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मंगलवार, 8 मार्च 2011
नहीं हूँ मैं एक शरीर मात्र : अन्तर्राष्ट्रीय नारी दिवस पर
नहीं हूँ मैं माँस-मज्जा का एक पिंड
जिसे जब तुम चाहो जला दोगे
नहीं हूँ मैं एक शरीर मात्र
जिसे जब तुम चाहो भोग लोगे
नहीं हूँ मैं शादी के नाम पर अर्पित कन्या
जिसे जब तुम चाहो छोड़ दोगे
नहीं हूँ मैं कपड़ों में लिपटी एक चीज
जिसे जब तुम चाहो तमाशा बना दोगे।
मैं एक भाव हूँ, विचार हूँ
मेरा एक स्वतंत्र अस्तित्व है
ठीक वैसे ही, जैसे तुम्हारा
अगर तुम्हारे बिना दुनिया नहीं है
तो मेरे बिना भी यह दुनिया नहीं है।
फिर बताओं
तुम क्यों अबला मानते हो मुझे
क्यों पग-पग पर तिरस्कृत करते हो मुझे
क्या देह का बल ही सब कुछ है
आत्मबल कुछ नहीं
खामोश क्यों हो
जवाब क्यों नहीं देते........?
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19 टिप्पणियां:
Happy Womens Day !!
मैं एक भाव हूँ, विचार हूँ
मेरा एक स्वतंत्र अस्तित्व है
ठीक वैसे ही, जैसे तुम्हारा
अगर तुम्हारे बिना दुनिया नहीं है
तो मेरे बिना भी यह दुनिया नहीं है।
...महिला दिवस पर के. के. यादव जी की सशक्त कविता...बधाई.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आप सभी को बधाई और शुभकामनायें.
बेहतरीन प्रस्तुति।
nari shakti ko khoobsorti se likha hai aapne
महिला दिवस पर नारी की आवाज़ को उठाती लाजवाब पोस्ट. साधुवाद स्वीकारें इसके लिए.
महिला दिवस पर नारी की आवाज़ को उठाती लाजवाब पोस्ट. साधुवाद स्वीकारें इसके लिए.
बहुत बढ़िया!
बहुत उम्दा...
महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
क्योंकि पति-- पति है , परमेश्वर है , मालिक है , स्वामी है , शक्तिशाली है --मर्द है । इसलिए वह कुछ भी कर सकता है ।
जब तक पुरुषों का यह रवैया नहीं बदलेगा , करोड़ों महिलाएं पतियों के हाथों , घरेलु हिंसा की शिकार होती रहेंगी । अपने ही लोगों के हाथों पिसती रहेंगी ।
एक उत्कृष्ट कविता के माध्यम से अच्छे सन्देश दिए हैं.
बहुत खूब ...सुन्दर प्रस्तुति , वेसे आज सभी नारी के पीछे क्यो पडे हे जी.... हमारे घर मे तो रोज महिला दिवस होता हे जी
बेहतरीन प्रस्तुति। बधाई।
सार्थक प्रश्न ..अच्छी प्रस्तुति
महिला दिवस पर सार्थक प्रस्तुति...सुन्दर भावों से सुसज्जित कविता.
महिला दिवस पर सहज और सार्थक पोस्ट..शुभकामनायें.
अस्तित्व की उत्कट अभिलाषा।
फिर बताओं
तुम क्यों अबला मानते हो मुझे
क्यों पग-पग पर तिरस्कृत करते हो मुझे
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सुन्दर शब्दों में गुथी गई नारी- व्यथा...
बहुत बढ़िया लिखा भैया. आप सार्थक लेखन करते हैं..जय हो.
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