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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी

ईस्ट इण्डिया कंपनी के नाम से भला कौन अपरिचित होगा। इसी कंपनी के माध्यम से अंग्रेजों ने भारत को गुलामी के बंधन में जकड़ा था. तब किसी ने नहीं सोचा था कि व्यापार के बहाने भारत आई ईस्ट इण्डिया कंपनी एक दिन ब्रिटिश सरकार की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का भी जरिया बनेगी, पर अंतत: यही हुआ. व्यापार करने वाले कब भारत में अपनी सरकार बना बैठे, पता ही नहीं चला.

वक़्त बड़ा बलवान होता है, सो ईस्ट इण्डिया कंपनी को अब से पाँच साल पहले एक भारतीय उद्यमी संजीव मेहता ने खरीद लिया. स्वयं संजीव मेहता के लिए वाकई यह एक रोचक अनुभव रहा कि जिस कंपनी ने कभी हमारे ऊपर राज किया था उस पर राज करना एक तरह से इतिहास का वो पन्ना ही खरीद लेने जैसा था. फ़िलहाल संजीव मेहता इस कंपनी को अभयदान देने के मूड में हैं और शीघ्र ही 1.5 करोड़ पौंड के निवेश के साथ-साथ लन्दन में इसका पहला स्टोर खोलने जा रहे हैं. वाकई यह उस ब्रिटिश-हूकुमत की नाक तले ही होगा, जिसने इसी कंपनी की आड में कभी भारत पर राज किया था. सिर्फ लन्दन ही नहीं, इसी साल संजीव मेहता भारत में भी इस कंपनी के बैनर तले चीजें बेचने की सोच रहे हैं. बस आशा की जानी चाहिए की जिस ईस्ट इण्डिया कंपनी ने कभी व्यापार के बहाने हमारी अस्मिता को रौंदा था, ऐसा कुछ यह नए रूप वाली ईस्ट इण्डिया कंपनी नहीं करेगी !!

16 टिप्‍पणियां:

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

ye jaankar khushi hui ki ek bhartiya ne is co. ko khareeda, asha yahi karenge ki itihas na dohraye, jankari ke liye aabhaa.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

यह तो बड़ा सुखद समाचार है।
आखिर इतिहास पलटने वाला है।
काश की कोहिनूर भी वापस आ जाये।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

Sunita Sharma Khatri ने कहा…

बहुत बडी उपलब्धि है यह भारतीय बहुत कुछ कर सकते है अगर सोये न रहे तो..........।

राज भाटिय़ा ने कहा…

मुझे तो इस नाम से ही नफ़रत है,यह नाम हमारी गुलामी की पहचान है काश इसे बदल दिया जाये तो कितना अच्छा होगा

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

jankaari dene ka shukriya

Akanksha Yadav ने कहा…

बस आशा की जानी चाहिए की जिस ईस्ट इण्डिया कंपनी ने कभी व्यापार के बहाने हमारी अस्मिता को रौंदा था, ऐसा कुछ यह नए रूप वाली ईस्ट इण्डिया कंपनी नहीं करेगी !!
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Ab to ham jagruk ho chuke hain.

S R Bharti ने कहा…

दिलचस्प जानकारी...हम तो इस पोस्ट का शीर्षक पढ़कर डर ही गए थे.

Bhanwar Singh ने कहा…

बहुत खूब. आपने बात भी कह दी, चेता भी दिया सभी को.

Unknown ने कहा…

हम तो समझे थे की यह कंपनी ख़त्म हो गई होगी, पर अभी भी कायम है बस निजाम बदल गया है.

Unknown ने कहा…

हम तो समझे थे की यह कंपनी ख़त्म हो गई होगी, पर अभी भी कायम है बस निजाम बदल गया है.

Shahroz ने कहा…

ईस्ट हो या वेस्ट, इण्डिया इज द बेस्ट. यदि हम अपनी योग्यता को पहचानें तो बल्ले-बल्ले.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

बोंस कहाँ से ढूंढ़ लाये यह ऐतिहासिक जानकारी..ग्रेट.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

लौटने तो दीजिये, वो खबर लेंगें की फिर पलट कर न देखेंगें.

बेनामी ने कहा…

लौटेगी पर गुलामी करवाने का दम नहीं होगा. अबकी नकेल एक भारतीय के हाथ में है.

S R Bharti ने कहा…

"लौट रही इष्ट इंडिया कंपनी"
जानकारी बहुत ही रोचक है तथा यह भी व्यक्त करती है की एक बार वक्त ने पुनः अपने बलवान रूप को कथित बाहुबलियों के सामने प्रस्तुत किया .