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सोमवार, 12 जुलाई 2010

भगवान को पाती

आपने वो वाली कहानी तो सुनी ही होगी, जिसमें एक किसान पैसों के लिए भगवान को पत्र लिखता है और उसका विश्वास कायम रखने के लिए पोस्टमास्टर अपने स्टाफ से पैसे एकत्र कर उसे मनीआर्डर करता है. दुर्भाग्यवश, पूरे पैसे एकत्र नहीं हो पाते और अंतत: किसान डाकिये पर ही शक करता है कि उसने ही पैसे निकाल लिए होंगे, क्योंकि भगवान जी कम पैसे कैसे भेज सकते हैं।



सवाल आस्था से जुड़ा हुआ है. कहते हैं आस्था में बड़ी ताकत होती है. अपनी आस्था प्रदर्शित करने के हर किसी के अपने तरीके हैं. कुछ लोग शांति के साथ पूजा करते हैं, तो कुछ मंत्रोच्चार के साथ अथवा भजन गाकर। लेकिन उड़ीसा के खुर्दा जिले में एक मंदिर ऐसा भी है, जहाँ लोग ईश्वर को पत्र लिखकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आराधना करते हैं। भुवनेश्वर से 50 किलोमीटर दूर यह मंदिर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का भी प्रतीक है। गुंबद पर जहाँ अर्द्धचंद्राकार कृति है, वहीं चक्र भी बना हुआ है।



इस मंदिर में पत्र लिखने की परंपरा की शुरुआत कब हुई, इसकी जानकारी तो किसी को नहीं है, लेकिन ऐसी मान्यता है कि पत्र लिखकर आप कोई इच्छा व्यक्त करते हैं, तो आपकी मनोकामना पूरी होगी। आपकी जो भी मनोकामना हो उसे लिख डालें और फिर उसे मंदिर की दीवार पर लगा दें। 17 वीं शताब्दी के इस बोखारी बाबा के मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग पहुंचते हैं। इसे सत्य पीर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों संप्रदाय के लोग पहुंचते हैं।



इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ का पुजारी मुसलमान है, लेकिन दूध, और केले से बने भोग को हिन्दू तैयार करते हैं। यहाँ के धांदू महापात्र बड़े गर्व से बताए हैं कि हमारा परिवार पीढ़ियों से मंदिर में फूल पहुंचाता रहा है और अब मैं भी उसी परंपरा का निर्वाह कर रहा हूँ. यह स्थल सांप्रदायिक सद्भाव की जीती-जागती मिसाल है। यहाँ मुस्लिम श्रद्धालु चादर चढ़ाते हैं तो हिन्दू श्रद्धालु पुष्प अर्पित करते हैं। मंदिर के पुजारी सतार खान बताते हैं कि इस मंदिर में विभिन्न धर्मों के लोग आतें हैं।वे यहाँ कागज के टुकड़े पर अपनी मनोकामना लिखते हैं और फिर उसे दीवार पर लगा देते हैं। जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो दोबारा आते हैं और बोखारी बाबा को चादर अथवा फूल चढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि जो श्रद्धालु यहाँ आने में असमर्थ होते हैं, वे यहाँ पत्र भेज देते हैं और हम उसे दीवार पर लगा देते हैं। वाकई हम 21 वीं सदी में विज्ञानं के बीच भले ही जी रहे हों, पर ईश्वरीय आस्था जस की तस कायम है. यही हमारी परम्परा है, आस्था है, संस्कृति है...!!

14 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर।

vandana gupta ने कहा…

vaah ..............badi hi badhiya jaankari di hai.

ANKUR ने कहा…

बहुत खूब सर । कक्षा 10 में ये कहानी पढी थी और अब आपके लेख को पढकर वो कहानी दोबारा याद आ गयी। परन्तु यह कभी नहीं सोचा था कि इस तरह का कोई मंदिर भी हो सकता है जहां लोग पत्र के माध्यम से भगवान से अपनी इच्छा व्यक्त करते है। इस महत्वपूर्ण जानकारी एवं ज्ञान वर्धन के लिए बधाई।

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

के के साहब आपको कृष्ण कुमार कहता हूँ (के के नाम थोड़ा फिल्मी लगता है) …मज़ाक... बहुत अच्छी जानकारी दी आपने... आस्था हमारे देश की फिज़ाँ में है... और इसका कोई तर्क नहीं, कोई सबूत नहीं... आभार आपका... गोवा के बिग फुट पर हाथ रखकर भी लोग मन्नतें मांगते हैं, और पूरा होने पर पत्र लिखकर धन्यवाद व्यक्त करते हैं. कई पत्र आते हैं वहाँ... बहुत अच्छा लगा.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बढ़िया और नयी जानकारी

Unknown ने कहा…

सब अपनी-अपनी आस्था का सवाल है..लाजवाब जानकारी.

Unknown ने कहा…

'ब्लागोत्सव-2010' द्वारा 'वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा' का ख़िताब पाने पर अक्षिता (पाखी) को बधाइयाँ. इस अवसर पर पाखी के पापा के.के. यादव जी और ममा आकांक्षा यादव जी को भी बधाई कि उन्होंने पाखी को वो परिवेश और संस्कार दिए कि पाखी को आज यह सम्मान मिला. वैसे पाखी है ही इतनी प्यारी कि लोग खींचे चले आते हैं. रविन्द्र प्रभात और आयोजन से जुड़े सभी लोगों ने पाखी को श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा का ख़िताब देकर जता दिया है कि बच्चे भी किसी से कम नहीं. आपको, आकांक्षा जी को और पाखी को एक बार फिर से हार्दिक बधाइयाँ.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

दिलचस्प जानकारी..हमें भी कुछ मांगना होगा तो अब ईश्वर को पाती लिखेंगे.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

"वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा'' का ख़िताब पाने पर अक्षिता (पाखी) को ढेर सारी बधाई और प्यार. आप यूँ ही उन्नति करती रहो.ढेरों शुभकामनायें.

sandhyagupta ने कहा…

वाकई हम 21 वीं सदी में विज्ञानं के बीच भले ही जी रहे हों, पर ईश्वरीय आस्था जस की तस कायम है. यही हमारी परम्परा है, आस्था है, संस्कृति है...!!

Aapki baat se sahmt hoon.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

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अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

bahut hi sundar

Akanksha Yadav ने कहा…

...ईश्वर में आस्था अभी भी कायम है.

Shyama ने कहा…

रोचक बात बताई...आभार.