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गुरुवार, 3 जून 2010

भिखमंगों का ईश्वर


मंदिर के सामने

भिखमंगों की कतारें

एक साथ ही उनके कटोरे

ऐसे आगे बढ़ जाते हैं

मानों सब यंत्रवत हों

दस-दस पैसे की बाट जोहते वे

मंदिर के सामने होकर भी

मंदिर में नहीं जाते

क्योंकि वे सिर्फ

एक ही ईश्वर को जानते हैं

जो उनके कटोरे में

पैसे गिरा देता है।

29 टिप्‍पणियां:

दिलीप ने कहा…

maarmik...

Urmi ने कहा…

मर्मस्पर्शी और दिल को छू लेने वाली रचना लिखा है आपने! सुन्दर प्रस्तुती!

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

दिल को छूने वाली यथार्थवादी कविता . निराला की कविता भिक्षुक की याद आ गयी . " वो आता ................".
पर दिल्ली के भिक्षुक बेचारे नहीं लगते , ये मनोरोगी लगते है . चोरी, पाकेटमारी , छेड़खानी , बलात्कार जैसे मामले इनके खिलाफ चल रहे है .

M VERMA ने कहा…

वाकई उसके लिये तो कटोरे का पैसा ही भगवान है.
सुन्दर

शोभना चौरे ने कहा…

ab to koi bhi na hi das paise deta hai aur na hi koi das paise leta hai

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सबकी अपनी अपनी आस्था...अपने अपने ईश्वर...

संवेदनशील रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

bahut hi marmik kavita badhai

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत मार्मिक!!! यह चित्र मै कोई भिखमंगा नही एक शारबी है, जो नशे के लिये पेसे मांग रहा है, सर इस लिये झुका रहा है कि कोई पहचान ना ले ऎसे भिखमंगे यहां रोज मिलते है

Shekhar Kumawat ने कहा…

ha jiski jeb me pesa wahi hamara khuda

डॉ टी एस दराल ने कहा…

ये भिखमंगे इश्वर को ही चूना लगाते हैं ।

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

क्योंकि वे सिर्फ

एक ही ईश्वर को जानते हैं

जो उनके कटोरे में

पैसे गिरा देता है।

....सुन्दर भाव !!

Akanksha Yadav ने कहा…

ऐसे भिखमंगे तो खूब दिखते हैं..बेहतरीन कविता.

KK Yadav ने कहा…

आप सभी की प्रतिक्रियाओं व स्नेह के लिए आभार. यूँ ही प्रोत्साहन देते रहें..

Shahroz ने कहा…

बहुत खूबसूरती से कृष्ण कुमार जी ने एक सच को शब्दों में बांधा है..जितनी भी तारीफ करें, कम है.

शरद कुमार ने कहा…

हमारे कानपुर में तो ऐसे भिखमंगों की कमी नहीं है...बेहतरीन कविता लिखी आपने उन पर.

raghav ने कहा…

मंदिर के सामने होकर भी
मंदिर में नहीं जाते
क्योंकि वे सिर्फ
एक ही ईश्वर को जानते हैं
जो उनके कटोरे में
पैसे गिरा देता है।
...अद्भुत ...नि:शब्द !!

S R Bharti ने कहा…

इस विषय पर पहली बार कोई कविता पढ़ रहा हूँ..अतिसुन्दर.

editor : guftgu ने कहा…

सब उपरवाले की माया है.

मन-मयूर ने कहा…

क्या बात कही है..मान गए आपको.

Bhanwar Singh ने कहा…

बहुत बढ़िया कविता. बधाई.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

के.के. यादव जी जी की कविता तो लाजवाब है. बधाई स्वीकारें.

Unknown ने कहा…

भिखमंगों की पोल क्यों खोलते हो भाई जी..

Shyama ने कहा…

भिक्षाटन अपराध है, पर धर्म की आड में सब गोरखधंधा चल रहा है...बेजोड़ कविता.

Shyama ने कहा…

..पर भिखमंगे की फोटो आपने स्मार्ट लगाई है. यह इन्डियन भिखारी तो नहीं लगते जनाब.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहतरीन कविता.

संजय भास्‍कर ने कहा…

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

KK Yadav ने कहा…

@ Shyama Ji,

अजी भिखमंगा तो भिखमंगा ही हुआ ना..क्या इण्डिया-क्या योरोप.

KK Yadav ने कहा…

आप सभी लोगों को हमारी यह कविता पसंद आई, आपने इसे सराहा..आभार. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें !!