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मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

संबंधों की दुनिया (कविता)

सम्बन्धों के मकड़जाल से
भरी हुई है दुनिया
एक सम्बन्ध से नाता टूटा
तो दूसरे सम्बन्ध जुड़ गये
हर दिन न जाने कितने ही
सम्बन्धों से जुड़ते हैं लोग
कोई औपचारिक
तो कोई अनौपचारिक
पर कई सम्बन्ध
ऐसे भी होते हैं
जो न चाहते हुये भी
जुड़ जाते हैं,
क्योंकि
उनका नाता कहीं
मन की गहराईयों से होता है
ये सम्बन्ध
साथ भले
ही न निभा सकें
पर चेतन या अवचेतन में
उनकी टीस सदा बनी रहती है।

11 टिप्‍पणियां:

kunwarji's ने कहा…

ji badhiya....

kunwar ji,

DURGESH KUMAR ने कहा…

Bahut Achcha.......!!!!! Maja aa gaya padh ke,,,,,,!!!!!


http://idharudharki1bat.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

बड़ी सहज प्यारी सी कविता ! बधाई !

Udan Tashtari ने कहा…

सच कहा!

बहुत उम्दा भाव-एक बेहतरीन रचना!

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप ने अपनी इस कविता मै बहुत सुंदर बात कही. धन्यवाद

Akanksha Yadav ने कहा…

जटिल और सहज संबंधों का सुन्दर रूपक...लाजवाब कविता.

बेनामी ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्तियाँ..सुन्दर भाव..सहज शब्द..बधाई.

बेनामी ने कहा…

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करेंगे.जो रचनाकार इसमें भागीदारी चाहते हैं,वे अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ भेज सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों. hindi.literature@yahoo.com

vandana gupta ने कहा…

बहुत ही सरल शब्दों में गहरी बात कह दी........सम्बन्धो की दुनिया का सच कह दिया।दिल को छू गयी आपकी रचना।

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

Very nice.lekh man se likha hai aapne.

Dr.Sushila Gupta ने कहा…

prabhuta ,kshamta, yash ko samete,yun hi hasate rahna.........

har dil par has- haskar yun hi basate rahana.


really aapki lekhini ishwar ka vardan hai....thanks