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गुरुवार, 17 मार्च 2011

बरसाने की लट्ठमार होली के रंग

होली के रंग अभी से फगुनाहट में रंग बिखेरने लगे हैं. होली की रंगत बरसाने की लट्ठमार होली के बिना अधूरी ही कही जायेगी। कृष्ण-लीला भूमि होने के कारण फाल्गुन शुल्क नवमी को ब्रज में बरसाने की लट्ठमार होली का अपना अलग ही महत्व है। ब्रज में तो वसंत पंचमी के दिन ही मंदिरों में डांढ़ा गाड़े जाने के साथ ही होली का शुभारंभ हो जाता है। बरसाना में हर साल फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन होने वाली लट्ठमार होली देखने व राधारानी के दर्शनों की एक झलक पाने के लिए यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु व पर्यटक देश-विदेश से खिंचे चले आते हैं। इस दिन नन्दगाँव के कृष्णसखा ‘हुरिहारे’ बरसाने में होली खेलने आते हैं, जहाँ राधा की सखियाँ लाठियों से उनका स्वागत करती हैं। यहाँ होली खेलने वाले नंदगाँव के हुरियारों के हाथों में लाठियों की मार से बचने के लिए मजबूत ढाल होती है।

परंपरागत वेशभूषा में सजे-धजे हुरियारों की कमर में अबीर-गुलाल की पोटलियाँ बंधी होती हैं तो दूसरी ओर बरसाना की हुरियारिनों के पास मोटे-मोटे तेल पिलाए लट्ठ होते हैं। बरसाना की रंगीली गली में पहुँचते ही हुरियारों पर चारों ओर से टेसू के फूलों से बने रंगों की बौछार होने लगती है। परंपरागत शास्त्रीय गान ‘ढप बाजै रे लाल मतवारे को‘ का गायन होने लगता है। हुरियारे ‘फाग खेलन बरसाने आए हैं नटवर नंद किशोर‘, का गायन करते हैं तो हुरियारिनें ‘होली खेलने आयै श्याम आज जाकूं रंग में बोरै री‘, का गायन करती हैं। भीड़ के एक छोर से गोस्वामी समाज के लोग परंपरागत वाद्यों के साथ महौल को शास्त्रीय रुप देते हैं। ढप, ढोल, मृदंग की ताल पर नाचते-गाते दोनों दलों में हंसी-ठिठोली होती है। हुरियारिनें अपनी पूरी ताकत से हुरियारों पर लाठियों के वार करती हैं तो हुरियार अपनी ढालों पर लाठियों की चोट सहते हैं। हुरियारे मजबूत ढालों से अपने शरीर की रक्षा करते हैं एवं चोट लगने पर वहाँ ब्रजरज लगा लेते हैं।

बरसाना की होली के दूसरे दिन फाल्गुन शुक्ल दशमी को सायंकाल ऐसी ही लट्ठमार होली नन्दगाँव में भी खेली जाती है। अन्तर मात्र इतना है कि इसमें नन्दगाँव की नारियाँ बरसाने के पुरूषों का लाठियों से सत्कार करती हैं। इसमें बरसाना के हुरियार नंदगाँव की हुरियारिनों से होली खेलने नंदगाँव पहुँचते हैं। फाल्गुन की नवमी व दशमी के दिन बरसाना व नंदगाँव के लट्ठमार आयोजनों के पश्चात होली का आकर्षण वृन्दावन के मंदिरों की ओर हो जाता है, जहाँ रंगभरी एकादशी के दिन पूरे वृंदावन में हाथी पर बिठा राधावल्लभ लाल मंदिर से भगवान के स्वरुपों की सवारी निकाली जाती है। बाद में भी ठाकुर के स्वरूप पर गुलाल और केशर के छींटे डाले जाते हैं। ब्रज की होली की एक और विशेषता यह है कि धुलेंडी मना लेने के साथ ही जहाँ देश भर में होली का खूमार टूट जाता है, वहीं ब्रज में इसके चरम पर पहुँचने की शुरुआत होती है।

17 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अच्छी जानकारी देती बढ़िया पोस्ट

KK Yadav ने कहा…

धन्यवाद संगीता जी.

समयचक्र ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी दी है आपने ... बरसाने की लठ्ठमार होली तो विश्व प्रसिद्द है ...

Sushil Bakliwal ने कहा…

बरसाने की इस लट्ठमार होली के बारे में सीमित जानकारी तो रही है आपने विस्तार से बताया । धन्यवाद...

ब्लागराग : क्या मैं खुश हो सकता हूँ ?

अरे... रे... आकस्मिक आक्रमण होली का !

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

आप सब को होली मंगलमय हो.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अनोखी होली, बरसाने वाले की।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

होली खेलने के परम्परागत ढंग अभी भी कायम हैं । यही हमारी खूबी है ।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Jaankari ke liya shukriya.
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का विनम्र प्रयास।

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई के० के० यादव जी आपको होली की सपरिवार होली की शुभकामनाएं |

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुना है बरसाने की होली के बारे में..कभी देखने की इच्छा है.

Akanksha Yadav ने कहा…

वाकई बरसाने की होली के बिना तो होली का रंग ही फीका है.
होली पर्व की बधाइयाँ !!

विनोद "बोध" ने कहा…

krishna kr. yadav ji
आप के ब्लाग पर मथुरा का जिक्र दिल को छू गया।
होली तो बरसाने की, बाकी तो सब जगह तो होली के नाम पर रंगोली होती है। बडे शहरो मे कही कही पर तो होली का मतलब सिर्फ पियक्कडो को ही समझ आता है। सीधा इंसान तो घर मे बैठकर कैद हो जाता है और होली बिना किसी समस्या के गुजर जाये तो अपने को धन्य समझता है।
आपके बरसाने के रेंज बहुत ही असर्दार है।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

मुझे भी तो देखना है बरसाने की होली..

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

मुझे भी तो देखना है बरसाने की होली..

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

यही तो हमारी सुन्दर संस्कृति का परिचायक है..शानदार लेख..बधाई.

Shahroz ने कहा…

वाह, अच्छी जानकारी मिली..आभार.

Shahroz ने कहा…

देर से आने के लिए माफ़ी..होली की असीम मुबारकवाद.