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गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

ससुराल में भी होगा रावण का दहन

जोधपुर से रावण का बड़ा अभिन्न नाता है। लोक मान्यता है कि रावण का विवाह मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर निवासी मंदोदरी के साथ हुअा था। इस कारण मारवाड़ को रावण का ससुराल माना जाता है। मंडोर की पहाड़ी पर स्थित प्राचीन किले के निकट एक स्थान को रावण का विवाह स्थल के रूप में माना जाता है। रावण के साथ विवाह समारोह में भाग लेने उसके कुछ वंशज जोधपुर में ही रह गए। ये लोग बाकायदा रावण की पूजा-अर्चना करते है। इसके लिए उन्होंने रावण का मंदिर तक बनाया हुआ है। जोधपुर में दवे गोधा समाज के लोग अपने आप को रावण का वंशज मानते हैं, इसलिए ये लोग रावण दहन को नहीं देखते। 

एक तरफ रावण की ससुराल में उसकी पूजा होती है, वहीँ दूसरी तरफ उसे बुराई का प्रतीक मानकर दहन भी किया जाता है।  यहाँ जोधपुर में रामलीला  होती हो, पर संभवत: जोधपुर ही ऐसा शहर है, जहाँ दशहरे पर रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण के साथ ही सूर्पनखा और ताड़का के पुतलों  दहन किया जाता है। जोधपुर में रावण दहन के मुख्य स्थल रावण का चबूतरा मैदान में दशहरा पर दहन करने को तैयार किए गए रावण व उसके परिजनों के  पुतलों को खड़ा किया जाता है। 

विजयदशमी बुराई पर अच्छाई की जीत प्रतीक है। यह दर्शाता है कि बुराई के भले कितने भी सिर क्यों न हो, अच्छाई के आगे सब झुक भी जाते हैं और कट भी जाते हैं। विजय दशमी के इस पर्व पर आइए हम दसों बुराईयों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अन्याय, स्वार्थ, अहंकार और क्रूरता) पर यथासम्भव विजय प्राप्त करने को संकल्पित हों ! आप सभी विजय के पथ पर अग्रसर हों और आपका जीवन उन्नति और प्रगति के पथ पर सदैव बढ़ता रहे !! 

- कृष्ण कुमार यादव @ शब्द-सृजन की ओर
Krishna Kumar Yadav @ www.kkyadav.blogspot.com/

बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

तुममें से कोई राम है क्या

हर साल रावण को जलाया जाता है और अगले साल ही रावण पुन: सज-धज के पिछली बार से भी विकराल रूप में खड़ा होकर हमारे सामने अट्ठाहस करता है। ...और सामने खड़ी भीड़ से पूछता है, "तुममें से कोई राम है क्या?'' … और हम सब नि:शब्द रह जाते हैं।  

धू-धू कर जलता रावण अट्ठहास कर बोलता है, ''अगली साल मैं फिर आऊँगा।  तुम ही मुझे नया आकार दोगे, मुझे सजाओगे और अपनी आने वाली पीढ़ियों को मेरे बारे में बताओगे।" 

… मुझे भी उस राम का इंतज़ार है जो हमेशा के लिए मेरा वजूद ख़त्म कर दे, पर उस रावण का क्या करोगे जो तुम्हारे अंदर कहीं छिपा बैठा है। जब तक तुम्हारे अंदर का रावण जिन्दा है, मेरे पुतले को जलाकर मुझे नहीं ख़त्म कर पाओगे..!! 


कृष्ण कुमार यादव की लघुकथा @ शब्द-सृजन की ओर 
Short Story by Krishna Kumar Yadav.

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल...


गाँधी जी जब भी स्मृतियों में आते हैं, कविवर प्रदीप द्वारा रचा गया गीत "साबरमती के संत" स्वत: जुबाँ पर आ जाता है।  स्कूली दिनों  गीत को हम बड़ी तन्मयता से गांधी जयंती पर गाया करते थे।  एक बार फिर से उन स्मृतियों को आजसे जोड़ते हुए वही गीत - 


दे दी हमें आज़ादी बिना खड्‌ग बिना ढाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

आँधी में भी जलती रही गाँधी तेरी मशाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

धरती पे लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई

दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई

दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई

वाह रे फ़कीर खूब करामात दिखाई

चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम

शतरंज बिछा कर यहाँ बैठा था ज़माना

लगता था मुश्किल है फ़िरंगी को हराना

टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था ताना

पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना

मारा वो कस के दांव के उलटी सभी की चाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम

जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े

मज़दूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े

हिंदू और मुसलमान, सिख पठान चल पड़े

कदमों में तेरी कोटि कोटि प्राण चल पड़े

फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम

मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी

लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी

वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी

लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी

दुनिया में भी बापू तू था इन्सान बेमिसाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी ...

रघुपति राघव राजा राम

जग में जिया है कोई तो बापू तू ही जिया

तूने वतन की राह में सब कुछ लुटा दिया

माँगा न कोई तख्त न कोई ताज भी लिया

अमृत दिया तो ठीक मगर खुद ज़हर पिया

जिस दिन तेरी चिता जली, रोया था महाकाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल

रघुपति राघव राजा राम !!



!! गाँधी जयंती पर शत-शत नमन !!