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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

मेरा भी तो ब्याह रचाओ

 
राजा जी की निकली सवारी,
हाथी-घोड़ा औ' दरबारी।
हाथी दादा रूठ गए,
पीछे-पीछे छूट गए।

रानी बोली हाथी लाओ,
फिर आगे को कदम बढ़ाओ।
सारे सैनिक दौड़ पड़े,
हाथी दादा अडिग खड़े।

पहले मानो मेरी बात,
तब आऊँ मैं सबके साथ।
बोले मेरी हथिनी लाओ,
मेरा भी तो ब्याह रचाओ।

7 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जय हो, बहुत सुन्दर बाल कविता।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

पहले मानो मेरी बात,
तब आऊँ मैं सबके साथ।
बोले मेरी हथिनी लाओ,
मेरा भी तो ब्याह रचाओ।

ha..ha..ha..majedar.

Shahroz ने कहा…

Bahut sundar..ab hathi ji ka byah racha hi dijiye.

Asha Lata Saxena ने कहा…

सुन्दर भाव लिए बाल कविता |
आशा

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बाल -मन को सहेजती सुन्दर कविता।

Unknown ने कहा…

Wah..majedar.

Shyama ने कहा…

बाल मन की सुन्दर अभिव्यक्ति। कृष्ण जी को बधाई।