आधुनिकता
क्षीण हो रहे मूल्य
चकाचौंध में।
टूटते रिश्ते
सूखती संवेदना
कैसे बचाएं।
संवेदनाएं
लहुलुहान होती
समय कैसा।
सत्य-असत्य
के पैमाने बदले
छाई बुराई।
खलनायक
नेता या अभिनेता
खामोश सब।
अहं में चूर
मानव शर्मसार
अब तो जाग।
-कृष्ण कुमार यादव
क्षीण हो रहे मूल्य
चकाचौंध में।
टूटते रिश्ते
सूखती संवेदना
कैसे बचाएं।
संवेदनाएं
लहुलुहान होती
समय कैसा।
सत्य-असत्य
के पैमाने बदले
छाई बुराई।
खलनायक
नेता या अभिनेता
खामोश सब।
अहं में चूर
मानव शर्मसार
अब तो जाग।
-कृष्ण कुमार यादव
5 टिप्पणियां:
सुन्दर,
संक्षिप्त,
प्रभावी ।
एक से बढ़कर एक हाइकु..बधाई.
Behad khubsuart..badhai.
टूटते रिश्ते
सूखती संवेदना
कैसे बचाएं।
लाजवाब कर दिया आपने . मुबारकवाद इन शानदार हाइकु के लिए।
बहुत मारक क्षमता वाले हाइकू लिखें हें आपने । बधाई ।
एक टिप्पणी भेजें