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मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

वसंत का अहसास

वसंत का आगमन हो चुका है. फिजा में चारों तरफ मादकता और उल्लास का अहसास है. यहाँ अंडमान में तो वैसे भी ठण्ड नहीं पड़ती, पर वसंत के अहसास से भला कैसे अछूते रह सकते हैं. कभी पढ़ा करते कि 6 ऋतुएं होती हैं- जाड़ा, गर्मी, बरसात, शिशिर, हेमत, वसंत. पर ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव ने इन्हें इतना समेट दिया कि पता ही नहीं चलता कब कौन सी ऋतु निकल गई. यह तो शुक्र है कि अपने देश भारत में कृषि एवम् मौसम के साथ त्यौहारों का अटूट सम्बन्ध है। रबी और खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही साल के दो सबसे सुखद मौसमों वसंत और शरद में तो मानों उत्सवों की बहार आ जाती है। वसंत में वसंतोत्सव, सरस्वती पूजा, होली, चैत्र नवरात्र व रामनवमी तो शरद में शारदीय नवरात्र के साथ दुर्गा पूजा, दशहरा, दीपावली, करवा चैथ, गोवर्धन पूजा इत्यादि की रंगत रहती है। वास्तव में ये पर्व सिर्फ एक अनुष्ठान भर नहीं हैं, वरन् इनके साथ सामाजिक समरसता और नृत्य-संगीत का अद्भुत दृश्य भी जुड़ा हुआ है। वसंत ऋतु में चैती, होरी, धमार जैसे लोक संगीत तो माहौल को और मादक बना देते हैं.

हमारे यहाँ त्यौहारों को केवल फसल एवं ऋतुओं से ही नहीं वरन् दैवी घटनाओं से जोड़कर धार्मिक व पवित्र भी बनाया गया है।। यही कारण है कि भारतीय पर्व और त्यौहारों में धार्मिक देवी-देवताओं, सामाजिक घटनाओं व विश्वासों का अद्भुत संयोग प्रदर्शित होता है। वसंत पंचमी को त्योहार के रूप में मनाए जाने के पीछे भी कई ऐसे दृष्टान्त हैं। ऐसा माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसीलिए इस दिन विद्या तथा संगीत की देवी की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार एक मान्यता यह भी है कि वसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार सरस्वती की पूजा की थी और तब से वसंत पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा करने का विधान हो गया।

किसी कवि ने कहा है कि वसंत तो अब गांवों में ही दिखता है, शहरों में नहीं. यदि शहरों में देखना है तो इस दिन पीले कपड़े पहने लड़कियां ही वसंत का अहसास कराती हैं. यह सच भी है क्योंकि क्योंकि वसंत में सरसों पर आने वाले पीले फूलों से समूची धरती पीली नजर आती है। इसी कारन इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का चलन है.

त्यौहारों की रंगत और उल्लास अपनी जगह है, पर क्या इसे बहाने हम प्रकृति में हो रहे बदलावों के प्रति भी सचेत हैं. ऋतुओं का असमय आना-जाना यदि इसी तरह चलता रहा तो हम तारीखों में ही इन्हें ढूंढते रह जायेंगें. इन त्यौहारों के बहाने यह भी सीखने की जरुरत है कि वसंत का पीलापन और होली के टेसू कैसे बचाए जाएँ...!!

14 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

वसंत पंचमी पर बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.

Unknown ने कहा…

वसंत पंचमी पर बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बसन पर सुन्दर पोस्ट के लिए भाई के के यादव जी आपको बहुत बहुत बधाई |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बसन पर सुन्दर पोस्ट के लिए भाई के के यादव जी आपको बहुत बहुत बधाई |

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच कहा, मौसम के अतिरिक्त बसंत अहसास भी है।

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

मनुष्य द्वारा प्रकृति की लूट का परिणाम हैं ये बदलाव.प्रकृती का आनंद बदस्तूर उठाते रहना है तो प्रकृती की रक्षा भी करनी होगी.सही समय पर आपने विषय उठाया है.

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

प्रभावकारी आलेख की प्रस्तुति हेतु आभार।
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कृपया पर्यावरण संबंधी इस दोहे का रसास्वादन कीजिए।
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शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

कविता रावत ने कहा…

किसी कवि ने कहा है कि वसंत तो अब गांवों में ही दिखता है, शहरों में नहीं. यदि शहरों में देखना है तो इस दिन पीले कपड़े पहने लड़कियां ही वसंत का अहसास कराती हैं. यह सच भी है क्योंकि क्योंकि वसंत में सरसों पर आने वाले पीले फूलों से समूची धरती पीली नजर आती है। इसी कारन इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का चलन है.

bilkul sahi kaha hai aapne... shaharon mein oopchariktabhar hai basant kee... sundar prastuti.. basant panchmi kee shubhkamnayen..

राज भाटिय़ा ने कहा…

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

Dorothy ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति. आभार.
आप को वसंत की ढेरों शुभकामनाएं!
सादर,
डोरोथी.

M. Afsar Khan ने कहा…

aadab,
khubsoorat posting ke liye dheron mubarakbad aur shubhkamnaye.

Prem me vistar hai aur swarth me sikudan. isliye pyaar hi jeevan ka niyam hai.

aapka apna...
Afsar khan sagar

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.......ही सुंदर प्रस्तुति. सच कहें कि बसंत अब गावों में ही दिखता है.................
सैनिक शिक्षा सबके लिये

amrendra "amar" ने कहा…

basant ek ahsaas ......nice

डॉ. दलसिंगार यादव ने कहा…

सही समय पर सही लेख और सही शब्द अहसास का उपयोग।