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बुधवार, 27 मई 2009

नेहरु चाचा आओ ना (पुण्य-तिथि पर)


नेहरु चाचा आओ ना
दुनिया को समझाओ ना
बच्चे कितने प्यारे होते
कोई उन्हे सताये ना

नेहरु चाचा आओ ना
मधु मुस्कान दिखाओ ना
तुम गुलाब की खुशबू हो
बचपन को महकाओ ना

नेहरु चाचा आओ ना
उजियारा फैलाओ ना
देशभक्त हों, पढें लिखें
ऐसा पाठ पढाओ ना

नेहरु चाचा आओ ना !!

शनिवार, 23 मई 2009

अमेरिका से आरम्भ होकर आज विश्वभर में गूंजेगा मानस पाठ

भारत प्राचीन काल से ही ‘वसुधैव कुटुंबकम‘ का परिपालक रहा है। भारत की पवित्र भूमि पर मानवीय अवतार लेकर तमाम देवी-देवताओं ने भी यहीं से इसकी अलख जगाई। रामचरित मानस की महिमा से भला कौन अपरिचित होगा। भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कोने-कोने में तुलसीदास रचित रामचरितमानस को बड़ी श्रद्धा के साथ पढ़ा व देखा जाता है। अब इसी रामचरितमानस के वैश्विक अखंड पाठ का आगाज 23 मई 2009 को डालास, अमेरिका में वहां के समयानुसार अपरान्ह 2 बजे किया जा रहा है। वस्तुतः इसके अन्तर्गत दुनिया में प्रचलित सभी टाइमजोनों में हिंदी जानने वाले प्रवासी भारतीयों को एक चक्र में जोड़कर मानस विश्व परिक्रमा की योजना बनाई गई है, जिसमें कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक देश के भारतीयों को दूसरे देश और दूसरे को तीसरे फिर क्रमशः जोड़ कर यह अखंड पाठ पूरा किया जायेगा। इस वैश्विक अखंड मानस पाठ में टाइम जोन के मुताबिक दो-दो घंटे में विभिन्न देश एक दूसरे से जुड़ते जायेंगे। डालास से आरम्भ होकर दो घंटे बाद अमेरिका के ही कैलीफोर्निया में मानस प्रेमी पाठ से जुड़ जायेंगे। जिस समय कैलीफोर्निया में दो घंटे पूरे हो रहे होंगे फीजी के हवाई शहर में सुबह के 11 बजे होंगे। फीजी के लोग कैलीफोर्निया से जुड़ कर आगे का पाठ शुरू करेंगे। दो घंटे बाद जब आस्ट्रेलिया में प्रातः के 11 बजेंगे, वहां के लोग फीजी से जुड़ कर अखंड पाठ को आगे बढ़ाएंगे। इसी क्रम में सिंगापुर, भारत, माॅरीशस, अफ्रीका (नाइजीरिया), यूके (लंदन) जुड़ते जायेंगे। यहां से जब 24 मई को फिर से मानस पाठ अमेरिका के डालास में वापस लौटेगा तब वहां प्रातः 10 बज रहे होंगे। यहां दो घंटे पाठ चलेगा और इस तरह पूरी हो जायेगी रामचरित मानस के अखण्ड पाठ की अनोखी विश्व परिक्रमा।

भारत के तीन शहर भी इस अनूठे मानस पाठ विश्व परिक्रमा से जोड़े गये हंै। सिंगापुर से पहले 24 मई को वाराणसी प्रातः 10ः30 बजे जुड़ेगा। डेढ़ घंटे बाद अर्थात 12 बजे दोपहर को दिल्ली में शुरू होगा। यहां चार घंटे पाठ चलेगा। सांय 4 बजे मुंबई जुड़ जायेगा जहां दो घंटे पाठ चलेगा। मुंबई से जुड़ कर नाइजीरिया के प्रवासी भारतीय वहां के समयानुसार सांय 3 बजे पाठ शुरू कर देंगे।

इस पवित्र अभियान के पीछे डालास में साटवेयर कंपनी ‘मिगमैक्स‘ चला रहे भारतीय मूल के प्रबंधन गुरू डा0 नंदलाल सिंह एवं उनके साथी शैलेश मिश्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कांफ्रेंसिंग का एक ऐसा विशेष साफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे एक देश के लोग जहां से पाठ खत्म कर रहे होंगे दूसरे देश के लोग उसके पहले से ही उनके साथ पाठ शुरू कर देंगे। इस प्रकार जब दो देशों के लोग पाठ करने के लिए जुड़ रहे होंगे उस संधिकाल में कम से कम दस मिनट तक दोनों देशों में संयुक्त पाठ चल रहा होगा। बतौर डा0 नंदलाल सिंह- ‘‘ रामचरितमानस के वैश्विक अखंड पाठ का अपने आप में यह प्रथम अभिनव प्रयास है जिससे संपूर्ण विश्व में मानस पाठ के माध्यम से वैश्विक सांस्कृतिक एकता मजबूत होगी और भारतीय संस्कृति व हिंदी का भी प्रचार होगा।‘

मंगलवार, 12 मई 2009

भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा द्वारा कृष्ण कुमार यादव को 'श्री प्यारे मोहन स्मृति सम्मान'

भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा युवा साहित्यकार एवं भारतीय डाक सेवा के अधिकारी श्री कृष्ण कुमार यादव को बाल साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के मद्देनजर ‘‘श्री प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘ से सम्मानित किया गया। इस सम्मान के तहत श्री यादव को भारतीय बाल कल्याण संस्थान के अध्यक्ष श्री रामनाथ महेन्द्र ने स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्रम्, प्रशस्ति पत्र एवं नकद राशि देकर विभूषित किया। गौरतलब है कि श्री यादव को यह सम्मान रामपुर में आयोजित 44वें बाल साहित्यकार सम्मान समारोह में दिया जाना था, पर अस्वस्थता के चलते श्री यादव वहाँ सम्मान लेने नहीं पहुँच सके थे।


इसी क्रम में कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में यह सम्मान श्री यादव को प्रदान किया गया। उक्त अवसर पर भारतीय बाल कल्याण संस्थान के अध्यक्ष श्री रामनाथ महेन्द्र, उपाध्यक्ष श्री शम्भूनाथ टण्डन, महामंत्री श्री हरिभाऊ खाण्डेकर, प्रसिद्व बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबन्धु सहित तमाम साहित्यकार उपस्थित रहे।

(रिपोर्ट: डा0 राष्ट्रबन्धु, सम्पादक-बाल साहित्य समीक्षा, 109/309, रामकृष्ण नगर,कानपुर)

रविवार, 10 मई 2009

'मानस संगम' और 'उत्कर्ष अकादमी' द्वारा कृष्ण कुमार यादव का 'क्रांति-दिवस' पर सम्मान

क्रांति-दिवस 9 मई, के अवसर पर कृष्ण कुमार यादव का प्रतिष्ठित संस्था "मानस संगम" और "उत्कर्ष अकादमी" द्वारा सम्मान किया गया। पिछले वर्ष 9 मई के दिन ही कृष्ण कुमार यादव द्वारा संपादित पुस्तक "क्रांति यज्ञ: 1857-1947 की गाथा" का भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री श्री श्री प्रकाश जायसवाल और संचार राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कानपुर में एक भव्य समारोह में विमोचन किया गया था. इस अवसर पर 7 सगी अनवरी बहनों ने सद्भाव की मिसाल पेश करते हुए वन्दे-मातरम गीत प्रस्तुत किया और तत्पश्चात "मानस संगम" के संयोजक डा. बद्री नारायण तिवारी और उत्कर्ष अकादमी के निदेशक डा. प्रदीप दीक्षित के सान्निध्य में कृष्ण कुमार यादव को अंगवस्त्रम, स्मृति-चिह्न और नारियल के साथ "मानस संगम" द्वारा ही प्रकाशित पुस्तक "क्रांति-यज्ञ" की प्रति विमोचन के एक वर्ष पूरे होने पर भेंट की गई.

( रिपोर्ट: सुरेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व अध्यक्ष-बार एसोसिअशन कानपुर, महामंत्री-मानस संगम)

"बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" का विमोचन

लेखन क्षेत्र में दिनों-ब-दिन चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं और इन चुनौतियों के बीच ही लेखक का व्यक्तित्व उभर कर सामने आता है। प्रशासनिक पद पर रहकर साहित्य साधना निश्चित ही दुरूह कार्य है पर इस दुरूह कार्य को भी सफलता पूर्वक कर दिखाया है भारतीय डाक सेवा के युवा प्रशासनिक अधिकारी कृष्ण कुमार यादव ने। श्री यादव की इस बात के लिए विशेष सराहना की जानी चाहिए कि जहाँ पद्य की तुलना में गद्य लिखना कहीं अधिक मुश्किल कार्य है, वहीं अब तक एक काव्य, दो निबंध-संग्रह और क्रांतियज्ञ जैसी पुस्तकें लिखकर श्री यादव अपनी सशक्त रचनाधिर्मिता का परिचय दे चुके हैं। उनका लेखन पाठकों के मन को छू जाता है और यही एक लेखक की वास्तविक सफलता होती है। उक्त उदगार सुविख्यात साहित्यकार पद्मश्री अलंकृत गिरिराज किशोर जी ने युवा प्रशासक एवं साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व पर उमेश प्रकाशन, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित एवं पं0 दुर्गा चरण मिश्र द्वारा सम्पादित ''बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव'' नामक पुस्तक के 9 मई 2009 को ब्रह्मानन्द डिग्री कालेज, कानपुर के प्रेक्षागार में आयोजित लोकार्पण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। श्री किशोर ने कहा कि अल्पायु में ही श्री कुष्ण कुमार यादव ने उच्च प्रशासनिक पद की तमाम व्यस्तताओं के बीच जिस तरह साहित्य की ऊँचाइयों को भी स्पर्श किया है वह समाज और विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। ऐसे युवा व्यक्तित्व पर इतनी कम उम्र में पुस्तक का प्रकाशन स्वागत योग्य है।

समारोह की अध्यक्षता अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति उ0प्र0 के संयोजक एवं मानस संगम के प्रणेता डा0 बद्री नारायण तिवारी ने अपने सम्बोधन में कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को सराहा और कहा कि ‘क्लब कल्चर‘ एवं अपसंस्कृति के इस दौर में जब अधिसंख्य प्रशासनिक अधिकारी बिना प्रभावित हुए नहीं रह पाते तो ऐसे में हिन्दी-साहित्य के प्रति अटूट निष्ठा व समर्पण शुभ एवं स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि यह साहित्य जगत का सौभाग्य है कि उसे श्री यादव के रूप में एक और हीरा मिल गया है। उसे सहेज कर रखना औेर आगे बढ़ाना हमारी सबकी जिम्मेदारी है। डा0 तिवारी ने कहा कि जो लोग अच्छा कार्य कर रहे हैं उन्हें आगे बढ़ाना ही होगा यह चापसूसी नहीं बल्कि हम सबका दायित्व है।
समारोह में उपस्थिति लब्धप्रतिष्ठित विद्धतजनों ने कृष्ण कुमार यादव के कृतित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। डा0 सूर्य प्रसाद शुक्ल ने कहा कि श्री यादव भाव, विचार और संवेदना के कवि हैं। उनके भाव बोध में विभिन्न तन्तु परस्पर इस प्रकार संगुम्फित हैं कि इन्सानी जज्बातों की, जिन्दगी के सत्यों की पहचान हर पंक्ति-पंक्ति और शब्द-शब्द में अर्थ से भरी हुई अनुभूति की अभिव्यक्ति से अनुप्राणित हो उठी है। वरिष्ठ साहित्यकार डा0 यतीन्द्र तिवारी ने कहा कि आज के संक्रमणशील समाज में जब बाजार हमें नियमित कर रहा हो और वैश्विक बाजार हावी हो रहा हो ऐसे में कृष्ण कुमार जी की कहानियाँ प्रेम, संवेदना, मर्यादा का अहसास करा कर अपनी सांस्कृतिक चेतना के निकट ला देती है। अपने सम्बोधन में डा0 राम कृष्ण शर्मा ने कहा कि श्री यादव की सेवा आत्मज्ञापन के लिए नहीं बल्कि जन-जन के आत्मस्वरूप के सत्यापन के लिए है। इसी क्रम में भारतीय बाल कल्याण संस्थान के अध्यक्ष श्री रामनाथ महेन्द्र ने श्री यादव को बाल साहित्य का चितेरा बताया। प्रसिद्व बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबन्धु ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि श्री यादव ने साहित्य के आदिस्रोत और प्राथमिक महत्व के बाल साहित्य के प्रति लेखन निष्ठा दिखाई है। उन्होंने कहा कि अब से 20-25 साल पहले पुस्तक पूर्ण कर लेना ही बड़ी बात होती थी तब विमोचन या लोकार्पण जैसे समारोह यदा-कदा ही होते थे, आज श्री यादव की पुस्तक का लोकार्पण समारोह इस बात का प्रतीक है कि टीवी व इण्टरनेट के युग में भी हिन्दी साहित्य को एक बार फिर से सम्मान और समाज की स्वीकार्यता मिल रही है। गाजीपुर से पधारे समाजसेवी श्री राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि कृष्ण कुमार यादव में जो असीम उत्साह, ऊर्जा, सक्रियता और आकर्षक व्यक्तित्व का चुम्बकत्व गुण है उसे देखकर मन उल्लसित हो उठता है। इतनी कम उम्र में उन्होंने जितनी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं वो माँ सरस्वती एवं माँ शारदा की कृपा का ही प्रतिफल हैं। बी0एन0डी0 कालेज के प्राचार्य डा0 विवेक द्विवेदी ने श्री यादव के कृतित्व को अनुकरणीय बताते हुए युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत माना। पूर्व उपसूचना निदेशक शम्भू नाथ टण्डन ने एक युवा प्रशासक और साहित्यकार पर जारी इस पुस्तक में व्यक्त विचारों के प्रसार की बात कही। इस अवसर पर संस्कृत के उद्भट विद्वान पं0 पीयूष ने श्री यादव को उनकी साहित्यिक सफलता पर बधाई व आर्शीवचन देते हुए कहा कि जब किसी कृतिकार की कृति को विद्वानों का आशीर्वाद मिल जाए स्वीकृत मिल जाए तो समझो वो निःसंदेह सफल कृतिकार है। आज श्री यादव उसी कोटि में आ खड़ हुये हैं। समारोह के अन्त में अपने कृतित्व पर जारी पुस्तक व लब्ध प्रतिष्ठित महानुभावों के आशीर्वचनों से अभिभूत कृष्ण कुमार यादव ने आज के दिन को अपने जीवन का स्वर्णिम दिन बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य साधक की भूमिका इसलिए भी बढ़ जाती है कि संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकला, स्थापत्य इत्यादि रचनात्मक व्यापारों का संयोजन भी साहित्य में उसे करना होता है। उन्होने कहा कि पद तो जीवन में आते जाते हैं, मनुष्य का व्यक्तित्व ही उसकी विराटता का परिचायक है।

समारोह के दौरान कृष्ण कुमार यादव की साहित्यिक सेवाओं का सम्मान करते हुए विभिन्न संस्थाओं द्वारा उनका अभिनंदन एवं सम्मान किया गया। इन संस्थाओं में भारतीय बाल कल्याण संस्थान, मानस संगम, साहित्य संगम, उत्कर्ष अकादमी, मानस मण्डल, वीरांगना, मेधाश्रम, सेवा स्तम्भ, पं0 प्रताप नारायण मिश्र स्मारक समिति एवं एकेडमिक रिसर्च सोसाइटी प्रमुख हैं।

समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथिगणों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। तत्पश्चात पुस्तक के सम्पादक श्री दुर्गा चरण मिश्र द्वारा सभी का स्वागत किया गया। इस अवसर पर कृष्ण कुमार यादव की कविता ‘माँ‘ को संगीत में ढालकर प्रवीण सिंह द्वारा अनुपम प्रस्तुति की गई तो 6 सगी अनवरी बहनों द्वारा प्रस्तुत ‘वन्दे मातरम्‘ ने सद्भाव की मिसाल पेश की। कार्यक्रम का संचालन उत्कर्ष अकादमी के निदेशक डा0 प्रदीप दीक्षित द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अन्त में दुर्गा चरण मिश्र द्वारा उमेश प्रकाशन, इलाहाबाद की ओर से सभी को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम में श्रीमती आकांक्षा यादव, डा0 गीता चैहान, डा0 प्रेम कुमारी, डा0 हरीतिमा कुमार, सत्यकाम पहारिया, कमलेश द्विवेदी, आजाद कानपुरी, डा0 ओमेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, अनिल खेतान, श्री एस0एस0 त्रिपाठी, सहित तमाम साहित्यकार, बुद्विजीवी, पत्रकारगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।


( रिपोर्ट: आलोक चतुर्वेदी, संपादक-साहित्य संगम, ,उमेश प्रकाशन, 100-लूकरगंज, इलाहाबाद)