आज मैंने उसको देखा
वह दौड़ रही थी
तितलियों के पीछे
जूही, गेंदा, गुलाब
और न जाने
कितने-कितने फूलों के पास
तितलियाँ भी छेड़ती थीं उसे
हाथ में आकर भी छूट जातीं
पर एक तितली को
शायद अच्छा न लगा
वह उसके हाथ आ ही गई
उसकी खुशी का ठिकाना न रहा
उसे लेकर वह वहीं
फूलों के बीच लेट गई
अपनी अल्हड़ धड़कनों पर
काबू पाने के लिए
तभी हवा का तेज झोंका आया
और उसके सीने पर रखे
दुपट्टे को उड़ा ले गया
ऐसा लगा,
मानों तितलियों का झुंड
फूलों का रस पीकर उड़ा जा रहा हो।
3 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर ढंग से मन के भावों को उकेरा है,आभार.
मन को छू गई यह पोस्ट ...बधाइयाँ !
मन को छू गई यह पोस्ट ...बधाइयाँ !
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