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बुधवार, 5 फ़रवरी 2025

सृजन की कसौटी पर हिंदी पत्रिका 'सरस्वती सुमन' का 'आकांक्षा यादव-कृष्ण कुमार यादव युगल अंक'

कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव पर आधारित सरस्वती सुमन का दिसंबर-2024 का अंक 'आकांक्षा-कृष्ण युगल अंक' पाकर हृदय गदगद हो गया। विश्वास ही नहीं होता कि भारतीय डाक सेवा के अधिकारी कृष्ण कुमार यादव प्रशासनिक अधिकारी अधिक हैं या साहित्यकार। इस तरह का संयोग भी कम ही मिलता है जब दम्पति दोनों ही साहित्यकार हों-राजेंद्र यादव और मन्नू भंडारी, रवीन्द्र कालिया और ममता कालिया आदि कुछ नाम ही याद आते हैं। 


यदि आप दोनों की तुलना की जाए तो भी यह तय कर पाना मुश्किल है कि आप में से पूर्ण समर्पित साहित्यकार कौन है। आपने अपनी रचनाओं में भ्रूण-हत्या,बालिका शिक्षा,महिला,पर्यावरण, रिश्ते, कुरीति जैसे अनेक विषयों पर बेबाकी से लिखा है। कविता के बारे में कृष्ण कुमार कहते हैं -'बदल रही है आज की कविता, वह सिर्फ सौंदर्य नहीं गढ़ती, बल्कि समेटती है अपने में, सामाजिक सरोकारों को भी।' अंडमान के आदिवासियों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहते हैं -'चौंकती है हर आहट, खड़े हो जाते हैं हिरनों की तरह कान, कोई आ रहा है उनकी दुनिया में , सभ्यता का जामा पहने'। रिश्तों का अर्थशास्त्र में वह कहते हैं -'दरकते रिश्ते इस तरह के हो गए हैं, जैसे किसी उद्योगपति ने बेच दी हो घाटे वाली कंपनी।'

आकांक्षा यादव कहती हैं-' शब्द की नियति स्थिरता में नहीं, उसकी गति में है और जीवंतता में है, जीवंत होते शब्द रचते हैं इक इतिहास'।

आप दोनों ने बहुत अच्छी कविताएं,अच्छी लघु कथाएं, बहुत अच्छे लेख और कहानियां लिखी हैं। लेखों में बहुत ही अच्छी-अच्छी सारगर्भित जानकारियां दी हैं।आपके परिवार में आपके पिता, आप स्वयं दंपति और आपकी पुत्रियां भी साहित्य के प्रति समर्पित हैं, यह एक शुभ संकेत है। आप दोनों को बहुत-बहुत साधुवाद। आप इसी तरह से सृजन करते रहें।


-डाॅ. गोपाल राजगोपाल
वरिष्ठ आचार्य एवं राजभाषा सम्पर्क अधिकारी
आर.एन.टी.मेडिकल कॉलेज,उदयपुर, राजस्थान
मो.-9414342523
 



पत्रिका - सरस्वती सुमन/ मासिक हिंदी पत्रिका/ प्रधान सम्पादक-डॉ. आनंद सुमन सिंह/ सम्पादक-किशोर श्रीवास्तव/संपर्क -'सारस्वतम', 1-छिब्बर मार्ग, आर्य नगर, देहरादून, उत्तराखंड -248001, मो.-7579029000, ई-मेल :saraswatisuman@rediffmail.com

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