मैं तुम्हें जीता हूँ
तुम्हारी साँसों की खुशबू
अभी भी मेरे जेहन में है
तुम्हारी आँखों की गहराइयां
अभी भी उनमें डूबता जाता हूँ
तुम्हारी छुअन का एहसास
अभी भी मुझे गुदगुदाता है
तुम्हारे केशों की राशि
अभी भी मेरे हाथों में है
तुम्हारी पलकों का उठना और गिरना
अभी भी मेरी धडकनों में है
तुम्हारे वो मोती जैसे आंसू
अभी भी मेरी आँखों में हैं
तुम्हारा वो रूठना और मनाना
सब कुछ मेरी यादों में है
नहीं हो तो सिर्फ़ तुम
पर क्या हुआ
तुम्हारे वजूद का एहसास
अभी भी मेरी छाया में है
क्योंकि मैं तुम्हें जीता हूँ ।
तुम्हारी साँसों की खुशबू
अभी भी मेरे जेहन में है
तुम्हारी आँखों की गहराइयां
अभी भी उनमें डूबता जाता हूँ
तुम्हारी छुअन का एहसास
अभी भी मुझे गुदगुदाता है
तुम्हारे केशों की राशि
अभी भी मेरे हाथों में है
तुम्हारी पलकों का उठना और गिरना
अभी भी मेरी धडकनों में है
तुम्हारे वो मोती जैसे आंसू
अभी भी मेरी आँखों में हैं
तुम्हारा वो रूठना और मनाना
सब कुछ मेरी यादों में है
नहीं हो तो सिर्फ़ तुम
पर क्या हुआ
तुम्हारे वजूद का एहसास
अभी भी मेरी छाया में है
क्योंकि मैं तुम्हें जीता हूँ ।
***कृष्ण कुमार यादव ***
3 टिप्पणियां:
apki kavitayen dil ko sukun deti hain!
तुम्हारे वजूद का एहसास
अभी भी मेरी छाया में है
क्योंकि मैं तुम्हें जीता हूँ ।
...........दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ .
इक बेहतरीन कविता !!
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