इंटरनेट की दुनिया ने बहुत सारे नए शब्द इज़ाद करा दिए हैं। इनमें से एक है - ′क्राउड सोर्सिंग′. यह क्राउड और आउट सोर्सिंग से गढ़ा गया शब्द है, जिसका अर्थ होता है, लोगों (क्राउड) से विचार अथवा राय मांगना। यह काम आमतौर पर ऑनलाइन यानी इंटरनेट के माध्यम से होता है। आजकल अपने देश भारत में
मोदी सरकार सहित कुछेक राज्य सरकारें भी नीतियां बनाने और सरकारी अभियानों में ′क्राउड सोर्सिंग′ का जमकर इस्तेमाल कर रही है। तमाम फिल्म स्टार से लेकर विज्ञापनों की दुनिया से जुड़े लोग एवं साहित्यकार और कॉरपोरेट जगत के लोग भी इसका यदा कदा इस्तेमाल करते रहते हैं।
वर्ष 2005 में जेफ होवे और मार्क रॉबिन्सन ने अपनी पत्रिका वायर्ड में इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया था, मगर इसके उदाहरण 18वीं सदी में भी मिलते हैं। मसलन, वर्ष 1714 में द लॉन्गिट्यूड प्राइज के लिए ब्रिटिश सरकार ने लोगों से राय मांगी थी।
क्राउड सोर्सिंग के पीछे सोच यह है कि किसी एक व्यक्ति के बजाय कई लोगों से विचार, राय अथवा समाधान मांगने से श्रेष्ठ मशविरा सामने आता है। इसका एक उदाहरण विकिपीडिया भी है, जो चुनिंदा लेखकों अथवा संपादकों के बजाय अधिकाधिक लेखकों को खुद से जोड़े हुए है। इस कारण आज यह दुनिया का सबसे व्यापक विश्वकोश भी है। इसके समकक्ष दो अन्य शब्द भी हैं। पहला शब्द क्राउड फंडिंग है, जिसका अर्थ होता है, इंटरनेट के माध्यम से अधिकाधिक लोगों से पैसे जुटाना। और दूसरा, क्राउड टेस्टिंग, यानी सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता जांच करने के लिए लोगों का इस्तेमाल करना।
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