कोरिया में 19 नवम्बर, 2009 को KEOTI से हम लोग राजधानी सियोल पहुंचे. वाकई यह एक भव्य, खूबसूरत और समृद्ध शहर है. यहाँ स्थित सियोल सेंट्रल पोस्ट ऑफिस को देखा तो दंग रह गया. पोस्ट टॉवर नाम से मशहूर इस पोस्ट ऑफिस में 7 बेसमेंट लेवल और 21 फ्लोर हैं. सभी सुविधाएँ पोस्ट टॉवर के अन्दर मौजूद हैं. 1884 में बना ये पोस्ट ऑफिस वर्तमान रूप में वर्ष 2007 में आया. डाकघरों का मॉडर्न लुक देखने का यह एक उम्दा नमूना था. अपने भारत में प्रोजेक्ट एरो के तहत डाकघरों में आमूल-चूल परिवर्तन और उनकी ब्रांडिंग की जा रही है, पर कोरिया इस मामले में हमसे काफी विकसित है. इस ब्लॉग पर आप रूबरू होंगे कृष्ण कुमार यादव की साहित्यिक रचनात्मकता और अन्य तमाम गतिविधियों से...
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शनिवार, 12 दिसंबर 2009
द. कोरिया में डाक सेवाएँ
कोरिया में 19 नवम्बर, 2009 को KEOTI से हम लोग राजधानी सियोल पहुंचे. वाकई यह एक भव्य, खूबसूरत और समृद्ध शहर है. यहाँ स्थित सियोल सेंट्रल पोस्ट ऑफिस को देखा तो दंग रह गया. पोस्ट टॉवर नाम से मशहूर इस पोस्ट ऑफिस में 7 बेसमेंट लेवल और 21 फ्लोर हैं. सभी सुविधाएँ पोस्ट टॉवर के अन्दर मौजूद हैं. 1884 में बना ये पोस्ट ऑफिस वर्तमान रूप में वर्ष 2007 में आया. डाकघरों का मॉडर्न लुक देखने का यह एक उम्दा नमूना था. अपने भारत में प्रोजेक्ट एरो के तहत डाकघरों में आमूल-चूल परिवर्तन और उनकी ब्रांडिंग की जा रही है, पर कोरिया इस मामले में हमसे काफी विकसित है.
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10 टिप्पणियां:
कोरिया यात्रा की सुखद यादें....डाक सेवाओं के बारे में सुन्दर जानकारी.
आशा की जानी चाहिए कि अब भारतीय डाक का भी चेहरा बदलेगा.
आशा की जानी चाहिए कि अब भारतीय डाक का भी चेहरा बदलेगा.
Nice information.
अच्छी और उपयोगी जानकारी।
आभार।
अपने भारत में प्रोजेक्ट एरो के तहत डाकघरों में आमूल-चूल परिवर्तन और उनकी ब्रांडिंग की जा रही है, पर कोरिया इस मामले में हमसे काफी विकसित है.
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आखिर वहां सरकारी सिस्टम हमारी तरह नहीं है. मेहनती लोग हैं वहां.
Korea post jakar ap bhi smart ho gaye hain...badhai.
रोचक जानकारी और मस्त फोटोग्राफ.
कुछ दिन पहले मॆं सोच ही रहा था कि -यादव जी, विदेश-यात्रा से लॊटे हॆं.इस यात्रा के बडे ही सुखद अनुभव रहे होंगें.उनसे अनुरोध करूगा कि अपनी विदेश-यात्रा के संबंध में कोई पोस्ट लिखें.आपके ब्लाग पर आकर देखा तो पहले ही पोस्ट मॊजूद थी.यह जानकर ओर भी ज्यादा खुशी हुई-कि यह विदेश-यात्रा अपने विभाग के कार्य से ही संबंधित थी.कोरिया की डाक-सेवा के संबंध में जानकर बडा अच्छा लगा.काश!वहां की कार्य-पद्धति से हम कुछ सीख पायें.आपने बताया कि वहां पर ग्राहकों को इन्टरनेट की मुफ्त सेवा उपलब्ध करवाई जाती हे.ग्राहकों की तो बात ही अलग हॆ,यहां तो विभागीय कर्मचारी को एक रुपये की रसीदी टिकट भी मुफ्त नहीं मिल सकती.विभाग को आगे बढने के लिए, विदेश से सिर्फ तकनीक ही नहीं, उसकी कार्य-संस्कृति को भी लेना होगा.
मुझे मालूम नहीं आप विभागीय वेब साईड-www.sahuliyat.com के सदस्य हॆं अथवा नहीं?यदि विभाग के कार्य से संबंधित आपके लेख वहां पर भी लिखे होते तो डाक-परिवार के अन्य सदस्य भी लाभान्वित होते.
आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद पराशर जी. फ़िलहाल मैं सहूलियत का सदस्य नहीं हूँ....कोशिश करूँगा.
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