ईस्ट इण्डिया कंपनी के नाम से भला कौन अपरिचित होगा। इसी कंपनी के माध्यम से अंग्रेजों ने भारत को गुलामी के बंधन में जकड़ा था. तब किसी ने नहीं सोचा था कि व्यापार के बहाने भारत आई ईस्ट इण्डिया कंपनी एक दिन ब्रिटिश सरकार की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का भी जरिया बनेगी, पर अंतत: यही हुआ. व्यापार करने वाले कब भारत में अपनी सरकार बना बैठे, पता ही नहीं चला.
वक़्त बड़ा बलवान होता है, सो ईस्ट इण्डिया कंपनी को अब से पाँच साल पहले एक भारतीय उद्यमी संजीव मेहता ने खरीद लिया. स्वयं संजीव मेहता के लिए वाकई यह एक रोचक अनुभव रहा कि जिस कंपनी ने कभी हमारे ऊपर राज किया था उस पर राज करना एक तरह से इतिहास का वो पन्ना ही खरीद लेने जैसा था. फ़िलहाल संजीव मेहता इस कंपनी को अभयदान देने के मूड में हैं और शीघ्र ही 1.5 करोड़ पौंड के निवेश के साथ-साथ लन्दन में इसका पहला स्टोर खोलने जा रहे हैं. वाकई यह उस ब्रिटिश-हूकुमत की नाक तले ही होगा, जिसने इसी कंपनी की आड में कभी भारत पर राज किया था. सिर्फ लन्दन ही नहीं, इसी साल संजीव मेहता भारत में भी इस कंपनी के बैनर तले चीजें बेचने की सोच रहे हैं. बस आशा की जानी चाहिए की जिस ईस्ट इण्डिया कंपनी ने कभी व्यापार के बहाने हमारी अस्मिता को रौंदा था, ऐसा कुछ यह नए रूप वाली ईस्ट इण्डिया कंपनी नहीं करेगी !!
वक़्त बड़ा बलवान होता है, सो ईस्ट इण्डिया कंपनी को अब से पाँच साल पहले एक भारतीय उद्यमी संजीव मेहता ने खरीद लिया. स्वयं संजीव मेहता के लिए वाकई यह एक रोचक अनुभव रहा कि जिस कंपनी ने कभी हमारे ऊपर राज किया था उस पर राज करना एक तरह से इतिहास का वो पन्ना ही खरीद लेने जैसा था. फ़िलहाल संजीव मेहता इस कंपनी को अभयदान देने के मूड में हैं और शीघ्र ही 1.5 करोड़ पौंड के निवेश के साथ-साथ लन्दन में इसका पहला स्टोर खोलने जा रहे हैं. वाकई यह उस ब्रिटिश-हूकुमत की नाक तले ही होगा, जिसने इसी कंपनी की आड में कभी भारत पर राज किया था. सिर्फ लन्दन ही नहीं, इसी साल संजीव मेहता भारत में भी इस कंपनी के बैनर तले चीजें बेचने की सोच रहे हैं. बस आशा की जानी चाहिए की जिस ईस्ट इण्डिया कंपनी ने कभी व्यापार के बहाने हमारी अस्मिता को रौंदा था, ऐसा कुछ यह नए रूप वाली ईस्ट इण्डिया कंपनी नहीं करेगी !!
16 टिप्पणियां:
ye jaankar khushi hui ki ek bhartiya ne is co. ko khareeda, asha yahi karenge ki itihas na dohraye, jankari ke liye aabhaa.
यह तो बड़ा सुखद समाचार है।
आखिर इतिहास पलटने वाला है।
काश की कोहिनूर भी वापस आ जाये।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत बडी उपलब्धि है यह भारतीय बहुत कुछ कर सकते है अगर सोये न रहे तो..........।
मुझे तो इस नाम से ही नफ़रत है,यह नाम हमारी गुलामी की पहचान है काश इसे बदल दिया जाये तो कितना अच्छा होगा
jankaari dene ka shukriya
बस आशा की जानी चाहिए की जिस ईस्ट इण्डिया कंपनी ने कभी व्यापार के बहाने हमारी अस्मिता को रौंदा था, ऐसा कुछ यह नए रूप वाली ईस्ट इण्डिया कंपनी नहीं करेगी !!
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Ab to ham jagruk ho chuke hain.
दिलचस्प जानकारी...हम तो इस पोस्ट का शीर्षक पढ़कर डर ही गए थे.
बहुत खूब. आपने बात भी कह दी, चेता भी दिया सभी को.
हम तो समझे थे की यह कंपनी ख़त्म हो गई होगी, पर अभी भी कायम है बस निजाम बदल गया है.
हम तो समझे थे की यह कंपनी ख़त्म हो गई होगी, पर अभी भी कायम है बस निजाम बदल गया है.
ईस्ट हो या वेस्ट, इण्डिया इज द बेस्ट. यदि हम अपनी योग्यता को पहचानें तो बल्ले-बल्ले.
बोंस कहाँ से ढूंढ़ लाये यह ऐतिहासिक जानकारी..ग्रेट.
लौटने तो दीजिये, वो खबर लेंगें की फिर पलट कर न देखेंगें.
लौटेगी पर गुलामी करवाने का दम नहीं होगा. अबकी नकेल एक भारतीय के हाथ में है.
"लौट रही इष्ट इंडिया कंपनी"
जानकारी बहुत ही रोचक है तथा यह भी व्यक्त करती है की एक बार वक्त ने पुनः अपने बलवान रूप को कथित बाहुबलियों के सामने प्रस्तुत किया .
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