( डा. बद्री नारायण तिवारी जी का नाम बहुतों के लिए अनजान नहीं है। कानपुर में 'मानस संगम' और डा. बद्री नारायण तिवारी एक दूसरे के पर्याय माने जाते हैं। कानपुर में पोस्टिंग के दौरान ही उनसे मुलाकात हुई और आज भी हम एक-दूसरे को याद करते रहते हैं। कल ही उनका फोन आया और पता चला कि भारतीय भाषा संवर्धन परिषद में हिन्दी भाषा हेतु उन्हें सदस्य नामित किया गया है और उन्होंने अपना कार्य आरंभ भी कर दिया है ......हमारी तरफ से बहुत सारी शुभकामनाएं और यह आशा भी कि वे हिंदी के संवर्धन और प्रचार-प्रसार के लिए तत्पर रहेंगें !!)
भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हिन्दी सहित 22 भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए पुर्नगठित ’भारतीय भाषा संवर्धन परिषद’ (सीपीआईएल) में प्रतिष्ठित हिन्दी एवं साहित्य सेवी डा0 बद्री नारायण तिवारी को हिन्दी भाषा के लिए सदस्य मनोनीत किया है। दो वर्ष के लिए पुर्नगठित यह परिषद संविधान में मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं के विकास-प्रसार हेतु भारत सरकार को अपने सुझाव देगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा गठित इस परिषद के अध्यक्ष मानव संसाधन विकास मंत्री एवं उपाध्यक्ष राज्यमंत्री हैं। उच्चतर शिक्षा सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एवं भारतीय भाषाओं के केन्द्रीय संस्थान (सीआईआईएल, मैसूर) के निदेशक सहित कुल 27 सदस्य परिषद में हैं ।
परिषद में राष्ट्र भाषा हिन्दी के लिए डा0 बद्री नारायण तिवारी, उर्दू के लिए प्रो0 गोपीचंद नारंग, संस्कृत के लिए राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (दिल्ली) के प्रो0 राधा बल्लभ त्रिपाठी, मैथिली के लिए प्रो0 मायानन्द मिश्र, सिंधी के लिए वासुदेव मोही एवं कन्नड़ भाषा के लिए फिल्मी हस्ती गिरीश कर्नाड को मनोनीत किया गया है।
उल्लेखनीय है कि डा0 बद्री नारायण ने हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर प्रतिष्ठित करने और इसे 21वीं सदी की भाषा के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। डा0 तिवारी ने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के सदस्य, उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और हिन्दी उर्दू समिति के संरक्षक के रूप में हिन्दी की अहर्निश सेवा की है। हिन्दी सेवा में उनके योगदान और कृतित्व के लिए अब तक सैकड़ों संस्थाओं ने उनका सम्मान किया है। मारीशस सरकार द्वारा उन्हें महर्षि अगस्त्य सम्मान एवं डा0 कर्ण सिंह द्वारा विश्व हिन्दी प्रतिष्ठान भी सम्मानित कर चुका है। श्री तिवारी पर दो शोध एवं चार लघु शोध अब तक किए जा चुके है। तीसरा शोध आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम विश्वविद्यालय में किया जा रहा है।
( चित्र 1 में : डा0 बद्री नारायण तिवारी और कृष्ण कुमार यादव )
( चित्र 2 में : एक पुस्तक के विमोचन अवसर पर कृष्ण कुमार यादव, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष शम्भु नाथ जी, विख्यात हिंदी कमेंटटर जसदेव सिंह जी, नवनीत के पूर्व संपादक गिरिजा शंकर त्रिवेदी जी एवं डा0 बद्री नारायण तिवारी )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें