आज मुझे याद आ रहा है "पूरब और पश्चिम" नामक एक भारतीय फ़िल्म का एक मशहूर गाना "जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने, दुनियां को तब गिनती आई..."। शायद आम भारतीय इस बात को नही जानता कि विश्व को ज़ीरो और सही मायने में गिनती भारत ने ही दी थी परन्तु विश्व के महान वैज्ञानिक आईन्सटीन इस बात को कभी नही भूलें; उन्होने ईमानदारी से मुक्त कंठ से भारत की प्रसंशा करते हुए कहा था कि " हमे भारतीयों का ॠणी होना चाहिये जिन्होने विश्व को गिनती दी, जिसकी बिना कोई भी अन्य ख़ोज सम्भव ही नही थी"
अभी हाल में ही प्रकाशित एक महान कृति जो कि एक पुस्तक के रूप में समाने आई है जिसे सकंलित किया है उतर-पूर्व भारत के एक महान लेख़क सलिल गेवाली ने । इस कृति का नाम है "What is India" इस पुस्तक में विश्व के सभी महान वैज्ञानिकों, महान कवियों, समाज शास्त्रियों, नेताओं व अन्य महान हस्तियों के द्वारा की गई उदघोषनाएं है; जहां उन्होने भारतीय ग्रन्थ सम्पदा की तहदिल से प्रसंशा की है । विश्व की इन महान आत्माओं ने खुले रूप से यह स्वीकार किया है कि किस प्रकार हिन्दुस्तान के महान ग्रन्थों ने उनकी महान कृतियों के उदय के समय सहायता की ।
“What is India” को पढकर हर भारतीय का सिर गर्व से ऊचां हो जाता है । हर भारतीय को समझ आ जाता है कि हमारे ग्रन्थ इतने महान है कि वो विश्व की महान खोज़ो के भागीदार बने । सचमुच महान है यह पुस्तक । आजतक इस प्रकार का सकंलन किसी भी ने भी इस तरह से प्रस्तुत नही कियां । सलिल गेवाली का यह कार्य वास्तव में तरीफ़ के काबिल है और अपने आप मे एक महान कार्य है ।
यह पुस्तक हर भारतीय को प्रेरित करती है कि वो अपनी ग्रन्थ सम्पदा को फ़िर से देखें और अध्यन करें और उनमें वो सब कुछ खोज़ निकाले जो अब तक नही खोज़ा गया है । क्योकि अभी भी बहुत कुछ ऐसा भी है जो विश्व की महान आत्मायें शायद नही खोज़ पायी । युवा भारतीयों को इस महान कृति से बहुत आत्मिक बल मिला है और उनका आत्मविश्वास बढ़ा है ।
“What is India” से हमें हमारी प्राचीन संस्कृति की महानता का भी पता चलता है । महान अमेरिकन कवि ओर दार्शनिक टी.ऐस. ईलिओट जिन्होने २ साल तक संस्कृत भाषा सीखी और पांतन्जलि योग की तत्वमीमांसा को समझा ओर स्वयं माना कि "यूरोप के दार्शनिक भारतीय दार्शनिकों की कुशाग्र बुद्धि के समक्ष स्कूली बच्चे जैसे है"
यह पुस्तक उस महान भारत की महानता को ताज़ा कर रही है जिसके बारे में आज से कई वर्ष पहले रानी फ़्रेडरिका - ग्रीस के राजा पाल की पत्नि - ने यह कहा "मुझे इस बात से जलन होती है आप भारतीय कितने भाग्यशाली है कि आपके पास इतनी महान विरासत है" । उन्होने तो यहां तक भी कहा "ग्रीस मेरा जन्म स्थान अवश्य है परन्तु मेरी आत्मा भारत मे ही बसती है" ।
“What is India” से हमें मालूम पड़ता है हमारा अतित क्या था । हमारे पूर्वज ॠषि-मुनि कितने उन्न्त विचारों के थे और कितनी महान थी वो कृतियां जो उन्होने हमें हमारे ग्रन्थों के रूप में दी । उनकी इन महान कृतियों का प्रयोग पूरे विश्वभर में हुआ । पूरे विश्व समाज ने इस बात का लाभ उठाया ।
इस पुस्तक में उद्घोषित एक उक्ति में फ़्रांस के एक महान दार्शनिक नें तो यह तक कहा कि " मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हू कि खगोलशास्त्र, ज्योतिष विधा, अध्यात्म आदि यह सब ज्ञान हमारे पास गंगा के किनारों से आया है" इनके कहने का आशय यह कि भारत की महान और पवित्र नदी गंगा के किनारों पर ही भारत वर्ष के महान ऋषियों ने इन महान विधाओं की खोज की है" यह कहना है फ्रांस के महान दार्शनिक फ़्रानकोस एम वोलटेयर का ।
अब यदि हाल में ही चल रही वैज्ञानिक खोज़ो की बात करे तो बात आती है आज के महान वैज्ञानिक स्टीफ़ेन हाकिंस की जो इस समय पर अपनी खोज़ो पर अग्रसर है । स्टीफ़ेन हाकिंस कहते है कि अगर कोई यान प्रकाश की गति के आस पास किसी भारी पिण्ड के चारो ओर चक्कर कटे तो उसमे बैठे हुए लोगो के लिए समय धीरे चलने लगेगा । अगर यह यान 5 साल तक भारी पिण्ड के चारो ओर चक्कर लगता रहता है तो उसके लिए तो 5 साल बितेगे परन्तु बाहरी दुनिया में 20 साल बीत चुके होंगे ।
यानि ऐसा भी संभव है की हमारे आस पास एक ओर दुनिया भी चल रही हो । यही हमारे प्राचीन ग्रन्थ योग वसिष्ठ में बताया गया है यदि आप इस महान ग्रन्थ का अध्यन करे तो इसमें लीला की कहानी है इस कहानी के माध्यम से यह बताया गया है की ब्रहमांड के अन्दर ब्रहमांड चल रहा है । ओर भी बहुत कुछ इस ग्रन्थ में बताया गया है जोकि Stephen Hawkins जैसे महान वैज्ञानिक की बातो से हू बहू है ।
अपने भारत को पहचानने के लिये, अपनी ग्रन्थ सम्पदा की ताकत को समझने के लिये; विश्व के महान लोगों का हमारे भारत को लेकर क्या सोच है इस बात को जानने के लिये “What is India” एक बेजोड़ उपलब्धि हो सकती है !
--- Harish Kumar
Haryana
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Courtesy : E-mail received by Priyanka Sharma,Los Angeles, USA
अभी हाल में ही प्रकाशित एक महान कृति जो कि एक पुस्तक के रूप में समाने आई है जिसे सकंलित किया है उतर-पूर्व भारत के एक महान लेख़क सलिल गेवाली ने । इस कृति का नाम है "What is India" इस पुस्तक में विश्व के सभी महान वैज्ञानिकों, महान कवियों, समाज शास्त्रियों, नेताओं व अन्य महान हस्तियों के द्वारा की गई उदघोषनाएं है; जहां उन्होने भारतीय ग्रन्थ सम्पदा की तहदिल से प्रसंशा की है । विश्व की इन महान आत्माओं ने खुले रूप से यह स्वीकार किया है कि किस प्रकार हिन्दुस्तान के महान ग्रन्थों ने उनकी महान कृतियों के उदय के समय सहायता की ।
“What is India” को पढकर हर भारतीय का सिर गर्व से ऊचां हो जाता है । हर भारतीय को समझ आ जाता है कि हमारे ग्रन्थ इतने महान है कि वो विश्व की महान खोज़ो के भागीदार बने । सचमुच महान है यह पुस्तक । आजतक इस प्रकार का सकंलन किसी भी ने भी इस तरह से प्रस्तुत नही कियां । सलिल गेवाली का यह कार्य वास्तव में तरीफ़ के काबिल है और अपने आप मे एक महान कार्य है ।
यह पुस्तक हर भारतीय को प्रेरित करती है कि वो अपनी ग्रन्थ सम्पदा को फ़िर से देखें और अध्यन करें और उनमें वो सब कुछ खोज़ निकाले जो अब तक नही खोज़ा गया है । क्योकि अभी भी बहुत कुछ ऐसा भी है जो विश्व की महान आत्मायें शायद नही खोज़ पायी । युवा भारतीयों को इस महान कृति से बहुत आत्मिक बल मिला है और उनका आत्मविश्वास बढ़ा है ।
“What is India” से हमें हमारी प्राचीन संस्कृति की महानता का भी पता चलता है । महान अमेरिकन कवि ओर दार्शनिक टी.ऐस. ईलिओट जिन्होने २ साल तक संस्कृत भाषा सीखी और पांतन्जलि योग की तत्वमीमांसा को समझा ओर स्वयं माना कि "यूरोप के दार्शनिक भारतीय दार्शनिकों की कुशाग्र बुद्धि के समक्ष स्कूली बच्चे जैसे है"
यह पुस्तक उस महान भारत की महानता को ताज़ा कर रही है जिसके बारे में आज से कई वर्ष पहले रानी फ़्रेडरिका - ग्रीस के राजा पाल की पत्नि - ने यह कहा "मुझे इस बात से जलन होती है आप भारतीय कितने भाग्यशाली है कि आपके पास इतनी महान विरासत है" । उन्होने तो यहां तक भी कहा "ग्रीस मेरा जन्म स्थान अवश्य है परन्तु मेरी आत्मा भारत मे ही बसती है" ।
“What is India” से हमें मालूम पड़ता है हमारा अतित क्या था । हमारे पूर्वज ॠषि-मुनि कितने उन्न्त विचारों के थे और कितनी महान थी वो कृतियां जो उन्होने हमें हमारे ग्रन्थों के रूप में दी । उनकी इन महान कृतियों का प्रयोग पूरे विश्वभर में हुआ । पूरे विश्व समाज ने इस बात का लाभ उठाया ।
इस पुस्तक में उद्घोषित एक उक्ति में फ़्रांस के एक महान दार्शनिक नें तो यह तक कहा कि " मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हू कि खगोलशास्त्र, ज्योतिष विधा, अध्यात्म आदि यह सब ज्ञान हमारे पास गंगा के किनारों से आया है" इनके कहने का आशय यह कि भारत की महान और पवित्र नदी गंगा के किनारों पर ही भारत वर्ष के महान ऋषियों ने इन महान विधाओं की खोज की है" यह कहना है फ्रांस के महान दार्शनिक फ़्रानकोस एम वोलटेयर का ।
अब यदि हाल में ही चल रही वैज्ञानिक खोज़ो की बात करे तो बात आती है आज के महान वैज्ञानिक स्टीफ़ेन हाकिंस की जो इस समय पर अपनी खोज़ो पर अग्रसर है । स्टीफ़ेन हाकिंस कहते है कि अगर कोई यान प्रकाश की गति के आस पास किसी भारी पिण्ड के चारो ओर चक्कर कटे तो उसमे बैठे हुए लोगो के लिए समय धीरे चलने लगेगा । अगर यह यान 5 साल तक भारी पिण्ड के चारो ओर चक्कर लगता रहता है तो उसके लिए तो 5 साल बितेगे परन्तु बाहरी दुनिया में 20 साल बीत चुके होंगे ।
यानि ऐसा भी संभव है की हमारे आस पास एक ओर दुनिया भी चल रही हो । यही हमारे प्राचीन ग्रन्थ योग वसिष्ठ में बताया गया है यदि आप इस महान ग्रन्थ का अध्यन करे तो इसमें लीला की कहानी है इस कहानी के माध्यम से यह बताया गया है की ब्रहमांड के अन्दर ब्रहमांड चल रहा है । ओर भी बहुत कुछ इस ग्रन्थ में बताया गया है जोकि Stephen Hawkins जैसे महान वैज्ञानिक की बातो से हू बहू है ।
अपने भारत को पहचानने के लिये, अपनी ग्रन्थ सम्पदा की ताकत को समझने के लिये; विश्व के महान लोगों का हमारे भारत को लेकर क्या सोच है इस बात को जानने के लिये “What is India” एक बेजोड़ उपलब्धि हो सकती है !
--- Harish Kumar
Haryana
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Courtesy : E-mail received by Priyanka Sharma,Los Angeles, USA
10 टिप्पणियां:
काश अपनी गौरवशाली परम्परा के दशांश भी हो पाते हम।
बहुत अच्छा लेख है सर.
आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके पोस्ट की है हलचल...जानिये आपका कौन सा पुराना या नया पोस्ट है यहाँ पर कल ...........
नयी-पुरानी हलचल
अच्छा लगा इस सार्थक पोस्ट से होकर गुजरना।
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बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
अपनी अस्मिता पर सभी को गर्व होना चाहिए//
अपने भारत को पहचानने के लिये, अपनी ग्रन्थ सम्पदा की ताकत को समझने के लिये; विश्व के महान लोगों का हमारे भारत को लेकर क्या सोच है इस बात को जानने के लिये “What is India” एक बेजोड़ उपलब्धि हो सकती है !
..Thanks for sharing.
जानकर ख़ुशी हुई कि इस पुस्तक में भारतीय संस्कृति के तमाम अनछुए पहलुओं को भी रेखांकित किया गया है. आभार.
सार्थक लेख .
"What is India"
प्रकाशक, मूल्य और प्राप्ति का साधन- यह जानकारी भी जोड़ दें.
बहुत बढ़िया जानकारी दी आपने.
सार्थक रचना…. बहुत बहुत बधाई
यह पुस्तक तो बड़ी अच्छी जान पड़ती है...
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