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मंगलवार, 5 मार्च 2013

वीर-रस के कवि श्याम नारायण पाण्डेय पर विशेष डाक आवरण जारी



द्वितीय मण्डल स्तरीय आजमगढ़ डाक टिकट प्रदर्शनी आजमपेक्स-2013’ का समापन वेस्ली इंटर कॉलेज आजमगढ़ में आयोजित भव्य समारोह में 3 मार्च को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इलाहाबाद व गोरखपुर परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने दूसरे दिन के कार्यक्रम का उदघाटन किया। श्री यादव ने इस अवसर पर वीर रस के कवि श्याम नारायण पाण्डेय (वर्ष 1907 में ग्राम डुमराव, जिला- आजमगढ़, संप्रति मऊ जनपद में जन्म।) पर विशेष डाक आवरण एवं विरूपण का विमोचन किया। आवरण जारी करने के साथ साथ मुख्य अतिथि श्री यादव ने रिमोट द्वारा इस विशेष आवरण के ब्लो-अप का भी अनावरण किया।

वीर-रस के कवि श्याम नारायण पाण्डेय (1907 - 1991) पर जारी विशेष आवरण व विरूपण का विमोचन करते हुए निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि श्याम नारायण पाण्डेय वीर रस के सुविख्यात हिन्दी कवि थे। आप केवल कवि ही नहीं अपितु अपनी ओजस्वी वाणी में वीर रस के अनन्यतम प्रस्तोता भी थे । देश-प्रेम और अपने संस्कृति के प्रति अनुराग ही श्याम नारायण पाण्डेय जी को वीर रस के प्रति आकर्षित करता था। तभी तो उन्होने हल्दीघाटीजौहर जैसे उत्कृष्ट महाकाव्य रचे, जिनमें हल्दीघाटी (काव्य) सर्वाधिक लोकप्रिय और जौहर(काव्य) विशेष चर्चित हुए। हल्दीघाटी में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन और जौहर में चित्तौड की रानी पद्मिनी के आख्यान हैं। हल्दीघाटी के नाम से विख्यात राजस्थान की इस ऐतिहासिक वीर भूमि के लोकप्रिय नाम पर लिखे गये हल्दीघाटी महाकाव्य पर आपको उस समय का सर्वश्रेष्ठ सम्मान देव पुरस्कार प्राप्त हुआ था। श्री यादव ने कहा कि उन्होने आजीवन निश्चल भाव से साहित्य सृजन किया ।

अपने उदबोधन में निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आजमगढ़ की धरती सदैव से ही साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से उर्वर रही है। यह धरा महान विभूतियों की जन्मस्थली-कर्मस्थली रही है, जिन्होने आजमगढ़ का नाम दुनियाभर में फैलाया। ऐसी विभूतियों की स्मृतियों को सहेज कर रखना एवं युवा पीढ़ी को उनके बारे में बताना हमारा कर्तव्य है। डाक विभाग ऐसी विभूतियों पर समय-समय पर डाक टिकट व विशेष आवरण (लिफाफा) जारी कर समाज एवं राष्ट्र के प्रति अपने सामाजिक दायित्यों का निर्वहन करता है। श्री यादव ने कहा कि आजमगढ़ की विरासत, स्थापत्य, विभूतियों एवं यहाँ से जुड़े अन्य पहलुओं पर डाक-टिकट एवं विशेष आवरण जारी किए जाने को प्रस्ताव यदि प्राप्त होते हैं तो उन्हे बेहद खुशी होगी।

प्रवर डाक अधीक्षक श्री वाई एन द्विवेदी ने कहा कि एक लंबे अंतराल पश्चात आजमगढ़ में इस प्रकार का आयोजन कर बेहद खुशी हो रही है और जिस तरह से यंहा के लोगों ने प्रदर्शनी को हाथों हाथ लिया है, वह हमारे लिए उत्साहजनक है। इस अवसर पर डा0 शारदा सिंह, पूर्व प्राचार्य, डा0 डी पी, पूर्व प्राचार्य ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

साहित्य को सम्मान देने वालों को सम्मानित होते देखना अच्छा लग रहा है।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

Looks Smarty papa.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

Congts. for succesful programme.