अंतत: 'सरस्वती-सुमन' का लघुकथा विशेषांक (जुलाई-सितम्बर-2011) आ ही गया. चूँकि इस अंक के अतिथि संपादन का दायित्व मेरा था, अत: प्रतीक्षा भी स्वाभाविक थी. इस अंक हेतु मुझे अंतत: सामग्री भेजने तक 4,82 रचनाकारों की और तत्पश्चात 37 रचनाकारों की लघुकथाएं/आलेख प्राप्त हुई. यह दर्शाता है कि लघुकथा ने एक विधा के रूप में काफी तरक्की कर ली है.
फ़िलहाल, 180 पृष्ठ के इस अंक में कुल 125 रचनाकारों की लघुकथाएं और लघुकथाओं पर 10 आलेख शामिल किये गए हैं. इसमें भारत के तमाम प्रान्तों और विदेश से भी लघुकथाकारों को शामिल किया गया है. कुछेक ब्लागर्स की लघुकथाएं भी इसमें शामिल हैं. 125 लघुकथाओं के अतिरिक्त, शेष लघुकथाएं और आलेख हम सरस्वती सुमन को भेज रहे हैं, ताकि वे इनका सामान्य अंक में उपयोग कर सकें.
इस अंक के लिए जिन लोगों ने हमें सामग्री एकत्र करने में मदद की, रचनाएँ भेजीं और अन्य रूप में सहयोग दिया, उन सभी का आभार !!
सरस्वती सुमन (त्रैमासिक) : लघुकथा विशेषांक : जुलाई-सितम्बर-2011
अतिथि संपादक : कृष्ण कुमार यादव
प्रधान संपादक : डा. आनंद सुमन सिंह
पता: 'सारस्वतम', 1-छिब्बर मार्ग, आर्य नगर, देहरादून, उत्तराखण्ड-248001
saraswatisuman@rediffmail.com
9 टिप्पणियां:
बहुत बहुत बधाई...संभव हो इस अंक का पी डी एफ ऑन लाईन उपलब्ध कराया जाये.
बहुत बहुत बधाई। बेहतरीन रिपोर्ट।
बहुत बधाई। बेहतरीन रिपोर्ट।
बहुत बधाई। बेहतरीन रिपोर्ट।
ऑन लाइन भी उपलब्ध करायें।
भाई कृष्ण कुमार जी की सक्रियता अंडमान में भी बनी हुई है. आपके सान्निध्य में वहां भी साहित्यिक गतिविधियाँ चलती रहती हैं, देखकर हर्ष होता है.
सरस्वती सुमन के लघु-कथा विशेषण के सार्थक संपादन और भव्य विमोचन के लिए कृष्ण कुमार यादव जी को कोटिश: बधाइयाँ. आशा करता हूँ कि शीघ्र ही अंक भी प्राप्त होगा.
देश-विदेश के 126 लघुकथाकारों की लघुकथाओं और 10 सारगर्भित आलेखों को समेटे सरस्वती सुमन के इस अंक का सुदूर अंडमान से संपादन अपने आप में एक गौरवमयी उपलब्धि मानी जानी चाहिए. सरस्वती सुमन के इस लघु कथा विशेषांक के अतिथि संपादन के लिए कृष्ण कुमार यादव जी और प्रधान संपादक आनंद सुमन सिंह जी को बधाइयाँ.
सरस्वती सुमन का यह लघु-कथा विशेषांक पढने का सौभाग्य मिला. वाकई गागर में सागर. अब तक हिंदी में लघुकथाओं पर सबसे बड़ा विशेषांक.. श्री कृष्ण कुमार यादव जी को इस अनूठे अंक हेतु जितनी भी बधाई दी जाय कम ही होगी.
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