झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का यह दुर्लभ फोटो 160 साल पहले अर्थात वर्ष 1850 में कोलकाता में रहने वाले अंग्रेज फोटोग्राफर जॉनस्टोन एंड हॉटमैन ने खींचा था। इस फोटो को पिछले वर्ष 19 अगस्त, 2009 को भोपाल में आयोजित विश्व फोटोग्राफी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था। यह चित्र अहमदाबाद के एक पुरातत्व महत्व की वस्तुओं के संग्रहकर्ता अमित अम्बालाल ने भेजा था। माना जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई का यही एकमात्र फोटोग्राफ उपलब्ध है।
!! आज ही रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि भी है, पुनीत स्मरण !!
30 टिप्पणियां:
वाह! शुक्रिया।
रानी लक्ष्मीबाई के दुर्लभ फोटो के लिये आभार
बहुत अच्छी जानकारी ..... प्रदान की आपने..... आप दोनों की पोस्ट बहुत नौलेजैबल रहतीं हैं..... इंटेलिजेंट.... रानी लक्ष्मीबाई के दुर्लभ फोटो के लिये आभार........
bahut-bahut dhanyabad .
बहुत बहुत धन्यवाद्
आभार,,,वाकई दुर्लभ तस्वीर!
रानी लक्ष्मीबाई के ये दुर्लभ चित्र पहली बार देखा आभार
regards
दुर्लभ चित्र के लिए आभार
बढियां जानकारी
शुक्रिया।
रानी लक्ष्मीबाई को नमन!
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इंदौर में रहती है लक्ष्मीबाई की पांचवीं पीढ़ी
आभार....वाकई दुर्लभ तस्वीर!
बहुत बहुत धन्यवाद्...
बहुत अच्छी जानकारी प्रदान की आपने,रानी लक्ष्मीबाई के दुर्लभ फोटो के लिये आभार!
हमने इस चित्र को संजो लिया. आभार.
आभार!!!!!!दुर्लभतम फ़ोटो के लिए..............
बहुत-बहुत आभार आपका.
यह तो सबसे अनमोल और पवित्र है!
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रानी लक्ष्मीबाई को सादर नमन!
jhansi ki rani ko naman.
yadav ji jhansi ki rani ki puny tithi 17 june thi.november ki 18 tareekh ko inki jayanti hoti hai.
..अभार.
बधाई झाँसी की रानी एक महान देवी थीँ उस महान देवी को नमन
अत्ति-उत्तम।धन्यवाद!
चलिए हमने भी दर्शन कर लिए उस रणचंडी के...नमन.
बहुत खूब के. के. जी, रानी साहिबा का पूरा जीवन ही आँखों के सामने घूम गया..साधुवाद इस बेहतरीन दुर्लभ चित्र के लिए.
आपके ब्लॉग की नई डिजाईन तो काफी मनभावन लगी..बधाई.
सुखद अनुभूति हुई यह चित्र देखकर ...रानी लक्ष्मीबाई को सादर नमन!
कहाँ से लाये भाई यह दुर्लभतम चित्र...हम तो देखकर धन्य हो गए.
कित्ती अच्छी फोटो है रानी जी की...
@ महफूज जी,
शुक्रिया...बस आप लोगों की दुआ है.
आप सभी लोगों को रानी लक्ष्मीबाई का यह दुर्लभ चित्र पसंद आया, आपने इसे सराहा..आभार.
स्वप्न में आज सुबह-सुबह मैंने एक भारी-भरकम चील को देखा जो उड़कर मेरी ओर भी आई थी। आँखें खुलने पर (स्वप्न परिणामों के प्रति अविश्वासी होते हुए भी) मैंने इस स्वप्न को दिन की अशुभ शुरुआत माना। लेकिन आज का दिन शुभ ही कहा जायगा। अनायास ही मैं आपके ब्लॉग पर पहुँच गया और प्रात:वन्दनीया महारानी माता लक्ष्मीबाई का दर्शन आपकी बदौलत हो गया। आपके प्रति जितना आभार व्यक्त किया, कम है। इस कारण भी कि स्वप्नों के प्रति मेरा जो अविश्वास है, उसे बल मिला है।
@ बलराम जी,
यह भी अजीब संयोग है..पर अच्छा ही है. ब्लॉग पर पधारने के लिए धन्यवाद.
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