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दुनिया भर के मजदूरों एक हो
जुल्म और शोषण का मिलकर जवाब दो
न जाने कैसे-कैसे नारे और वायदे
पर मजदूर एक हों तो कैसे
जिसे उन्होंने अपना नेता चुना
बैठ गया है वह सत्ता की पांत में
अब तो उनकी भाषा भी नहीं समझता
फिर मजदूर करे तो करे क्या
अब तो उनमें भी वर्ग भेद हो गया है
उनके अगुआ बन बैठे हैं दलाल
फिर बुर्जुआ वर्ग का क्या दोष
वह तो चाहता है उनका हक देना
पर आड़े आते हैं नेता और दलाल
आखिर फिर इन्हें कौन पूछेगा
शायद अब मार्क्स को भी गढ़नी पडे़
शोषितों व बुर्जुआ की एक नयी परिभाषा !!
20 टिप्पणियां:
मार्क्सवाद को भारतीय दर्शन के अनुसार लागू करें तो मजदूरों का हित संभव है.
मजदूरों की विडंबना को बहुत सुन्दर शब्दों में ढाला आपने..बधाई.
मजदर दिवस पर सभी को मुबारकवाद.
आपकी बेटी अक्षिता (पाखी) को उत्तरांचल के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' द्वारा बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड मिलने पर आपको सपरिवार शुभकामनायें.
पापा ने लिखी प्यारी कविता...
@ Shahroz Aunty,
Thanks for ur sweet wishes Here.
परिभाषायें अस्थिर हैं।
सच्चाई कहती अच्छी रचना
nothing to do
बहुत सुन्दर लिखा आपने. बधाई.
आपका स्वागत है.
दुनाली चलने की ख्वाहिश...
तीखा तड़का कौन किसका नेता?
मजदूर दिवस पर सार्थक रचना...
दिवस विशेष प्र उत्तम रचना.
अक्षिता (पाखी) को उत्तरांचल के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' द्वारा बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड मिलने पर शुभकामनायें.
वाकई आज मजदूर दिशाहीन हो गया है...सुन्दर कविता.
समाज में श्रमिक की व्यथा को उकेरती प्रभावशाली कविता..बधाई.
नन्हीं अक्षिता को बेस्ट बेबी ब्लागर अवार्ड प्राप्त होने पर बधाई.इसे कहते हैं पूत के पांव पालने में.
के.के. जी और आकांक्षा जी ने बिटिया पाखी को जो संस्कार और परिवेश दिया है, वाकई अनुकरणीय है. उन्हें श्रद्धावत नमन. .
शायद अब मार्क्स को भी गढ़नी पडे़
शोषितों व बुर्जुआ की एक नयी परिभाषा !!
...परिवर्तन दुनिया का शाश्वत नियम है...सुन्दर प्रस्तुति... इस सुन्दर रचना के लिए बधाई.
श्रमिकों के प्रति सुन्दर भाव. कविता के लिए के.के. यादव जी को ढेरों बधाई.
यथार्थ पर आधारित बहुत अच्छी रचना...
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