राजा जी की निकली सवारी,
हाथी-घोड़ा औ' दरबारी।
हाथी दादा रूठ गए,
पीछे-पीछे छूट गए।
रानी बोली हाथी लाओ,
फिर आगे को कदम बढ़ाओ।
सारे सैनिक दौड़ पड़े,
हाथी दादा अडिग खड़े।
पहले मानो मेरी बात,
तब आऊँ मैं सबके साथ।
बोले मेरी हथिनी लाओ,
मेरा भी तो ब्याह रचाओ।
7 टिप्पणियां:
जय हो, बहुत सुन्दर बाल कविता।
पहले मानो मेरी बात,
तब आऊँ मैं सबके साथ।
बोले मेरी हथिनी लाओ,
मेरा भी तो ब्याह रचाओ।
ha..ha..ha..majedar.
Bahut sundar..ab hathi ji ka byah racha hi dijiye.
सुन्दर भाव लिए बाल कविता |
आशा
बाल -मन को सहेजती सुन्दर कविता।
Wah..majedar.
बाल मन की सुन्दर अभिव्यक्ति। कृष्ण जी को बधाई।
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