प्रेम एक भावना है
समर्पण है, त्याग है
प्रेम एक संयोग है
तो वियोग भी है
किसने जाना प्रेम का मर्म
दूषित कर दिया लोगों ने
प्रेम की पवित्र भावना को
कभी उसे वासना से जोड़ा
तो कभी सिर्फ उसे पाने से
भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
पाना ही नहीं खोना भी है
कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
पतंगा बार-बार जलता है
दीये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता !!
25 टिप्पणियां:
prem to sach me jeeva ka ek ang hai.
aapki kavita prem behtar hai.
'aapko dhanywad.
afsar
''क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता''
निराश युवाओं की नजर न पड़े इस पंक्ति पर.
adbhut
bahut sunder rachna
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता !!
सार्थक सन्देश आज की उस युवा पेढी को जो वेलेन्टाईन की आढ मे प्रेम को बदनाम करने पपर तुली हुयी है।
@ Afsar,
@ Deepti,
कविता को सराहने के लिए धन्यवाद.
@ Rahul JI,
निराश युवाओं की नजर न पड़े इस पंक्ति पर....बहुत खूब कहा आपने !!
@ Nirmala Ji,
आपने कविता का मर्म समझा और पसंद किया..कविता को सराहने के लिए धन्यवाद.
बेहद खूबसूरत रचना.
सादर
सच यही तो प्रेम होता है…………सुन्दर अभिव्यक्ति।
वेलेण्टाइन डे पर बहुत सुन्दर रचना...पापा को ढेर सारा प्यार और बधाई.
प्यार सिर्फ
पाना ही नहीं खोना भी है
कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी न पा सके राधा को... waah, itni badi baat aur itni sahajta
प्रेम की गहराई को चित्रित करती कविता।
शुभकामनायें आपको!!
काश कि वेलेंटाइन डे मानाने वाले इसका अर्थ भी समझ पाते ।
वेलेण्टाइन डे हर साल आता हे ओर यह प्रेम करने वालो को भी हर साल नया प्रेम होता हे, इस लिये हमारी राम राम
PREM KI BAAT HO AUR BHAGWAN SRIKRISHNA KI CHARCHA NA HO TO PREM ADHURA RAH JATA HAI, BHAGWAN SRIKRISHNA NE BHI APNE JEEVAN KE PHALE 10 VARSH SE PAHLE TAK HI PREM KIYA HAI KYOKI 10 VARSH KE BAAD WE VRINDAVAN SE MATHURA CHALE GAYE AUR WAPAS VRINDAVAN NAHI AAYE.UNHONE KEWAL BALYA-AWASHTHA TAK HI BHAGWATI SRI RADHARANI KE SAATH RAHKAR SANDESH DIYA KIYA KI PREM TABHI TAK HAI JAB TAK USME VAASNA NAHI HAI. BHAGWAN SRIKRISHNA AGAR YUVA-AWASHTHA TAK VRINDAVAN ME RAHTE TO HO SAKTA THA KUCH LOG UNKE PREM ME VAASHNA KO BHI JAGAH DEKAR PREM KI KOSH ME VAASNA KA JAGAH BANANE KA PRAYAS KARTE.PREM TABHI TAK JINDA HAI JAB TAK WAH VAASANA SE ACHHUTA HAI.
bahut sundar rachna... umda..
भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
पाना ही नहीं खोना भी है
कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
पतंगा बार-बार जलता है
दीये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता !!
प्यार का असली मतलब छुपा है आपकी इन पंक्तियों में.
अच्छा लगा ये कविता और प्रेम पर आपके विचार पढ़कर.
प्रेम के अर्थ का ही अनर्थ कर दिया है लोगों ने !!
बड़ी प्यारी और विचार योग्य रचना है ! आपको हार्दिक शुभकामनायें !
प्रेम की गहराई को चित्रित करती कविता।
PREM PAR LIKHNA AUR PADHNA DONO HI BADHIYA LAGTA HAI.PREM JAHAN BHI HOGA WAHA SHANTI, SAMRIDHI, SADVAVNA,SANSKAR,SUCHITA AADI AADI HOGA.
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता...Ab iske age kya kahen.
साहित्य का प्रकाश यूँ ही चारों तरफ फैलाते रहें
कृष्ण बनकर जग का अँधियारा भगाते रहें.
भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2010‘‘ से सम्मानित होने पर श्री कृष्ण कुमार यादव जी को हार्दिक शुभकामनायें और बधाइयाँ.
बेहतरीन गीत...बधाई.
प्रेम के भावों से सुसज्जित बहुत सुन्दर और समसामयिक पोस्ट...बधाई.
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