1-
नई-नवेली
दुल्हन सी धरती
सजने लगी।
2-
पोषण कर
सुख-समृद्धि देती
पावन धरा।
3-
प्रकृति बंधी
नियमों से अटल
ललकारो ना।
4-
पर्यावरण
प्रदूषित हो रहा
रोकिए इसे।
5-
हर तरफ
कटते जंगलात
धरा रो रही।
6-
स्वच्छ जल
कहाँ से मिले अब
दूषित पानी।
7-
फैलता शोर
कनफोड़ू आवाज
घुटते लोग।
8-
संकटापन्न
विलुप्त होते प्राणी
कहाँ जाएं ये?
9-
घटती आयु
बढ़ता प्रदूषण
संकट आया।
10-
बढ़ते लोग
घटते संसाधन
पिसती धरा।
11-
पूछ रही है
धरती मदहोश
बंधन खोल।
12-
मत छेडि़ए
प्रकृति को यूँ अब
जला देगी ये।
-कृष्ण कुमार यादव-
8 टिप्पणियां:
पर्यावरण पर सार्थक हाइकु
12 का जादू हर जगह चल गया। आप सभी को इस विशेष दिवस पर बधाइयाँ.
12-12-12 पर प्रकृति के संरक्षण के प्रति सचेत करती सुन्दर हाइकु। अति-उत्तम प्रस्तुति। बधाई कृष्ण जी।
सार्थक हाइकु
Wonderful Day..!!
Nature-saving Haikus..Awesome.
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ...बधाई .आप भी पधारो
http://pankajkrsah.blogspot.com
स्वागत है
मत छेडि़ए
प्रकृति को यूँ अब
जला देगी ये।
..Sacht ho jaiye ab.
पृथ्वी और पर्यावरण को बचाना बहुत जरुरी है। सुन्दर रचनाधर्मिता।
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