28 नवम्बर का दिन हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है. इस वर्ष इस तिथि को सबसे महत्वपूर्ण बात रही कि हमारी शादी के पाँच साल पूरे हो गए। 28 नवम्बर, 2004 (रविवार) को मैं और आकांक्षा जीवन के इस अनमोल पवित्र बंधन में बंधे थे. वक़्त कितनी तेजी से करवटें बदलता रहा, पता ही नहीं चला. सरकारी भाषा में कहें तो एक पंचवर्षीय योजना मानो पूरी हो गई. सुख-दुःख के बीच सफलता के तमाम आयाम हमने छुए. कभी जिंदगी सरपट दौड़ती तो कई बार ब्रेक लग जाता. पिछले साल का हादसा अभी भी नहीं भूलता. जब शादी की सालगिरह के अगले दिन ही मेरा एक एक्सिडेंट हुआ और बाएं हाथ का आपरेशन करना पड़ा. एक सप्ताह के लिए मैं हॉस्पिटल में भी रहा. इस बार भी शादी की सालगिरह पर हम साथ नहीं थे, मैं ट्रेनिंग के सिलसिले में बाहर था....पता नहीं यह कैसा संयोग है, पर पाँच साल के इस सफ़र में सालगिरह का दिन हमारे लिए बहुत अजीब रहा. दो बार ट्रेनिंग, एक बार बॉस के साथ एक मीटिंग में काफी रात हो जाना, एक बार सालगिरह के अगले दिन एक्सिडेंट....कुल मिला-जुलाकर अब तक एक ही सालगिरह हम लोग कायदे से उसी दिन सेलिब्रेट कर पाए हैं. हमेशा अपनी सालगिरह सेलिब्रेट करने के लिए हमें किसी अगली तिथि का चुनाव करना पड़ता है, पर वह दिन सिर्फ हमारा होता है. कई बार हम लोग मजाक में कहते भी हैं की विभाग वालों ने हमारी सालगिरह की तारीख नोट कर रखी है, कोई भी ट्रेनिंग और महत्वपूर्ण मीटिंग इसी दिन होगी।
ऐसा ही अजीब संयोग हमारी शादी के बारे में भी है. मैं जहाँ भी पोस्टिंग पर जाता, वहाँ आकांक्षा जी के भ्राता श्री लोगों की भी पोस्टिंग होती. जब मैं पोस्टल स्टाफ कालेज, गाज़ियाबाद में ट्रेनिंग कर रहा था तो इनके बड़े भ्राता श्री नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में थे, पहली पोस्टिंग पर सूरत गया तो इनके भ्राता श्री गुजरात कैडर के IAS अधिकारी थे, वहां से ट्रांसफर होकर लखनऊ में असिस्टेंट पोस्टमास्टर जनरल बना तो इनके एक भ्राता श्री वहां पुलिस उपाधीक्षक थे.....फिर ये रिश्ता होने से कौन रोक सकता था. खैर हम लोगों की शादी 28 नवम्बर, 2004 को धूमधाम के साथ सारनाथ-बनारस में हुई, एक साथ भगवान शंकर जी और भगवान बुद्ध जी का आशीर्वाद मिला। कानपुर में पोस्टिंग के दौरान वर्ष प्यारी बिटिया अक्षिता का जन्म हुआ।
एक-दूसरे के साथ बिताये गए ये पाँच साल सिर्फ इसलिए नहीं महत्वपूर्ण हैं कि हमने पति-पत्नी का सम्बन्ध निभाया, बल्कि इसलिए भी कि हमने एक-दूसरे को समझा, सराहा और संबल दिया. अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि प्रशासनिक व्यस्तताओं के बीच कैसे समय निकल लेते हैं तो इसके पीछे आकांक्षा जी का ही हाथ है. यदि उन्होंने मेरी रचनात्मकता को सपोर्ट नहीं किया होता तो मैं आज एक अदद सिविल सर्वेंट मात्र होता, लेखक-कवि-साहित्यकार के तमगे मेरे साथ नहीं लगे रहते. यह हमारा सौभाग्य है कि हम दोनों साहित्य प्रेमी हैं और कई सामान रुचियों के कारण कई मुद्दों पर खुला संवाद भी कर लेते हैं।
शादी की सालगिरह पर तमाम मित्रजनों-सम्बन्धियों की शुभकामनायें तमाम माध्यमों से प्राप्त हुई...आप सभी का आभार. हिंदी ब्लॉगरों के जन्मदिन ब्लॉग पर भी इस दिन शुभकामनायें दी गईं, आभारी हैं हम दोनों। आप सभी का स्नेह बना रहे ....!!
19 टिप्पणियां:
nice
सही कहा आपने। पति- पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं।
कहते हैं ये सम्बन्ध तो ऊपर से ही लिखकर आता है।
बधाई और शुभकामनाएं।
मुबारक हो आप दोनों को...यह सुखद सफ़र यूँ ही बना रहे.
मुबारक हो आप दोनों को...यह सुखद सफ़र यूँ ही बना रहे.
ढेर सारी शुभकामनायें. बड़ी आत्मीयता से अपने उन दिनों को याद किया है. आप लोगों के प्यार को नज़र न लगे.
यह हमारा सौभाग्य है कि हम दोनों साहित्य प्रेमी हैं और कई सामान रुचियों के कारण कई मुद्दों पर खुला संवाद भी कर लेते हैं।
...ऐसे लोग बिरले ही मिलते हैं. वर्षगांठ की बधाई.
शादी की सालगिरह मुबारक हो...आखिर पंचवर्षीय योजना पूरी हो गई.
आप दोनों की रचनाएँ प्रिंट और अंतर्जाल पर पढता हूँ, पर यह नहीं पता था कि आप दोनों पति-पत्नी हैं...यह मेरा सौभाग्य है कि आप दोनों को वर्षगाँठ की बधाइयाँ दूँ.
"यादव साम्राज्य" की तरफ से सालगिरह पर मुबारकवाद..आप लोग यादव समाज के गौरव है.
देर से ही सही, सालगिरह की शुभकामनायें.
पाँचवीं वर्षगाँठ की बधाई सर.
बधाई।
यहाँ भी वही:
खैर हम लोगों की शादी 28 नवम्बर, 2009 को धूमधाम के साथ सारनाथ-बनारस में हुई, एक साथ भगवान शंकर जी और भगवान बुद्ध जी का आशीर्वाद मिला। कानपुर में पोस्टिंग के दौरान वर्ष 2006 में प्यारी बिटिया अक्षिता का जन्म हुआ.
-कहीं टंकण त्रुटि तो नहीं..वैसे नया जमाना है, कनाडा में आम है. :)
मजाक कर रहा हूँ...बिटिया जन्मी २००६ में और आपकी शादी २००९ में??? वर्ष सही कर लिजिये.
सुधार कर इस टिप्पणी को यहाँ और वहाँ से मिटा लिजियेगा. :)
शादी की सालगिरह की बहुत बधाई.
बधाई!
आपकों ऒर आकांक्षा जी को,शादी की पंच-वर्षीय योजना पूर्ण करने पर मुबारकबाद!माफी चाहूंगा,मुबारकबाद देने में थोडा लेट हो गया.इस मामले में,मेरे कई साथी,मुझसे पहले नंबर ले गये.सरकारी दफ्तरों में भी,मेरे जॆसे कई बेहया होते हॆं,जो आफिस में अक्सर लेट आते हॆ.मुझे भी वही समझ लिजिए.
खॆर! इन पांच-वर्षों के दाम्पत्य-सफरनामें के खट्टे-मीठे अनुभवों से, जिस आत्मीयता से आपने अवगत करवाया-भाव-विभॊर करने वाला हॆ.यह आप दोनों की समान-रुचियों का ही प्रताप हॆ कि-शादी की वर्षगांठ पर,आप के उपस्थित न होने पर भी आकांक्षा जी ने उफ! तक नहीं की.किसी ने सही ही कहा हॆ कि-हर बडे व्यक्ति की सफलता के पीछे एक नारी का हाथ होता हॆ.आपकी दाम्पत्य-यात्रा इसी ताल-मेल के साथ,आगे बढती रहे-इन्हीं शुभकामनाओं के साथ,
पुनश्च:अब मॆं समझ पाया,कोरिया से लॊटते वक्त,आप दिल्ली से गुजरते हुए भी,दिल्ली में क्यों नहीं रूक पाये?
@समीर जी
इस त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद, अब दोनों जगह संशोधन कर लिया गया है.
@ पराशर साहब,
आशीष देने में समय नहीं भाव का महत्त्व होता है..आप आशीष देने यहाँ तक आये, हमारा सौभाग्य और आपका बड़प्पन.
आप सभी के आशीष और शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से आभारी हूँ.
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