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मंगलवार, 23 मार्च 2010

जरा याद करो कुर्बानी

आज 23 मार्च को राजगुरु, सुखदेव और शहीद-ए-आजम भगत सिंह की पुण्य तिथि है।ब्रितानिया हुकूमत ने जब शहीद-ए-आजम भगतसिंह को फाँसी के फँदे पर लटकाया तो पूरे देश में आजादी पाने की ख्वाहिश और भी भड़क गई। 23 मार्च 1931 की इस घटना की गूँज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई दी। तत्कालीन भारतीय नेताओं और देश विदेश के अखबारों ने गोरी हुकूमत के इस अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ जबरदस्त प्रतिक्रिया व्यक्त की। गौरतलब है कि गोरी हुकूमत ने जन विद्रोह के डर से लाहौर षड्यंत्र (सैंडर्स हत्याकांड) में राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को फाँसी के लिए निर्धारित तिथि 24 मार्च से एक दिन पहले यानी 23 मार्च को ही फाँसी पर चढ़ा दिया था। इस पर क्षोभ व्यक्त करते हुए चर्चित 'आनंद बाजार' पत्रिका ने लिखा- 'राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह की मौत से पूरे देश पर दुःख का काला साया छा गया है' तो 'पंजाब केसरी' ने लिखा 'जिस व्यक्ति ने वायसराय को इन नौजवानों को फाँसी पर लटकाने की सलाह दी वह देश का गद्दार और शैतान था।'

स्वयं भगत सिंह और उनके साथी इस क्रांति का अंत जानते थे, पर यह विश्वास अवश्य था कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा और देश आजाद होगा। ‘‘तुझे जिबह करने की खुशी और मुझे मरने का शौक है मेरी भी मर्जी वही जो मेरे सैयाद की है...’’ इन पंक्तियों का एक-एक लफ्ज उस महान देशभक्त भगत सिंह की वतन पर मर मिटने की ख्वाहिश जाहिर करता है, जिसने आजादी की राह में हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया। आज भी इस शहादत पर लिखे अंग्रेजी अखबार 'द पीपुल' के शब्द गौरतलब हैं-'भगतसिंह एक किंवदंती बन गया है। देश के सबसे अच्छे पुष्प के चले जाने से हर कोई दुःखी है। हालाँकि भगतसिंह अब नहीं रहा लेकिन हर जगह क्रांति अमर रहे और भगतसिंह अमर रहे जैसे नारे अब भी सुनाई देते हैं।'

!!! आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की पुण्यतिथि पर कोटिश: नमन और श्रद्धांजलि !!!




11 टिप्‍पणियां:

मन-मयूर ने कहा…

स्वयं भगत सिंह और उनके साथी इस क्रांति का अंत जानते थे, पर यह विश्वास अवश्य था कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा और देश आजाद होगा...Naman !!

मन-मयूर ने कहा…

23rd march, 1931..In the morning time, Legendary BHAGAT
SINGH, SUKHDEV & RAJGURU were hanged to thier deaths..But today, we don't even remember their names.We only celebrate Chocolate day, Valentine's day but we dont have time to remember those martyrs..Please pass this message to everybody & salute thier sacrifice..Tribute to those martyrs..JAI HIND !!

समयचक्र ने कहा…

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिह को पोस्ट में याद करने लिए आभार बहुत बढ़िया प्रस्तुति शहीदों को शत् शत् नमन...

raghav ने कहा…

‘तुझे जिबह करने की खुशी और मुझे मरने का शौक है मेरी भी मर्जी वही जो मेरे सैयाद की है' इन पंक्तियों का एक-एक लफ्ज उस महान देशभक्त भगत सिंह की वतन पर मर मिटने की ख्वाहिश जाहिर करता है, जिसने आजादी की राह में हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया।...आज के दिन लाजवाब प्रस्तुति...शत-शत नमन !!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सामयिक लेख।
शहीदों को नमन अवम श्रधांजलि।

शरद कुमार ने कहा…

जिसने आजादी की राह में हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया।...लाजवाब sir

शरद कुमार ने कहा…

जिसने आजादी की राह में हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया।...लाजवाब sir

शरद कुमार ने कहा…

जिसने आजादी की राह में हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया।...लाजवाब sir

बेनामी ने कहा…

Lajwab Post. Bhagat singh ke bina Ajadi ka itihas adhura hai.

राज भाटिय़ा ने कहा…

काश यह नारे लगाने वाले सिर्फ़ नारे ही ना लगाये, भगत सिहं ओर दुसरे शहीदो के पदचिहओ पर चल कर भी दिखाये,
शहीदों को श्रधांजलि।

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

भगत सिंह सदैव प्रासंगिक रहेंगे..लाजवाब पोस्ट.