समर्थक / Followers

शनिवार, 7 मार्च 2009

हिन्दी कविता को नया मिजाज दिया अज्ञेय ने (जन्मतिथि ७ मार्च पर)

आधुनिक हिंदी साहित्य में अपनी बहुमुखी प्रतिभा विशेषकर कविता के जरिए विशिष्ट छाप छोड़ने वाले साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय ने अपनी परिष्कृत संवेदना से आधुनिक समाज के विभिन्न पक्षों को समझने और उन्हें अभिव्यक्त करने का प्रयास किया। उत्तर छायावाद दौर में हिन्दी कविता के शीर्ष कवियों में रहे सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन ने न केवल हिन्दी कविता को नया मिजाज दिया बल्कि तार सप्तक और विभिन्न सप्तकों के जरिए तमाम नए कवियों को आगे लाने का काम किया। अज्ञेय नई कविता के पुरोधा थे। उन्होंने उत्तर छायावाद के बाद सर्वथा नई भाषा और बिंब दिए और हिंदी कविता के लिए नई जमीन तोड़ी। यद्यपि कुछ आलोचक अज्ञेय को छंद विरोधी कहते हैं, पर यह सही नहीं है। अज्ञेय ने चाहे कविता के छंद की लय हो या जीवन की लय हो, उसे हमेशा महत्व दिया। उनकी कविता का प्रभाव साहित्य में आज तक दिखाई पड़ता है। कविता के साथ-साथ उन्होंने उपन्यास, कहानी, निबंध, डायरी, यात्रा संस्मरण सहित अन्य विधाओं में नए प्रतिमान गढ़ने का प्रयास किया। हिंदी काव्य में जयशंकर प्रसाद के बाद प्रकृति और प्रेम के विभिन्न रूपों पर सबसे अधिक अज्ञेय ने ही लिखा है। उनकी कविता में प्रकृति और प्रेम विभिन्न रूपों में सामने आता है।अपनी कविताओं में अज्ञेय ने आधुनिक संवेदनाओं और महानगरीय बोध को भी प्रमुखता से स्थान दिया। उनकी कविता छायावाद के दौर से नितांत भिन्न होने के बावजूद हिंदी की तमाम विशिष्टताओं को संजोती है। अज्ञेय के प्रमुख काव्य संग्रहों में भग्नदूत, इत्यलम, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, आंगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 7 मार्च 1911 को जन्मे अज्ञेय का गद्य के मामले में भी कोई जवाब नहीं था। उन्होंने ''शेखर एक जीवनी'' नामक विलक्षण उपन्यास लिखा, जो कि हिंदी साहित्य के बेहद चर्चित उपन्यासों में शामिल हैं। यह आत्मपरक रचना दरअसल व्यक्तित्व की खोज पर आधारित थी। इसके अलावा उन्होंने नदी के द्वीप और अपने अपने अजनबी उपन्यास भी लिखे। अरे यायावर रहेगा याद और एक बूंद सहसा उछली उनके यात्रा वृत्तांत हैं। उनके कई निबंध संग्रह भी हैं। अज्ञेय पत्रकारिता के क्षेत्र में भी काफी सक्रिय रहे। उन्होंने सैनिक, दिनमान, नवभारत टाइम्स सहित विभिन्न पत्र पत्रिकाओं का संपादन किया। दिनमान पत्रिका के संपादन से जुड़कर उसे हिन्दी पत्रकारिता का गौरव बना दिया। अज्ञेय कि निबंध शैली भी काफी विशिष्ट रही है। उनके सभी निबंध तर्कशुद्ध चिंतन पर आधारित होते हैं। इन निबंधों में वह समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सूक्ष्म से सूक्ष्म चिंतन करते थे। अज्ञेय के यात्रा वृत्तांतों, डायरी तथा संस्मरणों में उनकी चिंतनशीलता की बखूबी झलक मिलती है। अज्ञेय ने तार सप्तक, दूसरा सप्तक और तीसरा सप्तक के जरिए हिन्दी साहित्य के कई प्रतिभावान कवियों की कृतियों का संचयन किया। उन्हें आंगन के पार द्वार के लिए साहित्य अकादमी और कितनी नावों में कितनी बार के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि जयशंकर प्रसाद के बाद अज्ञेय ही ऐसे कवि है जिनके साहित्य में काफी परिष्कृत संवेदना दिखाई देती है। उन्होंने साहित्य की शायद ही कोई ऐसी विधा हो जिस पर कलम न चलाई हो। अज्ञेय अपने निजी जीवन में भी प्रोयाग्धर्मी थे। एक यात्रा के दौरान उन्होंने छोटी सी नदी के जल में खड़े होकर काव्य पाठ किया था जबकि बाकी साहित्यकार नदी में उभरी एक चट्टान पर बैठे थे। इसी प्रकार उन्होंने अपने घर में एक पेड़ पर कुटिया बनाई थी। अज्ञेय ने आजादी के आंदोलन में भी क्रांतिकारी रूप में भाग लिया और जेल गए।

8 टिप्‍पणियां:

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

अज्ञेय जी की जयंती पर उन्हें याद करना सुखद लगा.

Akanksha Yadav ने कहा…

उत्तर छायावाद दौर में हिन्दी कविता के शीर्ष कवियों में रहे सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन ने न केवल हिन्दी कविता को नया मिजाज दिया बल्कि तार सप्तक और विभिन्न सप्तकों के जरिए तमाम नए कवियों को आगे लाने का काम किया।
________________________________
अज्ञेय जी वाकई साहित्य के युग-पुरुष थे. जयंती पर उन्हें नमन !!

Unknown ने कहा…

मान गए के. के. जी आपको. प्रशासनिक व्यस्तताओं के बीच भी साहित्य के महँ धुरंधरों को आप नहीं भूलते. निताला के बाद अज्ञेय जी पर आपकी कलम आपकी साहित्यिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

...जो चीज अच्छे-अच्छे साहित्यिक ब्लोगों पर भी नहीं मिल पाती, वह आपके ब्लॉग पर मौजूद है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

अज्ञेय जी पर आपकी टिपण्णी सारगर्भित है. कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने.

बेनामी ने कहा…

कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि जयशंकर प्रसाद के बाद अज्ञेय ही ऐसे कवि है जिनके साहित्य में काफी परिष्कृत संवेदना दिखाई देती है....एक बेहतरीन विश्लेषण और सुन्दर प्रस्तुति.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Bahut sundar likha hai...badhai !!

Amit Kumar Yadav ने कहा…

महिला दिवस पर युवा ब्लॉग पर प्रकाशित आलेख पढें और अपनी राय दें- "२१वी सदी में स्त्री समाज के बदलते सरोकार" ! महिला दिवस की शुभकामनाओं सहित...... !!