भूमण्डलीकरण को वास्तविक रूप में फलीभूत करने वाला सबसे प्रमुख तत्व ‘सूचना प्रौद्योगिकी’ है और सूचना प्रौद्योगिकी को जन-जन तक पहुँचाने का सबसे सरल माध्यम ‘इण्टरनेट’ है। इण्टरनेट ने समग्र विश्व को एक लघु गाँव में परिवर्तित कर दिया जहाँ एक माउस के क्लिक मात्र से सूचनाओं का संजाल पसरता जाता है। इण्टरनेट ने न सिर्फ चकित करने वाली क्षमताएँ हासिल की है, बल्कि काफी हद तक उसने दुनिया की सूरत भी बदल दी है। आलम यह है कि विकसित देशों में कम्प्यूटर और इण्टरनेट इन्सान के सबसे करीबी मित्र बन गये हैं। बदलते समय में इण्टरनेट ने वैश्विक आर्थिक-सामाजिक विकास को आशातीत रतार उपलब्ध कराने के साथ-साथ मानव को भौतिक समृद्धि के शीर्ष पर भी पहुँचाया।
2 सितम्बर 1969 को आरम्भ हुये इंटरनेट ने वर्ष 2009 में 40 साल पूरे कर लिये। 1969 में अमेरिकी शहर लाॅसएंजिल्स के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय की एक प्रयोगशाला में लेन क्लेनराॅक अपने साथियों के साथ दो कम्प्यूटरों के मध्य डाटा का आदान-आदान करने की कोशिश में वह अद्भुत कार्य कर बैठे, जिसने भविष्य में लोगों की दुनिया ही बदल दी। इसके जरिए दुनिया के लोग एक-दूसरे से सीधे जुड़ गए। दो कम्प्यूटरों के बीच 15 मीटर लंबी केबल से डाटा पास हुआ और इसी के साथ इंटरनेट का जन्म हुआ। वस्तुतः शीत युद्ध के दौरान रूस ने जब स्पुतनिक सेटेलाइट लांच किया तो अमेरिकी सरकार काफी चिंतित हो उठी। अमेरिका में एक ऐसे संचार माध्यम की जरूरत महसूस की जाने लगी जिससे सैन्य-शक्ति में इजाफा हो सके। साथ ही संचार को और तीव्र व व्यापक बनाया जा सके। इसी को मद्देनजर रखते हुए मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी के डाॅ0 जे0सी0आर0 लीक लीडर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। 1958 में एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी बनाकर इसके अंतर्गत अर्पानेट तकनीक की शुरूआत की गई। अर्पानेट के तहत 1969 में सर्वप्रथम प्रायोगिक तौर पर चार विश्वविद्यालयों को इससे जोड़ा गया और इसी क्रम में अन्ततः 2 सितम्बर 1969 को इंटरनेट का आरम्भ हुआ।
कालान्तर में इण्टरनेट के क्षेत्र में तमाम क्रान्तिकारी परिवर्तन आये। 1971 में टीसीपी और आईपी प्रोटोकाल बनने से ईमेल सेवा आरम्भ हुई और बीबीएन के इंजीनियर रे टाॅमलिंसन ने प्रथम ईमेल भेजा। 1983 में डोमेन का आरम्भ हुआ एवं एक साल बाद नाम के अंत में डाॅट काॅम, डाॅट इन लगाया जाने लगा। 1988 में पहले इंटरनेट वायरस ने लाखों कंम्प्यूटर्स को क्षति पहुँचाई। 1990 में टिम बर्नर्स ली ने वल्र्ड वाइड वेब का विकास किया तो 1993 में प्रथम वेब ब्राउजर मोजैक का विकास हुआ। इसी क्रम में 1994 में प्रथम बिजनेस वेब ब्राउजर नेटस्केप का आरम्भ हुआ। 1998 तो इण्टरनेट के लिए और भी क्रांतिकारी वर्ष साबित हुआ, जब गूगल सर्च इंजन के विकास ने इंटरनेट की दुनिया में सब कुछ बदल के रख दिया। इसी वर्ष डोमेन के लिए इंटरनेट कारपोरेशन फाॅर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) संस्था का गठन भी हुआ। 2004-05 के दौरान फेसबुक व विडियो शेयर करने के लिए यू-ट्यूब तकनीक आरम्भ हुई।
इण्टरनेट को 20वीं सदी का सबसे बड़ा आविष्कार माना जाता है, जो 21वीं सदी को अपने इशारों पर परिचालित करेगा। इण्टरनेट पर बढ़ती निर्भरता के साथ इसका प्रयोग अब मात्र सूचनाओं के आदान-प्रदान और शोध कार्यांे के लिये ही नहीं बल्कि मनोरंजन, व्यापार, खरीददारी, नीलामी, संचार, बैंकिंग, शिक्षा, यात्रा कार्यक्रम, बधाई सन्देशों को भेजने, जीवन साथी की खोज और यहाँ तक कि जिन्दगी जीने का जरिया बन चुका है। आज इण्टरनेट अपने आप में पूरी दुनिया को समेटे हुये है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक इस समय भारत में 8 करोड़ से भी ज्यादा लोग इण्टरनेट यूज कर रहे हैं। वर्तमान में गूगल सर्च में एक खरब से ज्यादा वेबसाइट सूचीबद्ध हैं और अगर एक पेज को देखने में एक मिनट भी लगता है तो सुलभ साइटों की संख्या आपको 31 हजार साल तक उलझाए रख सकती है।
निश्चिततः आधुनिक दौर में इण्टरनेट के बढ़ते प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चाहे वह ई-गर्वनेंस हो या ई-काॅमर्स, ई-शाॅपिंग, ई-बिलिंग, ई-एजुकेशन, ई-मेडिकल या वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग हो, इण्टरनेट ने सब सरल और सुगम बना दिया है। पर आज जरूरत है कि इण्टरनेट पर किसी देश विशेष, भाषा विशेष या वर्ग विशेष के अधिकार की बजाय सभी के अधिकार की बात की जाय क्योंकि इण्टरनेट मात्र सूचना प्रौद्यौगिकी और व्यापार का औजार नहीं है बल्कि विकास का भी सक्षम औजार है। तभी सही अर्थांे में इण्टरनेट एक ऐसा ‘ग्लोबल विलेज’ बनाने में सक्षम होगा जो सभी की पहुँच के अन्दर है।
16 टिप्पणियां:
इण्टरनेट एक ऐसा ‘ग्लोबल विलेज’ बनाने में सक्षम होगा जो सभी की पहुँच के अन्दर है।
इण्टरनेट के बारे मे सुन्दर लेख
इंटरनेट के जन्म और विकास पर एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण जानकारी से परिपूर्ण लेख. सच है की इंटरनेट २०वी सदी का सबसे बड़ा आविष्कार है. आज इंटरनेट के होने से दुनिया कितनी छोटी नज़र आती है. हमारे धन्य भाग.
Bahut sundar jankari...abhar !!
इण्टरनेट पर बढ़ती निर्भरता के साथ इसका प्रयोग अब मात्र सूचनाओं के आदान-प्रदान और शोध कार्यांे के लिये ही नहीं बल्कि मनोरंजन, व्यापार, खरीददारी, नीलामी, संचार, बैंकिंग, शिक्षा, यात्रा कार्यक्रम, बधाई सन्देशों को भेजने, जीवन साथी की खोज और यहाँ तक कि जिन्दगी जीने का जरिया बन चुका है.....इंटरनेट के जन्म और विकास पर सुन्दर लेख.
इण्टरनेट भैये को जन्मदिन मुबारक!
बेहतरीन जानकारी....40 साल में ही इण्टरनेट ने काफी ख्याति अर्जित कर ली.
बेहतरीन जानकारी....40 साल में ही इण्टरनेट ने काफी ख्याति अर्जित कर ली
इंटरनेट के जन्म और विकास पर नई बात बताई आपने....इंटरनेट महाराज 40 साल में ही दुनिया को अपना दीवाना बना चुके हैं.
बहुत सुन्दर आलेख....अच्छी जानकारी.
वर्तमान में गूगल सर्च में एक खरब से ज्यादा वेबसाइट सूचीबद्ध हैं और अगर एक पेज को देखने में एक मिनट भी लगता है तो सुलभ साइटों की संख्या आपको 31 हजार साल तक उलझाए रख सकती है।....Ab to 7 janmon wala formula bhi fail ho gaya.
इण्टरनेट का इतहास पढ कर अच्छा लगा,धन्यवाद इस सुंदर जानकारि के लिये
Bahut achca mahitipoorn lekh. Antarjal auron ke liye to hai hee par hum bloggeron ke liye to jeevanavashyak ban gaya hai.
बहुत नायब जानकारी-भरा पोस्ट. के.के. जी का आभार.
Imp. article....Thanks.
जानकारी के लिए शुक्रिया. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
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