तुम्हारी खामोशी
तुम हो
मैं हूँ
और एक खामोशी
तुम कुछ कहते क्यूँ नहीं
तुम्हारे एक-एक शब्द
मेरे वजूद का
अहसास कराते हैं
तुम्हारी पलकों का
उठना व गिरना
तुम्हारा होठों में ही
मंद-मंद मुस्कुराना
तुम्हारा बेकाबू होती
साँसों की धड़कनें
तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है।
21 टिप्पणियां:
तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है
अद्भुत एहसास ...सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...
सुन्दर रचना।
मौन धड़कन।
अति सुंदर रचना जी धन्यवाद
सर जी,इस खामोशी की बात ही निराली है....आपकी कविता की तरह......
सुन्दर कविता बधाई
ख़ूबसूरत एहसास के साथ भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!
तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है।
...So Romantic...Great Expressions.
तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है।
...So Romantic...Great Expressions.
बहुत सुन्दर मनमोहक भाव.बधाई!!!
namaskar !
bahut sunder !
saadar
बहुत सुन्दर कविता...प्रेम की सघन अनुभूति..बधाई.
nice
बहुत कुछ अनकहा...यही तो प्यार है. सशक्त रचना..बधाई.
बहुत कुछ अनकहा...यही तो प्यार है. सशक्त रचना..बधाई.
sundar kavita ke liye badhai
मंगलवार 31 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
@ संगीता जी,
इस चर्चा के लिए आभार !!
आप सभी लोगों ने इन भावों को पसंद किया...आभार. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें.
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बहुत बढ़िया!
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तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
aise me khamoshi hi munasib hai... kuchh bolne se ehsason ko hum ek had me bandh denge...
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