में नहीं रहता तो शायद ही यहाँ तक पहुँच पाता। ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को आगे बढ़ने में नवोदय का अहम योगदान है। नवोदय विद्यालय से निकले लगभग 30 साल हो गए पर अभी भी वही लगाव और अपनत्व बरकरार है। नवोदय ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है, अब 'पे बैक टू सोसाइटी' की जरुरत है। भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने में नवोदयन्स की अहम भूमिका है। विद्यार्थियों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि अध्ययन के साथ-साथ रचनात्मकता भी बहुत जरूरी है। रचनात्मकता ही हमें जिज्ञासु बनाती है और संवेदनशीलता को बरकरार रखती है। सही दिशा और बेहतर प्रयास के साथ इच्छाशक्ति जितनी मजबूत होगी, उतनी ही तेजी से सफलता कदम चूमेगी। 









कार्यक्रम में मंचीय कवि दानबहादुर सिंह ने अपनी कविताओं से शमां बांधा वहीं सौम्या श्रीवास्तव, परिणिति गोस्वामी, रुश्पा, सृष्टि, शिवम सहित तमाम पुरा विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति कर लोगों का दिल जीत लिया। स्वागत भाषण आईएमएस बाल रोग विभाग अध्यक्ष डॉ. सुनील राव ने दिया, कार्यक्रम का संयोजन सोमेश चौधरी, शालिन्दी और अमन वर्मा  ने किया, वहीं संचालन अनुराधा व दिव्य लक्ष्मी ने किया। समारोह को यादगार बनाने के लिए लगी सेल्फी प्वाइंट ने भी सबका ध्यान आकर्षित किया, जहाँ 'हमीं नवोदय हों' की भावना के साथ जुटे नवोदयन्स अपनी सेल्फी लेकर सुनहरी यादों को मोबाइल में कैद करते रहे। 




'नवोदय रत्न' से 66 लोग सम्मानित- पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव, बीएचयू हिंदी विभाग प्रोफेसर डॉ. सत्यपाल शर्मा, डॉ. अवनीश राय, नवोदय एल्युमिनाई वेलफेयर एसोसिएशन (नवा) अध्यक्ष श्री घनश्याम यादव, फिजिक्स प्रोफ़ेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार, डॉ. सुनील राव, सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट श्री विनोद सिंह, उप जिलाधिकारी राजातालाब सुश्री सुनीता गुप्ता, समीक्षा अधिकारी श्री रत्नेश मौर्या  डिप्टी रजिस्ट्रार बीएचयू  श्री ब्रजेश त्रिपाठी, सिविल जज मनीष राना, इंजीनियर अभिषेक सिंह, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर ममता मिश्रा, कवि दानबहादुर सिंह, एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज गौतम, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. सत्यपाल यादव, श्री शिव प्रसाद बर्नवाल, श्री सरफराज अहमद, श्री हरिलाल, डॉ.अभय प्रताप यादव, विमलेश कुमार सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 66 नवोदयन्स सम्मानित हुए।