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रविवार, 12 फ़रवरी 2023

बनारस लिट् फेस्ट- 2023 : काशी साहित्य कला उत्सव

काशी दुनिया का सबसे प्राचीन व जीवंत शहर है। पूरे विश्व में साहित्य, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान की धारा काशी से ही प्रवाहित हुई है। यही कारण है कि प्राचीन काल से ही काशी देश-दुनिया के लिए शक्ति का केंद्र रही है। साहित्य का मुख्य कार्य अंधेरे में उजाला फैलाना है। बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में 11 फरवरी को आयोजित दो दिवसीय बनारस लिट् फेस्ट- 2023 (काशी साहित्य कला उत्सव) के उद्घाटन सत्र में हुए विचार मंथन का यही निष्कर्ष रहा। काशी साहित्य कला उत्सव के उद्घाटन समारोह में साहित्यकारों, विद्वानों ने साहित्य और कला से युवाओं को रूबरू कराया। वहीं, नृत्य नाटिका, कवि सम्मेलन, लोक गायन में कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से उत्सव को यादगार बना दिया। 






नव भारत निर्माण समिति की ओर से आयोजित काशी साहित्य कला उत्सव के उद्घाटन सत्र में पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने कहा कि काशी अनंत शिव की अनादि गाथा है। मानसिक उदार चेतना वाली काशी में किसी को कभी छोटा मत समझना। न जाने कब कहां कोई ज्ञानी मिल जाए। काशी में संस्कृति और पद्धति में अंतर है। काशी सत्व में एकत्व  बनाने का महत्व देता है। 

समाजशास्त्री प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि काशी ने विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ऐसे में काशी को अपनी शक्ति से दुनिया को जोड़ने की जरूरत है, जो इसी तरह  के महोत्सव से संभव है। अध्यक्षता करते हुए पं. हरिराम द्विवेदी ने कहा कि काशी में शास्त्रीय व लोक दोनों है। सहित्यकारों, कवियों व गलियों का यह शहर भी है। अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र के निदेशक प्रो. प्रेमनारायण सिंह ने कहा कि युवाओं को कला, साहित्य, संस्कृति से जोड़े रखना बहुत जरूरी है। 




वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव  ने कहा कि काशी में साहित्य, कला, संस्कृति की त्रिवेणी बहती है। आजादी के अमृत काल   में इसकी प्रासंगिकता और बढ़ जाती है।  काशी की परंपराओं को समृद्ध करना ही बनारस लिट् फेस्ट की सफलता होगी। साहित्य अपने समय का सबसे बड़ा दस्तावेज होता है। 

लोक गायिका पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव, पद्मश्री चंद्रशेखर, आकाशवाणी निदेशक श्री राजेश गौतम ने उत्सव को साहित्य, कला को संजोने का एक बेहतर माध्यम बताया। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राम  सुधार सिंह ने किया। संचालन नव भारत निर्माण समिति के सचिव बृजेश सिंह ने किया।


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