राजनेताओं की शिक्षा हमारे यहाँ सदैव से चर्चा और विवादों का विषय बनती है। यद्यपि संविधान इस सम्बन्ध में मौन है, पर किसी के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या मंत्री बनते ही लोग उनकी योग्यता को उनकी शिक्षा और डिग्री से आंकने लगते हैं।
पर हम अपने इर्द गिर्द ध्यान से देखें तो तमाम ऐसे उदाहरण मिलेंगे जहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति अपने से निम्न शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों के अधीन कार्य कर रहे हैं। तो क्या यह उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह है ? भारत की सबसे बड़ी सरकारी सेवा आईएस और एलाइड सेवाओं में न्यूनतम योग्यता स्नातक मात्र है और वे अपने विभागों में सर्वोच्च पदों पर बैठते हैं, जबकि कई बार उनके अधीन कार्य करने वाले बड़े-बड़े डिग्रीधारी होते हैं। सामान्यज्ञ बनाम विशेषज्ञ की लड़ाई लम्बे समय से व्यवस्था में चल रही है।
तमाम व्यवसायी ऐसे मिलेंगे, जो बमुश्किल ही कोई बड़ी डिग्री लिए हों, पर एमबीए की डिग्री वाले उनके अधीन कार्य करते हैं।
जिन क्रिकेटर्स और फिल्म स्टार्स की एक झलक पाने के लिए लोग लालायित रहते हैं और उनका एक अदद ऑटोग्राफ लेने के लिए ताक लगाये बैठते हैं, उनमें से कई हाईस्कूल फेल हैं।
यदि डिग्री ही योग्यता का पैमाना होती तो चपरासी,एमटीएस या पोस्टमैन बनने के लिए MBA, BTech, MTech, व PHD अभ्यर्थी लाइन में न लगे रहते। हमारे एक उच्चाधिकारी का अर्दली बीटेक है।
मात्र डिग्री ही योग्यता का पैमाना होती तो सचिन तेंदुलकर न कभी क्रिकेट के भगवान बन पाते और न नरेंद्र मोदी जी सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री होते !!
-कृष्ण कुमार यादव @ शब्द-सृजन की ओर
Krishna Kumar Yadav @ www.kkyadav.blogspot.com/
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें