आजकल ब्लॉग पर लिखने में भले ही कोताही कर रहा हूँ, पर पत्र-पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर जरुर लिख-छप रहा हूँ.
-'समकालीन भारतीय साहित्य' के ताजा अंक (मई-जून-2011) में अंडमान के आदिवासियों पर आधारित मेरी दो कविताएँ- 'सभ्यता की आड़ में' और 'ग्रेट अंडमानीज़' पढ़ सकते हैं !!
-'अक्षर पर्व' के मई-2011 अंक में टैगोर जी की 150 वीं जयंती पर मेरा आलेख 'कवीन्द्र रवीन्द्र और उनके विमर्श' पढ़ सकते हैं !
-परिकल्पना ब्लागोत्सव में आज मेरा साक्षात्कार "अंधविश्वास की बजाय उद्देश्यमूलक साहित्य-सृजन की जरूरत:कृष्ण कुमार यादव '' पढ़ सकते हैं और अपनी प्रतिक्रिया भी वहाँ दर्ज कर सकते हैं !
-'समकालीन भारतीय साहित्य' के ताजा अंक (मई-जून-2011) में अंडमान के आदिवासियों पर आधारित मेरी दो कविताएँ- 'सभ्यता की आड़ में' और 'ग्रेट अंडमानीज़' पढ़ सकते हैं !!
-'अक्षर पर्व' के मई-2011 अंक में टैगोर जी की 150 वीं जयंती पर मेरा आलेख 'कवीन्द्र रवीन्द्र और उनके विमर्श' पढ़ सकते हैं !
-परिकल्पना ब्लागोत्सव में आज मेरा साक्षात्कार "अंधविश्वास की बजाय उद्देश्यमूलक साहित्य-सृजन की जरूरत:कृष्ण कुमार यादव '' पढ़ सकते हैं और अपनी प्रतिक्रिया भी वहाँ दर्ज कर सकते हैं !
4 टिप्पणियां:
आपको अक्सर पढ़ते रहते हैं..बधाई.
यहाँ भी बधाई स्वीकारें..
सारगर्भित और शानदार ..बधाई !
देखकर अच्छा लगा कि आप ब्लागिंग में निरंतर सक्रिय हैं. हम जैसे तो बस नाम दर्ज कराकर रह गए. इस अनुपम उपलब्धि पर शुभकामनायें.
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