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बुधवार, 12 दिसंबर 2012

12-12-12 : 12 हाइकु


 
1-
नई-नवेली
दुल्हन सी धरती
सजने लगी।

2-
पोषण कर
सुख-समृद्धि देती
पावन धरा।

3-
प्रकृति बंधी
नियमों से अटल
ललकारो ना।

4-
पर्यावरण
प्रदूषित हो रहा
रोकिए इसे।

5-
हर तरफ
कटते जंगलात
धरा रो रही।

6-
स्वच्छ जल
कहाँ से मिले अब
दूषित पानी।

7-
फैलता शोर
कनफोड़ू आवाज
घुटते लोग।

8-
संकटापन्न
विलुप्त होते प्राणी
कहाँ जाएं ये?

9-
घटती आयु
बढ़ता प्रदूषण
संकट आया।

10-
बढ़ते लोग
घटते संसाधन
पिसती धरा।

11-
पूछ रही है
धरती मदहोश
बंधन खोल।

12-
मत छेडि़ए
प्रकृति को यूँ अब
जला देगी ये।
 
-कृष्ण कुमार यादव-
 
 
 
 



 

8 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

पर्यावरण पर सार्थक हाइकु

Unknown ने कहा…

12 का जादू हर जगह चल गया। आप सभी को इस विशेष दिवस पर बधाइयाँ.

Unknown ने कहा…

12-12-12 पर प्रकृति के संरक्षण के प्रति सचेत करती सुन्दर हाइकु। अति-उत्तम प्रस्तुति। बधाई कृष्ण जी।

vandana gupta ने कहा…

सार्थक हाइकु

Akanksha Yadav ने कहा…

Wonderful Day..!!

Nature-saving Haikus..Awesome.

Unknown ने कहा…


बहुत सुंदर पंक्तियाँ ...बधाई .आप भी पधारो
http://pankajkrsah.blogspot.com
स्वागत है

Shahroz ने कहा…

मत छेडि़ए
प्रकृति को यूँ अब
जला देगी ये।
..Sacht ho jaiye ab.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

पृथ्वी और पर्यावरण को बचाना बहुत जरुरी है। सुन्दर रचनाधर्मिता।