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रविवार, 4 दिसंबर 2011

हाइकु-दिवस पर कृष्ण कुमार यादव के हाइकु

हाइकु हिंदी-साहित्य में तेजी से अपने पंख फ़ैलाने लगा है. कम शब्दों (5-7-5)में मारक बात. भारत में प्रो० सत्यभूषण वर्मा का नाम हाइकु के अग्रज के रूप में लिया जाता है. यही कारण है कि उनका जन्मदिन हाइकु-दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज 4 दिसम्बर को उनका जन्म-दिवस है, अत: आज ही हाइकु दिवस भी है। इस बार हाइकुकार इसे पूरे सप्ताह तक (4 दिसम्बर - 11 दिसम्बर 2011 तक) मना रहे हैं. इस अवसर पर मेरे कुछ हाइकु का लुत्फ़ उठाएं-

टूटते रिश्ते
सूखती संवेदना
कैसे बचाएं

विद्या की अर्थी
रोज ही निकलती
योग्यता त्रस्त।

हर किसी का
फिक्स हो गया रेट
रिश्वतखोरी।

पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।

प्रकृति बंधी
नियमों से अटल
ललकारो ना।

9 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

सुन्दर हाइकू , गहरी बात

Unknown ने कहा…

बहुत खुबसूरत हाइकु...बधाई.

Unknown ने कहा…

इसी बहाने हाइकु दिवस के बारे में भी पता चला...

Shahroz ने कहा…

पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।

...vakai Anupam..badhai.

Shahroz ने कहा…

इससे पहले कृष्ण कुमार जी के हाइकु वेब पत्रिका अनुभूति में पढ़े थे. आज पुन: कुछ नए हायकु पढना सुखद लगा. हाइकु की तो यही बात अच्छी लगती है, कम शब्दों में दिल की बात !!

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

हाइकु विधा ने हिंदी साहित्य में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है...सुन्दर हाइकु, सराहनीय प्रस्तुति !

Udan Tashtari ने कहा…

उम्दा!

मन-मयूर ने कहा…

पहली बार आपके हायकु पढ़ रहा हूँ कृष्ण जी...वाकई बेहतरीन और अर्थवान.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

आपके हाइकु भी कमाल के हैं. ..सुन्दर शब्दों में पिरो दिया.