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रविवार, 17 अगस्त 2008

आटा की चक्की

गाँव की एक अनपढ़ महिला
ने मुझसे पूछा
सुना है अमेरिका ने
आटा चक्की को पेटेंट
करा लिया है
बेटा, इससे क्या होता है
मैंने बताया
देखो अम्मा
अब हमें आटा चक्की
खोलने से पहले
उनकी उनकी इजाजत लेनी होगी
वह भड़क गई
ऐसा कैसे हो सकता है
यह तो हमारे पुरखों की अमानत है
मैंने सोचा
गाँव की एक अनपढ़
महिला भी यह सोचती है
पर पता नहीं ऊपर बैठे
पढ़े-लिखों को कब चेत आयेगा।
***कृष्ण कुमार यादव***

6 टिप्‍पणियां:

शोभा ने कहा…

मैंने सोचा
गाँव की एक अनपढ़
महिला भी यह सोचती है
पर पता नहीं ऊपर बैठे
पढ़े-लिखों को कब चेत आयेगा।
बहुत ज्वलन्त प्रश्न उठाए हैंस्वागत है नए ब्लाग का।

شہروز ने कहा…

bhai khoob aap jamkar kaam kar rahe hain.aapka blog nisandeh zara hatkar hai.

http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत बढ़िया. बेहतर.

Sandeep Chatterjee ने कहा…

Aapki Koshish Sarhniye hai.Agar Kuch Samay nikalkar kuch likh paon to zaroor likhna chahunga .Bachpan mein akansha thi ki hindi teacher banoonga ..bade hote hote dimag ne kishi dusri or dhakel diya. Shayad
aaise kuch blog ke sahare hindi mein kuch likh pau .

Sandeep chatterjee
Singapore

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

nice poem.

Subhash Ujjwal ने कहा…

Kaya Bat Hain Aaap Ki Iss Soch Ka Kayal Huun ...Bahu Hi Sachi BAAT KAHI HAIN AAPNE EK DAM SEEDHE ANDAJ Main........Bahut BHdahayee