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मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

विश्व में 1 अरब 30 करोड़ लोगों के साथ तीसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है हिंदी - कृष्ण कुमार यादव

हिंदी राजभाषा के साथ-साथ भारत की गौरवशाली साहित्यिक परंपरा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि भाषा है। यह केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संवेदनाओं, मूल्यों और पहचान की अभिव्यक्ति है। वर्तमान समय में हिंदी की पहुँच भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह भाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही है। विश्व के अनेक देशों में हिंदी न केवल बोली जा रही है, बल्कि उसे पढ़ा और सराहा भी जा रहा है। यह भाषा हमारे हृदय की भावना है, जो जीवन के प्रत्येक रंग को सहजता से अभिव्यक्त करती है। हमें हिंदी पर गर्व है, क्योंकि यह न केवल हमारी मातृभाषा व राजभाषा है, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और आत्मसम्मान का प्रतीक भी है। अतः हिंदी को अपनाना, उसका प्रयोग करना और उसके विकास में सहभागी बनना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। उक्त उद्गार वरिष्ठ साहित्यकार एवं उत्तर गुजरात परिक्षेत्र, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने 29 सितंबर, 2025 को डाक विभाग द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय, अहमदाबाद में आयोजित हिंदी पखवाड़ा समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। इस अवसर पर  हिंदी पखवाड़ा के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को उन्होंने पुरस्कृत किया।

 

 
 
 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हिंदी अपनी सरलता, सुबोधता और वैज्ञानिकता के कारण विश्व की तीसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है। पूरी दुनिया में 1 अरब 30 करोड़ लोग हिंदी बोलने व समझने में सक्षम हैं। हजारों वर्षों से लोकभाषा और जनभाषा के रूप में हिंदी भारतीय समाज के व्यापक हिस्से का प्रतिनिधित्व करती रही है। हिंदी अब केवल साहित्य और बोलचाल की भाषा नहीं, बल्कि विज्ञान-प्रौद्योगिकी, संचार क्रांति, सूचना प्रौद्योगिकी और व्यापार की प्रमुख भाषा बन चुकी है। इसी कारण ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में 18 हजार से ज्यादा हिंदी शब्द शामिल हुए हैं। डिजिटल युग में वेबसाइट्स, ब्लॉग और सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी का प्रभाव और भी बढ़ा है। हिंदी की मधुरता में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना निहित है और इसकी सरलता में गहन ज्ञान समाहित है। आज के अमृत काल में हिंदी को परिवर्तन और विकास की भाषा के रूप में नया आयाम मिला है। हिंदी की सबसे बड़ी ताकत इसके बोलने वालों की विशाल संख्या है। हिंदी न केवल हमारी मातृभाषा है, बल्कि राजभाषा भी है। अतः इसे केवल राजकीय कार्यक्रमों तक सीमित न रखते हुए अपनी दैनिक जीवनशैली में अपनाना और आने वाली पीढ़ियों को इसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरित करना आवश्यक है।

 सहायक निदेशक (राजभाषा) श्री एम. एम. शेख ने बताया कि डाक विभाग की ओर से हिंदी पखवाड़े के दौरान हिंदी निबंध लेखन, हिंदी काव्य पठन, हिंदी व्याकरण, हिंदी प्रश्नोत्तरी, हिंदी से अंग्रेजी और अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद, हिंदी अंताक्षरी और तात्कालिक भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें सभी कर्मियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हिंदी पखवाड़े को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।


हिंदी पखवाड़ा के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रम के विजेताओं को पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने पुरस्कृत किया। निबंध लेखन प्रतियोगिता में लोकेश कुमावत, हार्दिक साल्वी, मौलिक देसाई, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भरत रेगर, सिद्धार्थ रावल, गौरी शंकर कुमावत, अनुवाद प्रतियोगिता में भरत रेगर, राकेश ज्योतिषी, हार्दिक साल्वी ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। हिंदी काव्य पाठ प्रतियोगिता में भरत रेगर को प्रथम, मौलिक डाभी, हार्दिक साल्वी को द्वितीय, योगेश रामानुज को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिंदी व्याकरण प्रतियोगिता में लोकेश कुमावत को प्रथम, ताराचंद कुमावत को द्वितीय, सिद्धार्थ रावल, गौरी शंकर कुमावत, रामस्वरुप मंगवा, रवि रावत को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता में गौरी शंकर कुमावत को प्रथम, योगेश रामानुज, हार्दिक साल्वी को द्वितीय, कनैयालाल शर्मा को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिंदी अंताक्षरी  प्रतियोगिता मे लोकेश कुमावत, दर्शन श्रीमाली, दीक्षित रामी, कनिका अग्रवाल, योगेश पंचोली को प्रथम, सुश्री पायल पटेल, दीपक नायक, मौलिक डाभी, ताराचंद कुमावत, भरत रेगर को द्वितीय, दिनेश प्रजापति, दीपक परमार, हार्दिक साल्वी, धीरेन कुमार, अभिषेक पिठडीया को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन श्री चिरायु व्यास, स्वागत भाषण सहायक निदेशक श्री वी. एम वहोरा और आभार ज्ञापन सहायक निदेशक (राजभाषा) श्री एम. एम. शेख ने किया। कार्यक्रम में सहायक निदेशक राजभाषा श्री एम एम शेख, श्री रितुल गांधी, श्री वी एम वहोरा, वरिष्ठ लेखाधिकारी सुश्री पूजा राठोर, सहायक लेखाधिकारी श्री चेतन सैन, श्री रामस्वरूप मंगवा, सहायक अधीक्षक श्री जीनेश पटेल, श्री रमेश पटेल, श्री भाविन प्रजापति, श्री रोनक शाह, डाक निरीक्षक सुश्री पायल पटेल, श्री योगेन्द्र राठोड, सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

 

 
 

हिंदी मात्र एक भाषा नहीं, अपितु भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं जीवन मूल्यों की प्रबल संवाहक - कृष्ण कुमार यादव

हिंदी मात्र एक भाषा नहीं, अपितु भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं जीवन मूल्यों की प्रबल संवाहक है। समस्त भारतीयों को एकता के सूत्र में पिरोती हिन्दी वह सूत्र है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ती है, हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करती है। अपनी सहजता, मधुरता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बल पर हिंदी भाषा ने वैश्विक स्तर पर विशेष प्रतिष्ठा अर्जित की है। उक्त उद्गार उत्तर गुजरात परिक्षेत्र, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित हिंदी पखवाड़ा के शुभारंभ के अवसर पर व्यक्त किए। इससे पूर्व उन्होंने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलित कर हिंदी पखवाड़ा (14-28 सितंबर, 2025) का शुभारंभ किया।



पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हिन्दी सिर्फ संवाद व साहित्य ही नहीं बल्कि विज्ञान से लेकर संचार-क्रांति, सूचना-प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा भी है। हिंदी हमारी मातृभाषा के साथ-साथ राजभाषा भी है, ऐसे में इसके विकास के लिए जरुरी है कि हम हिंदी भाषा को व्यवहारिक क्रियाकलापों के साथ-साथ राजकीय कार्य में भी प्राथमिकता दें। बदलते समय की चुनौतियों के अनुरूप राजभाषा, संपर्क भाषा और महत्वपूर्ण ज्ञानभाषा बने रहने के लिए हिंदी को तकनीकी रूप से और समृद्ध बनना होगा। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का यह दायित्व है, कि वह आत्मविश्वास के साथ हिंदी में कार्य करे और इसकी उन्नति में सहयोग प्रदान करे।


पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि भारत सरकार द्वारा विकास कार्यक्रमों और जनसेवाओं के संचालन में हिंदी के प्रयोग को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। आज स्थिति यह है, कि संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में भी हिंदी की आवाज़ गूंजने लगी है। हिन्दी भाषा की मधुरता में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना निहित है और इसकी सरलता में गहन ज्ञान का सागर समाहित है। 'हिंदी दिवस' का दिन सिर्फ एक औपचारिक उत्सव नहीं, बल्कि उस भाषा का उत्सव है जिसने हमारे दिलों को जोड़ा, सपनों को शब्द दिए और भावनाओं को आवाज़।

सहायक निदेशक (राजभाषा) श्री एम. एम. शेख ने बताया कि हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत 14 से 28 सितंबर, 2025 तक डाककर्मियों हेतु विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा। इसमें  निबंध लेखन, काव्य-पाठ, हिंदी व्याकरण, प्रश्नोत्तरी, अनुवाद, तात्कालिक भाषण और हिंदी कार्यशाला का आयोजन क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर किया जाएगा।

सहायक निदेशक श्री वारिस वहोरा ने प्रकाश डालते हुए कहा कि 14 सितंबर 1949 को, देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर अपनाने का निर्णय लिया गया। अभी हिन्दी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की 76 वीं वर्षगांठ है।

कार्यक्रम में सहायक निदेशक श्री एम. एम. शेख, श्री रितुल शाह, श्री वी एम. वहोरा, वरिष्ठ लेखाधिकारी सुश्री पूजा राठोर, सहायक अधीक्षक श्री जीनेश पटेल, श्री रमेश पटेल, श्री रोनक शाह, श्री भाविन प्रजापति, सहायक लेखाधिकारी श्री चेतन सैन, डाक निरीक्षक सुश्री पायल पटेल, श्री योगेन्द्र राठोड, सहित तमाम विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री अभिषेक पीठडीया ने किया।



 

मंगलवार, 12 अगस्त 2025

जन्मदिन व वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर वृक्षारोपण कर दी जा सकती है समाज को नई दिशा - पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव

पर्यावरण की रक्षा के लिए जरुरी है कि हम इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने के साथ पौधारोपण को जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण दिनों से जोड़ें। भारतीय परंपरा में पेड़-पौधों को परमात्मा का प्रतीक मान कर उनकी पूजा का विधान बनाया गया  है। हमारी साँसें चलती रहें, इसके लिए ऑक्सीजन बेहद जरुरी है। ऐसे में जन्मदिन व विवाह वर्षगांठ जैसे जीवन के महत्वपूर्ण दिनों को विशेष बनाने के लिए पौधारोपण कर समाज को नई दिशा दी जा सकती है। 




उक्त संदेश वरिष्ठ ब्लॉगर, साहित्यकार, लोकप्रिय प्रशासक एवं सम्प्रति उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने स्वदेशी समाज सेवा समिति द्वारा 10 अगस्त, 2025 को अपने 48वें जन्म दिवस पर आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में दिया।







इस अवसर पर श्री कृष्ण कुमार यादव ने अपनी पत्नी एवं अग्रणी महिला ब्लॉगर व साहित्यकार श्रीमती आकांक्षा यादव, पुत्री सुश्री अक्षिता, राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता एवं पुत्री सुश्री अपूर्वा संग अपने आवास पर पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।   

स्वदेशी समाज सेवा समिति, फिरोजाबाद के तत्त्वावधान में स्वामी ध्यानानन्द आश्रम नगला जोरे, फिरोजाबाद में आयोजित उक्त कार्यक्रम में श्री कृष्ण कुमार यादव, पोस्टमास्टर जनरल, उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के 48वें जन्मदिन पर रुद्राक्ष, तुलसी, नीम, आम, आंवला, तेजपत्ता, दालचीनी, तुलसी, पान, सिंगोनियम, रजनीगन्धा, गंधराज इत्यादि के फलदार, औषधीय, छायादार वृक्षों, बेल व पुष्प सहित 48 पौधों का रोपण कर धरा को हराभरा एवं पर्यावरण को शुद्ध बनाने का संकल्प लिया गया।

इस अवसर पर स्वदेशी समाज सेवा समिति केअध्यक्ष श्री मातादीन यादव ने कहा, यह जीवन परमात्मा का उपहार है, सेवा ही सबसे बड़ी उपासना है और प्रकृति की रक्षा ही आज का सबसे बड़ा धर्म है। वर्तमान परिस्थितियों में जब वन क्षेत्र का निरंतर ह्रास होता जा रहा है तब संपूर्ण समाज को इस तरह के आयोजनों से सीख लेने की आवश्यकता है। स्वदेशी समाज सेवा समिति के संस्थापक सचिव विवेक यादव 'रुद्राक्ष मैन' ने कहा कि  सम्पूर्ण धरा और प्रकृति को सुरक्षित व संतुलित रखने हेतु हमें पौधारोपण के प्रति लोगों को सजग बनाना होगा। स्वदेशी समाज सेवा समिति के संकल्पों से जुड़कर सेवा, संस्कार एवं पर्यावरण रक्षा के इस यज्ञ में लोगों से अपनी आहुति देने का आह्वान भी किया। इस अवसर पर जितेन्द्र कुमार, आशीष, रिशभ, प्रबल प्रताप सहित तमाम पर्यावरण प्रेमियों ने पौधारोपण में अपना योगदान दिया।





 पोस्टमास्टर जनरल एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव के जन्मदिन पर स्वदेशी समाज सेवा समिति ने किया वृक्षारोपण कार्यक्रम

जन्मदिन व वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर वृक्षारोपण कर दी जा सकती है समाज को नई दिशा-पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव
 
चलो आज इस जमीं को, फिर से जन्नत बनाते हैं,
रोज न सही आज दो चार पौधे लगाते हैं !!🍁🌳

 धरती पर शिद्दत से एक पेड़ अपलोड तो करके देखिये,
बादलों के सैकड़ों झुंड आएंगे लाइक करने के लिए।
🌱🌲🌳🌴🌾🌿☘️🍁🌷
Save Trees, Save Earth, Save Environment.

 

गुरुवार, 31 जुलाई 2025

मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के पात्र हमारे आस-पास ही मौजूद हैं...

साहित्य समाज के आगे चलने वाली मशाल है। कालजयी साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि, चरित्र और परिवेश के साथ बदलते युग में भी यह नया आख्यान रचता है। मुंशी प्रेमचंद का साहित्य इसी परम्परा को समृद्ध करता है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यास सम्राट के रूप में प्रसिद्ध मुंशी प्रेमचंद के पिता अजायब राय श्रीवास्तव लमही, वाराणसी में डाकमुंशी (क्लर्क) के रूप में कार्य करते थे। ऐसे में प्रेमचंद का डाक-परिवार से अटूट सम्बन्ध रहा। मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते हुए पीढ़ियाँ बड़ी हो गईं। उनकी रचनाओं से बड़ी आत्मीयता महसूस होती है। ऐसा लगता है मानो इन रचनाओं के  पात्र हमारे आस-पास ही मौजूद हैं। प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) की पूर्व संध्या पर उक्त विचार ख़्यात ब्लॉगर व साहित्यकार एवं उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये।


पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि लमही, वाराणसी में जन्मे डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य की नई इबारत  लिखी। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936  तक के कालखंड को 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है। प्रेमचंद साहित्य की वैचारिक यात्रा आदर्श से यथार्थ की ओर उन्मुख है। मुंशी प्रेमचंद स्वाधीनता संग्राम के भी सबसे बड़े कथाकार हैं। मुंशी प्रेमचंद एक साहित्यकार, पत्रकार और अध्यापक के साथ ही आदर्शोन्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे। 

श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 30 जुलाई 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, प्रेमचन्द के साहित्यिक और सामाजिक विमर्श आज भूमंडलीकरण के दौर में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। उनकी कृतियों के तमाम चरित्र, मसलन- होरी, मैकू, अमीना, माधो, जियावन, हामिद कहीं-न-कहीं वर्तमान समाज के सच के सामने फिर से तनकर खड़े हो जाते हैं। प्रेमचंद ने साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारा। प्रेमचन्द जब अपनी रचनाओं में समाज के उपेक्षित व शोषित वर्ग को प्रतिनिधित्व देते हैं तो निश्चिततः इस माध्यम से वे एक युद्ध लड़ते हैं और गहरी नींद सोये इस वर्ग को जगाने का उपक्रम करते हैं। श्री यादव ने कहा कि प्रेमचन्द ने अपने को किसी वाद से जोड़ने की बजाय तत्कालीन समाज में व्याप्त ज्वलंत मुद्दों से जोड़ा। उनका साहित्य शाश्वत है और यथार्थ के करीब रहकर वह समय से होड़ लेती नजर आती हैं।

 








 
 डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने लिखी साहित्य की नई इबारत – पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव

आज भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द के साहित्यिक व सामाजिक विमर्श - पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव

प्रेमचंद साहित्य की वैचारिक यात्रा आदर्श से यथार्थ की ओर उन्मुख है-पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव