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शनिवार, 21 मई 2016

फेसबुक अकाउंट

गार्डन में लैपटॉप लिए एक लड़के से बुजुर्ग दम्पति ने कहा- "बेटा हमारे लिए भी फेसबुक का एक अकाउंट बना दो।"
लड़के ने कहा- "लाइये अभी बना देता हूँ, कहिये किस नाम से बनाऊँ?"
बुजुर्ग ने कहा- "लड़की के नाम से कोई भी अच्छा सा नाम रख लो।"
लड़का ने अचम्भे से पूछा- "फेक अकाउंट क्यों ?"
बुजुर्ग ने कहा- "बेटा, पहले बना तो दो फिर बताता हूँ क्यों ?"
बड़ो का मान करना उस लड़के ने सीखा था तो उसने अकाउंट बना ही दिया।
अब उसने पूछा- "अंकल जी, प्रोफाइल इमेज क्या रखूँ?"
तो बुजुर्ग ने कहा- "कोई भी हीरोइन जो आजकल के बच्चों को अच्छी लगती हो।"
उस लड़के ने गूगल से इमेज सर्च करके डाल दी, फेसबुक अकाउंट ओपन हो गया।
फिर बुजुर्ग ने कहा- "बेटा कुछ अच्छे लोगो को ऐड कर दो।"
लड़के ने कुछ अच्छे लोगो को रिक्वेस्ट सेंड कर दी।
फिर बुजुर्ग ने अपने बेटे का नाम सर्च करवा के रिक्वेस्ट सेंड करवा दी। .
लड़का जो वो कहते करता गया जब काम पूरा हो गया तो उसने कहा...."अंकल जी अब तो आप बता दीजिये आपने ये फेक अकाउंट क्यों बनवाया?"
बुजुर्ग की आँखे नम हो गयी, उनकी पत्नी की आँखों से तो आँसू बहने लगे।
उन्होंने कहा- "मेरा एक ही बेटा है और शादी के बाद वो हमसे अलग रहने लगा। वर्षों बीत गए वो हमारे पास नहीं आता। शुरू-शुरू में हम उसके पास जाते थे तो वह नाराज हो जाता था। कहता आपको मेरी पत्नी पसंद नहीं करती। आप अपने घर में रहिये, हमें चैन से यहाँ रहने दीजिये। कितना अपमान सहते, इसलिए बेटे के यहाँ जाना छोड़ दिया। एक पोता है और एक प्यारी पोती है, बस उनको देखने का बड़ा मन करता है। किसी ने कहा कि फेसबुक में लोग अपने फैमिली की और फंक्शन की इमेज डालते हैं, तो सोचा फेसबुक में ही अपने बेटे से जुड़कर उसकी फैमिली के बारे में जान लेंगे और अपने पोता पोती को भी देख लेंगे, मन को शांति मिल जाएगी। अब अपने नाम से तो अकाउंट बना नहीं सकते। वो हमें ऐड करेगा नहीं, इसलिए हमने ये फेक अकाउंट बनवाया।"
उनकी बात सुनकर उस लड़के की आँखों में भी आँसू आ गए और वह बहुत देर तक अपलक उन्हें निहारता रह गया। 

रविवार, 15 मई 2016

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस : रिश्तों की गरमाहट को बचाने की जरूरत


आजकल हर दिन एक 'विशिष्ट दिवस' हो गया है। परिवार और समाज के सारे रिश्तों-नातों के लिए कोई न कोई दिन है। और आज है 'विश्व परिवार दिवस' । समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। 1995 से यह सिलसिला जारी है। फ़िलहाल, भूमंडलीकरण और सूचना क्रांति के इस दौर में परिवार का दायरा बढ़ रहा है, पर भावनाएं सिमटती जा रही हैं। परिवार कुछ लोगों के साथ रहने से नहीं बन जाता। इसमें रिश्तों की एक मज़बूत डोर होती है, सहयोग के अटूट बंधन होते हैं, एक-दूसरे की सुरक्षा के वादे और इरादे होते हैं। हमारा यह दायित्व है कि परिवार, इससे जुड़े रिश्ते और पारिवारिक भावनाओं की गरिमा को बनाए रखें !! 

- कृष्ण कुमार यादव @ शब्द-सृजन की ओर 
Krishna Kumar Yadav @ http://kkyadav.blogspot.com/

शनिवार, 14 मई 2016

कृष्ण कुमार यादव "गिरिराज सम्मान" से विभूषित


प्रशासन के साथ-साथ हिंदी साहित्य और लेखन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ  श्री कृष्ण कुमार यादव को गगन स्वर प्रकाशन द्वारा " गिरिराज सम्मान -2016" से  सम्मानित किया गया। श्री यादव को यह सम्मान उनके रफी अहमद किदवई नेशनल पोस्टल एकेडमी, गाजियाबाद में प्रवास के दौरान गगन स्वर के सम्पादक ए. के मिश्र  ने शाल ओढ़ाकर, नारियल फल देकर  एवं प्रशस्ति पत्र देकर अभिनन्दन के साथ किया।  गौरतलब है कि श्री यादव को यह सम्मान गत माह हिंदी भवन, नई दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय साहित्यकार समारोह में पद्मभूषण डॉ. गोपाल दास नीरज द्वारा पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कुँवर बेचैन की सादर उपस्थिति में प्रदान किया जाना था।  पर अपनी व्यस्तताओं के चलते कार्यक्रम  शामिल न हो पाने पर डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव को यह सम्मान गाजियाबाद में उनके प्रवास के दौरान दिया गया। 

कार्यक्रम के संयोजक ए. के मिश्र  ने कहा कि, श्री कृष्ण कुमार यादव भारतीय डाक सेवा  के अत्यन्त ऊर्जस्वी और गतिमान युवा अधिकारी हैं। उच्च कोटि के चिंतक, लेखक एवं ब्लॉगर होने के साथ-साथ आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की साम्यता अद्भुत एवं विलक्षण है। आपने विभिन्न विषयों पर कुल 7 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें   'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह), India Post : 150 glorious years , 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' , ’जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह) एवं ’16 आने 16 लोग’(निबंध-संग्रह) शामिल हैं। श्री यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व पर भी एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर" (सं0 डाॅ0 दुर्गाचरण मिश्र) प्रकाशित हो चुकी  है। 

देश-विदेश से प्रकाशित तमाम पत्र पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर भी प्रमुखता से प्रकाशित होने वाले श्री कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा ’’साहित्य सम्मान’’, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त द्वारा ”विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान”,  साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, वैदिक क्रांति परिषद, देहरादून द्वारा ‘’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान‘’, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा ’’पं0 बाल कृष्ण पाण्डेय पत्रकारिता सम्मान’’, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु तमाम सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।  







 प्रस्तुति :
ए. के. मिश्र 
प्रधान सम्पादक - गगन स्वर
30, रामा पार्क, निकट थाना साहिबाबाद 
गाजियाबाद -201005