जाग उठी है
आज शिक्षित नारी
हक लेने को।
अबला नहीं
संवेदना की स्रोत
जानिए इसे।
रिश्तों की डोर
सहेजती ये नारी
रुप विभिन्न।
नारी की शक्ति
पहचानिए इसे
दुर्गा-भवानी।
हर क्षेत्र में
रचे नया संसार
आज की नारी।
बाधाएँ तोड़
आसमां के सितारे
छू रही नारी।
नारी सशक्त
समाज बने सुखी
समृद्ध राष्ट्र।
-कृष्ण कुमार यादव-
2 टिप्पणियां:
खुशहाली का वृहद आधार है, इनकी खुशी।
छोटी कविताओं जैसी। अच्छा लगता है पढना . पापा को ढेर सारा प्यार और बधाई।
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