राधा का प्रेम, मुरली की मिठास.
माखन का स्वाद, गोपियों का रास.
इनसे मिलकर बनता है, जन्माष्टमी का दिन खास.
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ।
हमारा तो जन्म ही कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ था, अत: हमारे लिए तो यह दिन बेहद खास है।
-कृष्ण ही कृष्ण-
( वाट्सएप पर प्राप्त श्रीकृष्ण-काव्य भी आप सभी के साथ साभार शेयर कर रहा हूँ )
कृष्ण उठत कृष्ण चलत कृष्ण शाम भोर है,
कृष्ण बुद्धि कृष्ण चित्त कृष्ण मन विभोर है।
कृष्ण रात्रि कृष्ण दिवस कृष्ण स्वप्न शयन है,
कृष्ण काल कृष्ण कला कृष्ण मास अयन है।
कृष्ण शब्द कृष्ण अर्थ कृष्ण ही परमार्थ है,
कृष्ण कर्म कृष्ण भाग्य कृष्णहि पुरुषार्थ है।
कृष्ण स्नेह कृष्ण राग कृष्णहि अनुराग है,
कृष्ण कली कृष्ण कुसुम कृष्ण ही पराग है।
कृष्ण भोग कृष्ण त्याग कृष्ण तत्व ज्ञान है,
कृष्ण भक्ति कृष्ण प्रेम कृष्णहि विज्ञान है।
कृष्ण स्वर्ग कृष्ण मोक्ष कृष्ण परम साध्य है,
कृष्ण जीव कृष्ण ब्रह्म कृष्णहि आराध्य है।
!!......जय श्री कृष्ण....!!
(चित्र में : बेटियों अक्षिता और अपूर्वा के साथ केक काटते कृष्ण कुमार यादव। साथ में पिताश्री। )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें